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Sunday 8 September 2013 07:54:15 AM
नई दिल्ली। भारतीय रेल ने तकनीकी विकास के क्षेत्र में एक और उचित कदम बताया है। रेल के डीजल इंजनों में ईंधन की बचत के उद्देश्य से ऑक्ज़ीलरी पावर यूनियन (एपीयू) नामक एक उपकरण लगाया जाएगा। इससे प्रतिवर्ष प्रत्येक इंजन में 20 लाख रूपए से अधिक की बचत होगी। इस उपकरण को अभी बारह डीज़ल इंजनों में लगाया गया है। भविष्य में ऑक्ज़ीलर पॉवर यूनिट सभी नए डीजल इंजनों में लगाए जाएंगे। ऐसा करने से अनुमान है कि प्रति वर्ष साठ करोड़ रूपए की बचत होगी।
इस उपकरण के प्रयोग से कार्बन डाईआक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड तथा हाइड्रो कार्बन जैसे प्रदूषकों का उत्सर्जन भी कम होगा। रेलगाड़ियों की संख्या अधिक और पटरियों की संख्या कम होने से गाड़ियों को काफी समय तक रूक कर एक-दूसरे को आगे जाने का मौका देना पड़ता है। ऐसे समय ईंधन की बचत करने में इस एपीयू उपकरण की भूमिका महत्वपूर्ण है। दस मिनट से अधिक अगर डीज़ल इंजन रूकता है तो एपीयू उपकरण का मुख्य इंजन बंद हो जाता है और 25 हॉर्स पावर के इंजन काम शुरू कर देते हैं, बैटरियों और एयर ब्रेक फाइट को चार्ज करना शुरू करते हैं।
मुख्य इंजन की तुलना में प्रति घंटे एपीयू में केवल तीन लीटर डीजल की खपत होती है, जबकि मुख्य इंजन में एक घंटे में 25 लीटर डीज़ल की खपत होती है। केवल ईंधन की बचत की बात की जाए तो डीजल इंजन में एपीयू के लगे होने से प्रति इंजन, प्रति वर्ष 20 लाख रूपए तक की बचत होने की संभावना है। ऑक्ज़ीलरी पावर यूनिट में एक छोटा डीजल इंजन है, जो कि एक कांप्रेसर तथा ऑल्टरनेटर के साथ जुड़ा हुआ है, ताकि बैटरी चार्ज हो सके। इसमें नियंत्रण तथा अन्य आवश्यकताओं के लिए विशेष व्यवस्था है और यह इंजन के नियंत्रण के लिए लगे हुए माइक्रोप्रोसेसर का अभिन्न अंग है।