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Wednesday 11 September 2013 09:24:10 AM
तिरूअनंतपुरम। तिरूअनंतपुरम में केरल विधानसभा की 125वीं वर्षगांठ के मौके पर उपराष्ट्रपति एम हामिद अंसारी ने कहा कि यह अवसर तत्कालीन त्रावनकोर राज्य की 1888 में शुरू की गई विधानसभा परंपरा का प्रतीक है, यह परंपरा तब भी थी, जब त्रावनकोर और कोच्चि का विलय हुआ था, लेकिन भारत के संविधान के तहत दिसंबर 1951 में राज्य विधानसभा के चुनावों के बाद इसे अलग रूप दिया गया तथा राज्य पुनर्गठन अधिनियम 1956 के तहत मालाबार क्षेत्र को केरल के साथ जोड़े जाने पर इसे और मज़बूत किया गया था।
उन्होंने कहा कि किसी भी विधानसभा का यह उद्देश्य है कि वह मुद्दों पर विचार-विमर्श करे, कानून बनाए और जवाबदेही तय करे। केरल विधानसभा के पिछले सत्रों को देखने से यह पता चलता है कि यह काम सही तरह से किया गया है। यह विधायकों की पीढ़ियों की प्रतिबद्धता, निर्वाचक वर्ग की राजनीतिक जागरूकता और संसदीय लोकतंत्र के सिद्धांतों के प्रति उनकी निष्ठा को श्रद्धांजलि है।
उन्होंने केरल के प्रगतिशील विधायी रिकॉर्ड और शिक्षा तथा स्वास्थ्य के क्षेत्र में उसकी उल्लेखनीय उपलब्धियों का उल्लेख भी किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय गतिविधियों के कई क्षेत्रों में उन्नति के लिहाज़ से देश के दक्षिण-पश्चिम कोने में स्थित केरल को एक मॉडल के रूप में देखा जा सकता है।