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Monday 26 August 2013 09:12:05 AM
नई दिल्ली। पोत परिवहन मंत्री जीके वासन ने लोकसभा में बताया कि राइटस को दुगाराजापत्तनम में महापत्तन के लिए तकनीकी-आर्थिक व्यवहार्यता रिपोर्ट को तैयार करने के लिए सलाहकार के रूप में 31 मई 2013 को नियुक्त किया गया है। इस रिपोर्ट को प्रस्तुत करने के लिए तीन महीने की समय सीमा है। उन्होंने बताया कि 25 मिलियन टन प्रतिवर्ष (एमटीपीए) की अनुमानित क्षमता के साथ दुगाराजापत्तनम ग्रीनफील्ड पत्तन के विकास के लिए अपेक्षित अनुमानित निधि 6000 करोड़ रूपए है, तथापि नकनीकी-आर्थिक व्यवहार्यता रिपोर्ट प्राप्ति के उपरांत ही व्यय का वास्तविक अनुमान ज्ञात किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि इस परियोजना संरंचना के साथ-साथ अन्य कार्यान्वयन संबंधी मामलों के संबंध में उपयुक्त निर्णय लेने के लिए सचिवों की अधिकार प्राप्त समिति (ईसीएस) का गठन किया गया है। समिति के अध्यक्ष सचिव (पोत परिवहन) हैं। अनुवर्ती कार्रवाई प्राप्त करने और सचिवों की अधिकार प्राइज़ समिति के निर्णयों के संचालन के लिए 16-08-2013 को परियोजना कर्यान्वयन यूनिट (पीआईयू) की भी स्थापना की गई है। तकनीकी-आर्थिक व्यवहार्यता रिपोर्ट प्राप्ति के उपरांत ही इस परियोजना की निकासी की समय सीमा ज्ञात की जा सकती है।
पोत परिवहन मंत्री ने एक प्रश्न पर बताया कि मुरमुगांव सहित महापत्तनों में लौह अयस्क जैसे कुछ उत्पादों के निर्यात में गिरावट आई है। फिर भी इन्नौर, वी ओ चिदंबरनार, कोचीन, मुंबई, जवाहरलाल नेहरू और कांडला जैसे महापत्तनों से निर्यात बढ़ा है। उन्होंने पिछले तीन वर्षों के दौरान मुरमुगांव पत्तन सहित देश के विभिन्न पत्तनों से निर्यात का वर्ष वार ब्यौरा भी प्रस्तुत किया। कुछ महापत्तनों से निर्यात में गिरावट प्रमुखत: लौह अयस्क खनन पर प्रतिबंध और वैश्विक आर्थिक मंदी के कारण आई है।
उन्होंने बताया कि पत्तन क्षमता को बढ़ाने के लिए नए घाटों और टर्मिनलों का निर्माण, प्रचालनात्मक कुशलता में सुधार लाने के लिए अत्याधुनिक लदान, उतराई उपकरणों से घाटों का आधुनिकीकरण, अधिक कार्गो को आकर्षित करने और निपज बढ़ाने के लिए पत्तनों द्वारा पहलें, पत्तनों के खासतौर पर मुरगांव पत्तन में कार्गो में विपथन के लिए पहलें जैसे उपाय किए गए हैं।