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Friday 6 September 2013 10:38:03 AM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि सूचना का अधिकार अधिनियम इसलिए लागू किया गया, ताकि सरकारी विभागों और सरकार के पास उपलब्ध सूचनाओं तक जनता की पहुंच हो सके तथा विभिन्न विभागों में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व में वृद्धि की जा सके। वे केंद्रीय सूचना आयोग के आठवें वार्षिक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम में सूचना के नियंत्रकों और साधारण जनता के बीच उचित शक्ति-संतुलन कायम होता है।
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि पिछले 8 वर्षों के दौरान जनता ने सूचना की मांग में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है, आयोग ने सूचना प्रदान करने के लिए कुछ बुनियादी सिद्धांत तय किए हैं। उन्होंने कहा कि आयोग के सामने कई अपीलें, शिकायतें मौजूद हैं, जिनसे पता चलता है कि सूचनाओं के स्वैच्छिक खुलासे की गुणवत्ता में बढ़ोतरी करने की जरूरत है, इसलिए जरूरत इस बात की है कि देश के सभी सार्वजनिक विभाग सभी सूचनाएं लोगों को उपलब्ध कराने की प्रणाली विकसित करें। उन्होंने कहा कि अप्रैल 2013 में कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने सूचनाएं प्रदान करने के संबंध में मंत्रालयों, विभागों और सार्वजनिक विभागों के लिए विस्तृत दिशा निर्देश जारी किए थे, इसके अंतर्गत मंत्रालयों, विभागों के एक संयुक्त सचिव स्तरीय अधिकारी को नोडल अधिकारी के रूप में नियुक्त करने की बात कही गई थी, जो अधिनियम की धारा 4 के तहत इस गतिविधि की निगरानी करेगा और केंद्रीय सूचना आयोग को प्रगति की जानकारी देगा।
राष्ट्रपति ने इस बात पर प्रसन्नता जाहिर की कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन करने के संबंध में नागरिकों के लिए एक पोर्टल शुरू किया है। प्रणव मुखर्जी ने कहा कि लोगों को इस बात का भी एहसास होना चाहिए कि पारदर्शिता और लोकतंत्र के प्रति जागरूकता होने के साथ-साथ निजता का अधिकार भी होता है। सार्वजनिकता और निजता के बीच एक पतली विभाजक रेखा मौजूद होती है, सूचना का अधिकार अधिनियम में ऐसे मुद्दों से निपटने के लिए प्रावधान किए गए हैं, लेकिन कुछ क्षेत्रों में और स्पष्टता की आवश्यकता है, इसलिए इस तरह की व्यवस्था भी की जानी चाहिए जो लोगों की निजता की रक्षा करे, ताकि गलत तरीके से उनकी निजता भंग न हो सके।