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Tuesday 13 August 2013 08:32:57 AM
नई दिल्ली। रेल मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे ने रेलवे के सभी क्षेत्रों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि वे 'भारतीय रेलवे में दुर्घटनाओं को बिलकुल बर्दाश्त न करने की नीति अपनाएं'। सभी क्षेत्रों के महाप्रबंधकों को भेजे अपने पत्र में मल्लिकार्जुन ने कहा कि मंडलीय स्तर पर डीआरएमएस और जोन्स के स्तर पर जीएम अपने-अपने क्षेत्र में रेलगाड़ी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उत्तरदायी होंगे।
रेल मंत्री ने कहा कि किसी भी संगठन को अच्छे नतीजे प्राप्त करने के लिए उसमें सुरक्षा की संस्कृति होना अनिवार्य है। पिछले दशक में निरंतर प्रयासों से भारतीय रेलवे ने प्रति मिलियन ट्रेन किलोमीटर दुर्घटनाओं में 2003-04 में 0.44 प्रतिशत से 2012-13 में 0.13 प्रतिशत की गिरावट दर्ज़ की। सभी स्तरों पर दुर्घटनाओं को बिलकुल बर्दाश्त न करने की नीति अपनाई जानी चाहिए। इस लक्ष्य को तकनीकी सहायता और उच्च गुणवत्ता वाले प्रशिक्षण के माध्यम से कर्मचारियों के कौशल में सुधार लाकर हासिल किया जाना चाहिए। सुरक्षा को अन्य सभी मामलों से ज्यादा प्राथमिकता दी जानी चाहिए। हमारी नीति 'जान का नुकसान नहीं' हमारा ध्येय होना चाहिए और यह बात सभी रेल कर्मचारियों के जहन में गहराई से समाई होनी चाहिए।
पत्र में कहा गया है कि दुर्घटनाओं के समय ज्यादातर मौतें मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग्स पर होती हैं, अगले कुछ वर्षों में सभी मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग्स को हटाने के प्रयास जारी हैं। सभी क्षेत्रों के रेलवे को इस बारे में सख्त समय सीमा का पालन करना चाहिए और इसकी निगरानी की जानी चाहिए। रात में निरीक्षण सहित प्रत्येक स्तर पर कारगर निगरानी पर विशेष जोर दिया जाना चाहिए। आग जैसे जोखिमों को कम करने, पूरी तरह समाप्त करने के लिए पार्सल, सामान कार्यालय आदि जैसे असुरक्षित क्षेत्रों का फील्ड निरीक्षण आदि आवश्यक किया जाना चाहिए। इंजन चालकों, सहायक इंजन चालकों की निगरानी की जानी चाहिए और उनके आराम विशेषकर घर पर आराम जैसे मामलों पर सबसे ज्यादा ध्यान देते हुए उन्हें परामर्श दिया जाना चाहिए। सुरक्षा की श्रेणी वाले पदों की रिक्तियों को भरने पर नियमित रूप से नज़र रखी जानी चाहिए।