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Friday 23 August 2013 09:37:04 AM
नई दिल्ली। खान मंत्री दिनिशा पटेल ने आज लोकसभा में बताया कि खान और खनिज (विकास एवं विनियमन) विधेयक 2011 (एमएमडीआर बिल) को 12.12.2012 को जांच के लिए कोयला एवं इस्पात संबंधी स्थाई समिति को भेजा गया। स्थाई समिति ने विधेयक पर अपनी36वीं रिपोर्ट दिनांक 7.5.2013 को प्रस्तुत की। एमएमडीआर विधेयक पर स्थायी समिति की सिफारिशें मंत्रालय में विचाराधीन हैं। एमएमडीआर विधेयक की अन्य बातों के साथ-साथ बाकी विशेषताएं इस प्रकार हैं-
इसमें ज्ञात खनिजीकरण के क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धात्मक बोली के माध्यम से तथा उन क्षेत्रों में जहां खनिजीकरण ज्ञात नहीं है, में प्रथम बार के आधार पर खनन पट्टे की स्वीकृति या पूर्वेक्षण लाइसेंस के लिए एक सामान्य एवं पारदर्शी व्यवस्था प्रदान करने की व्यवस्था है। यह खनन पट्टाधारकों को गहराई में स्थिति तथा छुपे हुए खनिज निक्षेपों, विशेषकर अल्प आपूर्ति वाले धातुओं के लिए एक नई रियायत के माध्यम से गवेषण हेतु उन्नत एवं परिषकृत प्रौद्योगिकियों को अपनाने में सक्षम बनाता है। यह केंद्र सरकार को केंद्रीय तकनीकी एजेंसी, नामित भारतीय खान ब्यूरो, साथ ही विनियामक प्राधिकरणों तथा अधिकरणों की लागू की गई खनन योजनाओं तथा खान बंदी योजनाओं के माध्यम से वैज्ञानिक खनिज विकास को प्रोत्साहित करने में सक्षम बनाता है।
यह राज्य सरकार को वर्तमान रियायतों को रद्द करने या भविष्य में किसी व्यक्ति को रियायत प्राप्त करने से रोकने हेतु सशक्त बनाता है, ताकि अवैध तथा अनियमित खनन को रोका जा सके। यह केंद्र सरकार तथा राज्य सरकारों को सेस लगाने व वसूल करने हेतु सशक्त बनाता है। भारतीय खान ब्यूरो जैसे विनियामक निकायों के क्षमता निर्माण से संबंद्ध गतिवधियों को वित्त पोषित करने तथा खनन क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास के मुद्दों हेतु राष्ट्रीय तथा राज्य स्तर पर खनिज कोषों की स्थापना करना है। यह खनिजों के संरक्षण के उद्देश्य से एक क्षेत्र को आरक्षित रखने का प्रावधान करता है। यह खनन क्रियाकलापों में जनजातीय और छोटे खनिकों को आने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए, छोटे निक्षेपों पर खनिज रियायत प्राप्त करने के लिए पंजीकृत सहकारिताओं को समर्थ करता है। राष्ट्रीय सतत् विकास ढांचा के माध्यम से खनन क्षेत्रों में पर्यावरण और सामाजिक आर्थिक मुद्दों के लिए पर्याप्त व्यवस्था सहित सतत् खनन सुनिश्चित करने हेतु यह केंद्र सरकार को सांविधिक व्यवस्था बनाने हेतु सशक्त करता है।
यह राष्ट्रीय खनन विनियामक प्राधिकरण की स्थापना के लिए प्रावधान करता है, जिसमें एक अध्यक्ष और अधिकतम नौ सदस्य होते हैं, जो सरकार को रॉयल्टी की दरें, अनिवार्य किराया, जिला खनिज फाउंडेशन के साथ लाभ बंटवारा, गुणवत्ता मानकों के संबंध में सलाह देता है और बड़े पैमाने पर अवैध खनन के मामलों की जांच और अभियोग भी दायर करता है। इसमें गौण खनिजों के संबंध में शक्तियों का उपयोग और प्रकार्यों को करने के लिए राज्य खनन विनियामक प्राधिकरण, जिसमें ऐसे व्यक्ति शामिल किए जाएंगे, जिन्हें राज्य सरकार निर्धारित करेगी, की स्थापना का प्रावधान है। इसमें प्रस्तावित विधान से प्रदत्त अधिकारिता शक्तियों, प्राधिकार का प्रयोग करने के लिए राष्ट्रीय खनन अधिकरण और राज्य खनन अधिकरणों को स्थापित करने का प्रावधान है। इसमें गैर कानूनी खनन से संबंधित अपराधों की तत्परता से जांच करने के उद्देश्य से विशेष न्यायालयों के गठन हेतु राज्य सरकारों को शक्तियां प्राप्त हैं। यह केंद्र सरकार को अवैध खनन के ऐसे मामलों में हस्तक्षेप करने का अधिकार देता है, जिनमें संबंधित राज्य सरकार अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई करने में असफल रहती है।इसमें प्रस्तावित विधान के कतिपय उपबंधों का उल्लंघन करने पर कठोर सज़ा का प्रावधान है।
उन्होंने बताया कि मंत्रालय ने एमएमडीआर विधेयक पर स्थायी समिति की रिपोर्ट पर विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों, विभागों और सभी राज्य सरकारों तथा संघ शासित प्रदेशों से टिप्पणी मांगी है। सरकार एमएमडीआर विधेयक के बारे में समिति की सिफारिशों पर विचार करने के बाद विधयेक में आधिकारिक संशोधन (नो) संबंधी कार्रवाई करेगी। तथापि, सरकार इस बात पर टिप्पणी नहीं कर सकती कि कब तक एमएमडीआर विधेयक संसद में पारित हो जाएगा।