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Friday 6 September 2013 09:10:16 AM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कल उड़ीसा केंद्रीय विश्वविद्यालय कोरापुट के चौथे स्थापना दिवस पर राष्ट्रपति भवन से वीडियों कांफ्रेंसिंग के माध्यम से विद्यार्थियों को संबोधित किया। राष्ट्रपति ने कहा कि बड़ी संख्या में प्रतिभाशाली विद्यार्थी भौगोलिक सीमाओं या फिर आर्थिक दिक्कतों के कारण उच्च शिक्षा से वंचित रह जाते हैं, हमारे विश्वविद्यालयों को ऐसे विद्यार्थियों तक पहुंच, गुणवत्ता, उपलब्धता और शिक्षकों की कमी जैसी समस्याओं से निपटने के लिए ई-शिक्षा जैसी तकनीकों का इस्तेमाल करना चाहिए, इससे विद्यार्थियों के दाखिले के औसत में बढ़ोतरी होगी।
ऐसा पहली बार हुआ है, जब राष्ट्रपति भवन में हाल ही में स्थापित वीडियो कांफ्रेंसिंग का इस्तेमाल राष्ट्रपति ने किसी केंद्रीय विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को संबोधित करने के लिए किया है। राष्ट्रपति ने कहा कि पहली बार इस विद्यालय में बातचीत करने का अवसर उन्हें 2011 में तब मिला था, जब वे वित्त मंत्री थे। उन्होंने कहा कि उड़ीसा केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना 2009 में एक आदिवासी जनसंख्या वाले क्षेत्र कोरापुट में हुई थी, यह विश्वविद्यालय भाषा, सामाजिक विज्ञान, आधारभूत विज्ञान और विकास अध्ययनों के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों की पेशकश करता है और मैंने भी गुणात्मक शिक्षा संवृद्धि के लिए निरंतर प्रयास किया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत लोकतांत्रिक राजनीति और बहुलवादी समाज का उज्जवल उदाहरण है, लोकतंत्र केवल आपको अधिकार ही नहीं देता, उत्तरदायी भी बनाता है, अपने सपनों के देश का निर्माण करने के लिए हमें सक्षम और प्रतिबद्ध व्यक्तियों की आवश्यकता है, हमारे विश्वविद्यालयों को चरित्रवान और ईमानदार महिला और पुरुषों को तैयार करना चाहिए, हमारे समाज में मूल्यों से भटकाव को रोकना चाहिए, हमारे शिक्षण संस्थानों का कर्तव्य है कि वह युवाओं की सोच बदलें और उसमें मातृभूमि के लिए प्रेम के लिए आवश्यक सभ्यता मूलक मूल्य प्रतिस्थापित करें।
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि उच्च आर्थिक विकास हमारी विकास रणनीति का अखंड भाग है, इसको हासिल करने के लिए हमें ज्ञान अर्थव्यवस्था को लामबंद करने की योग्यता पर निर्भर होना पड़ेगा, इसका निर्माण एक ठोस उच्च शिक्षा व्यवस्था के द्वारा होना चाहिए, इन चुनौतियों को पूरा करने के लिए हमारी उच्च शिक्षा व्यवस्था में एक लोचपूर्ण और प्रयोगात्मक रणनीति का रूप अपनाए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कई प्रतिभावान छात्रों के सामने भौगोलिक स्थिति अथवा आर्थिक कठिनाइयों के कारण उच्च शिक्षा में रूकावट आती है, इन समस्याओं का समाधान करने के लिए हमारे विश्वविद्यालयों को प्रौद्योगिकी सोल्यूशन जैसे ई-एजुकेशन आदि का उपयोग करना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालय हमारे देश में उच्च शिक्षा के मानक स्थापित करने में प्राथमिक भूमिका का निर्वाह कर रहे हैं, उन्हें शिक्षा के इस क्षेत्र में दूसरे संस्थानों को सशक्त करने का उतप्रेरक होना चाहिए। हमारे केंद्रीय विश्वविद्यालय ने इनसे जुड़े क्षेत्रों में काम के विस्तार के माध्यम से स्थानीय प्रतिभाशाली युवाओं की सक्रिय भागीदारी को सूचीबद्ध किया था, भविष्य में विकास के लिए प्रयोगात्मकता एक निर्धारक कारक होगी, हमारी शिक्षा व्यवस्था को प्रयोगात्मक गतिविधियों को प्रेरित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जीवन में सत्य, ज्ञान और कठिन परिश्रम को अपना स्थायी साथी बनाएं, यह जीवन में चुनौतियों पर जीत हासिल करने और जीवन में सफलता का साधन बनने का विश्वास प्रदान करेगा।