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Wednesday 14 August 2013 09:47:09 AM
ठाणे, नई दिल्ली। दावा किया गया है कि महाराष्ट्र में ट्रांबे स्थित भाभा एटामिक रिसर्च सेंटर (बीएआरसी) से ठाणे क्रीक में रेडियोधर्मी कचरे का कोई रिसाव नहीं है। बीएआरसी से ठाणे क्रीक में बहाए जाने वाले कचरे का शोधन परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (एईआरबी) निर्धारित कड़े मानकों के तहत करता है, ताकि उनमें विकिरण की मात्रा तय सीमा से भी काफी कम हो।
ठाणे क्रीक में मानव निर्मित रेडियो न्यूक्लियोइड्स को मापने के लिए नियमित तौर पर पर्यावरणीय निगरानी कार्यक्रम चलाया जाता है। इस विश्लेषण से यह स्पष्ट हो गया है कि ठाणे क्रीक में रेडियोधर्मिता का स्तर प्राकृतिक वातावरण के समान ही है। इसे देखते हुए बीएआरसी से निकलने वाले कचरे से आम जनता के स्वास्थ्य तथा पर्यावरण के लिए कोई जोखिम नहीं है। कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन तथा प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री वी नारायणसामी ने यह जानकारी राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
परमाण ऊर्जा संयंत्रों से विकिरण
परमाणु रिएक्टरों को चालू किए जाने से पहले परमाणु ऊर्जा विभाग के तहत सभी परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में पर्यावरण सर्वेक्षण प्रयोगशालाओं (ईएसएल) की स्थापना की जाती है। ये प्रयोगशालाएं परमाणु रिएक्टरों को चालू किए जाने से पहले उस स्थान विशेष पर विकिरण का स्तर मापती हैं। परमाणु रिएक्टर के शुरू होने के बाद समय-समय पर उसके आस-पास के क्षेत्रों से वायु, जल, भूमि, वनस्पति, कृषि उत्पाद, दूध, मांस और आहार संबंधी अन्य उत्पादों के नमूने लेकर उनका विकिरण स्तर मापा जाता है।
नारायणसामी ने राज्यसभा में एक अन्य प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि ये सभी प्रयोगशालाएं उच्च संवेदी उपकरणों से लैस हैं और पर्यावरणीय नमूनों में विकिरण के न्यूनतम स्तर का विश्लेषण करने की इनमें पर्याप्त सुविधाएं हैं। पर्यावरणीय नमूनों में परमाणु रिएक्टरों के शुरू होने से पहले विकिरण के स्तर की तुलना की जाती है। विभिन्न परमाणु संयंत्रों पर कराए गए अध्ययनों से यह स्पष्ट हो गया है कि वातावरण में विकिरण की मात्रा स्वीकार्य स्तर से अधिक नहीं हुई। परमाणु रिएक्टरों अथवा संयंत्रों से आम जनता को एक वर्ष में विकिरण की जिस मात्रा का सामना करना पड़ता है, वह प्राकृतिक वातावरण में मिलने वाली विकिरण की तुलना में नगण्य है। उसका स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं होता है।