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Wednesday 18 September 2013 08:34:52 AM
नई दिल्ली। भारत सरकार ने दोहरे कराधान के परिहार तथा आयकर के संबंध में वित्तीय चोरी (डीटीएए) के संबंध में लात्विया की सरकार के साथ एक करार एवं सहमति-पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। इस करार एवं सहमति-पत्र पर भारत सरकार की ओर से विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद तथा लात्विया सरकार की ओर से विदेश मंत्री एडगर्स रिंकेविक्स ने हस्ताक्षर किए। लात्विया ऐसा तीसरा बाल्टिक देश है, जिसके साथ भारत ने डीटीएए पर हस्ताक्षर किए हैं। पूर्व में लिथुआनिया और एस्टोनिया के साथ हस्ताक्षरित डीटीएए प्रभाव में आ गए हैं।
डीटीएए में प्रावधान है कि यदि किसी उद्यमी का उपक्रम किसी मूल देश में स्थायी रूप से संस्थापित (पीई) है, तो उसके क्रियाकलापों से उत्पन्न व्यावसायिक लाभ स्रोत पर कर योग्य होगा। इस करार में प्रावधान है कि पीई का स्थायी स्थान, भवन स्थल, निर्माण अथवा असेंबली पीई, सर्विस पीई, समुद्र से परे तेल शोधन/पीई शोधन तथा एजेंसी पीई शामिल किए गए हैं। अनुशंगिक उपक्रमों से संबंधित अनुच्छेद के पैरा-2 को करार में शामिल किया गया है। इससे मूल्यों के समायोजन के हस्तांतरण से अंतरविष्ट मामलों में दोहरे कराधान से मुक्ति की पारस्परिक सहमति की प्रक्रिया को बढ़ावा मिलेगा।
लाभांश, ब्याज तथा रॉयल्टी एवं तकनीकी सेवाओं से मिलने वाली फीस की आय निर्धारिती के निवास के देश तथा स्रोत के देश, दोनों पर ही कर योग्य होगी। लाभांश, ब्याज, रॉयल्टी तथा तकनीकी सेवाओं के लिए फीस (10 प्रतिशत) के लिए कराधान की न्यून दरें इन दोनों देशों के बीच उच्चतर निवेश, प्रौद्योगिकी के प्रवाह तथा तकनीकी सेवाओं को प्रोत्साहन प्रदान करेंगे। करार में आगे यह भी प्रावधान है कि नवीनतम अंतर्राष्ट्रीय मानकों, बैंकिंग जानकारी के आदान-प्रदान तथा आंतरिक हितों की परवाह किए बगैर जानकारी लेने-देने सहित नवीनतम अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप दोनों देशों के बीच कर अधिकारियों को जानकारी का प्रभावी आदान-प्रदान किया जाएगा।
इस करार में प्रावधान है कि आपूर्तिकर्ता देश की सहमति से अन्य एजेंसियों को सूचना का आदान-प्रदान किया जाएगा। करार में करों के संग्रह में सहायता करने का भी अनुच्छेद रखा गया है। इस अनुच्छेद में अनुरक्षण के उपायों के प्रावधान को भी शामिल किया गया है। करार में दो देशों के वास्तविक निवासियों के लाभों को निर्बाध (लाभों को संसीमित) करने का प्रावधान भी है। करार से भारत और लात्विया के निवासियों के कर को स्थायित्व मिलेगा और दो देशों के बीच पारस्परिक आर्थिक सहयोग को बल मिलेगा। इससे भारत और लात्विया के बीच निवेश, प्रौद्योगिकी और सेवाओं के प्रवाह में तेजी आएगी।