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लेखाविधि और वाणिज्यिक शिक्षा पर सम्मेलन

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Thursday 12 September 2013 11:09:05 AM

नई दिल्‍ली। कंपनी मामलों के मंत्रालय के तत्वावधान में भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान (आईसीएआई) की ओर से लेखा और वाणिज्य शिक्षा पर कल यहां एक सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन में वाणिज्य और लेखा शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी शिक्षाविदों और पेशेवर लेखाकारों को शिक्षा पद्धति परीक्षा सुधार और प्रासंगिक पाठ्यक्रम पर विचारों के आदान-प्रदान के लिए मंच उपलब्ध कराया गया। सम्मेलन में पीएचडी चेंबर के अध्यक्ष सुमन ज्योति खेतान अतिथि के रूप में उपस्थित थे। उनके अलावा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, भारतीय प्रबंधन संस्थान समेत देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, प्रधानाध्यापकों, विभाग प्रमुखों और प्रोफेसरों ने भी सम्मेलन में हिस्सा लिया।
सुमन ज्योति खेतान ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि वैश्विक स्तर पर व्यापार के कामकाज के तरीकों में जिस तेजी से बदलाव आ रहे हैं, उससे लेखा के पेशे में ऐसे कुशल पेशेवरों की जरूरत महसूस की जा रही है, जो नए परिवर्तनों को अपने कामकाज के तरीकों में शामिल कर सकें। लेखाकारों को नए कौशल और ज्ञान प्रदान करने की जिम्मेदारी समाज की शिक्षा प्रणाली के कंधों पर है। मौजूदा परिवेश में शिक्षा के क्षेत्र में नए बदलाव और नियमों को शामिल करना जरुरी हो गया है। सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य खासतौर से अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग के मानकों, संशोधित कंपनी कानून-2013, वित्तीय रिपोर्टिंग की शब्दावली के लिए तय मानकों, वस्तु एवं सेवा कर तथा बहीखातों के लिए तय नए नियमों के परिप्रेक्ष्य में देश में वाणिज्य और लेखा शिक्षा की वर्तमान पद्धति का मूल्यांकन करना था। इसके अलावा सम्मेलन में भारतीय व्यापार और समाज के लिए सक्षम मानव संसाधन उपलब्ध कराने के लिए पाठ्यक्रम में आवश्यक बदलाव पर भी जोर दिया गया।
आईसीएआई के अध्यक्ष सुबोध कुमार अग्रवाल ने सम्मेलन में मौजूद प्रतिनिधियों को वित्तीय सुधारों, आईएफआऱएस, आर्थिक जगत से जुड़े नये कानूनों, अंतर्राष्ट्रीय पूंजी बाजार और उनके परस्पर संबंधों तथा विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में लेखा और अंकेक्षण विषयों को समाहित किए जाने संबंधित जानकारी दी। उन्होंने सम्मेलन के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसके जरिए देश में प्रासंगिक वाणिज्य एवं लेखा शिक्षा प्रदान करने के लिए विश्वविद्यालय शिक्षा और पेशेवर लेखा शिक्षा व्यवस्था के बीच तालमेल बैठाना है।

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