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संरक्षित स्मारकों को विकृत करने पर भारी दंड

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Tuesday 13 August 2013 09:17:55 AM

chandresh kumari katoch

नई दिल्‍ली। केंद्रीय संस्कृति मंत्री चंद्रेश कुमारी कटोच ने कहा है कि केंद्र सरकार से संरक्षित स्मारकों की सीमाओं के भीतर फिल्मों की शूटिंग तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों, गतिविधियां संचालित करने के लिए अनुमति के प्रस्ताव तथा ऐसे स्मारकों के दुरुपयोग के मामले प्राचीन स्मारक एवं पुरातत्व स्थल एवं अवशेष अधिनियम 1958 एवं नियम 1959 की परिधि में आते हैं।
लोकसभा में कटोच ने बताया है कि प्राचीन स्मारक एवं पुरातत्व स्थल एवं अवशेष अधिनियम 1958 की धारा के अंतर्गत दंड को संशोधन अधिनियम 2010 के अनुसार तीन महीने से बढ़ाकर दो वर्ष तथा जुर्माने को पांच हजार रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये अथवा दोनों कर दिया गया है, ताकि राष्ट्रीय महत्व के रूप में घोषित स्मारकों को विकृत करने के कृत्यों की रोकथाम हो सके।
केंद्रीय संस्कृति मंत्री ने बताया कि वाच एंड वार्ड स्टाफ की अपर्याप्त संख्या उन मुख्य कारणों में है, जिनके चलते स्मारकों को विकृत होने के कृत्यों से पूरी तरह बचा पाना संभव नहीं हो पाया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने संवेदनशील स्मारकों पर उपलब्ध संसाधनों के अंतर्गत अतिरिक्त निजी सुरक्षा गार्डों की तैनाती करके सुरक्षा को सुदृढ़ बनाया है।
अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की रक्षा
संस्‍कृति मंत्री ने एक अन्‍य प्रश्‍न के उत्‍तर में कहा कि विभिन्‍न क्षेत्रों तथा प्रशासनिक संरचनाओं के बीच तथा उनमें सहयोग स्‍थापित करने की दृष्टि से, मानव विकास के प्रति समग्रतावादी दृष्टिकोण अपनाए जाने की आवश्‍यकता पर राष्‍ट्रीय जागरूकता के सृजन और उसके विभिन्‍न आयामों को समाविष्‍ट करने के लिए, सरकार ने भारत की जीवित और विविध सांस्कृतिक परंपराओं पर एक समन्‍वय समिति की स्‍थापना की है। इसके अतिरिक्‍त देश की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत को संरक्षण तथा बढ़ावा देने के लिए विभिन्‍न स्‍कीमें लागू की जा रही हैं।
उन्‍होंने बताया यूनेस्‍को की प्रतिनिधि सूची में भारतीय सांस्कृतिक विरासत की संख्‍या बढ़ाने के लिए संस्‍कृति मंत्रालय के अधीन एक स्‍वायत्‍ता संगठन, संगीत नाटक अकादमी को, यूनेस्‍को को प्रस्तुत करने के लिए नामांकन डोसियर तैयार करने हेतु, नोडल संगठन के तौर पर नामित किया गया है। नए तत्‍वों के नामांकन डोसियर यूनेस्‍को को भिजवाने तथा साथ ही लंबित नामांकन डोसियरों को भी भिजवाने हेतु अनमें आशोधन करने के लिए नियमित आधार पर कार्रवाई की जाती है। वर्तमान में यूनेस्‍को ने अपनी प्रतिनिधि सूची में भारत के 9 तत्‍वों को सूचीबद्ध किया है।
झूमर नृत्‍य का संरक्षण
चंद्रेश कुमारी कटोच ने बताया कि भारत सरकार ने विभिन्‍न राज्‍यों, संघ राज्‍य क्षेत्रों की पारंपरिक लोक कलाओं और संस्‍कृति को संवर्धित, संरक्षित और प्रचार-प्रसार करने के लिए सात क्षेत्रीय सांस्‍कृतिक केंद्र स्‍थापित किए हैं। ओडिशा राज्‍य, पूर्वी क्षेत्रीय सांस्‍कृतिक केंद्र (ईजेडसीसी) कोलकाता के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आता है। उन्‍होंने बताया कि ईजेडसीसी ने वर्ष 2012-13 के दौरान केंद्र की गुरु-शिष्‍य परंपरा स्‍कीम के अंतर्गत झूमर लोग नृत्‍य को चिन्हित करते हुए इसे प्रारंभ किया है, ताकि इसे प्रोत्‍साहित और पुनर्जीवित किया जा सके। इस प्रयोजनार्थ ईजेडसीसी ने ओडिशा के झूमर लोक नृत्‍य के एक गुरू और चार शिष्‍यों का चयन किया, जिन्‍हें मासिक मानदेय प्रदान किया गया।
कटोच ने कहा कि सरकार के सात क्षेत्रीय सांस्‍‍कृतिक केंद्रों (जेडसीसी) जिनके मुख्‍यालय पटियाला, उदयपुर, इलाहाबाद, कोलकाता, दीमापुर, नागपुर और तंजावुर में हैं, इनका मुख्‍य उद्देश्‍य विभिन्‍न राज्‍यों, संघ राज्‍य क्षेत्रों की पारंपरिक लोक कलाओं और संस्‍कृति का परिरक्षण, संवर्धन और प्रसार करना है। जेडसीसी क्षेत्र विशेष की विभिन्‍न कलाओं की समृद्ध विविधता एवं विलक्षणता को विकसित एवं प्रोत्‍साहित करने तथा अपनी सांस्‍कृतिक विरासत के बारे में लोगों की जानकारी को बढ़ाने और समृद्ध बनाने का प्रयास करता है।

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