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सुरक्षित बंदरगाह नियम को अंतिम रूप दिया गया

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 18 September 2013 09:15:52 AM

नई दिल्‍ली। विभिन्‍न शेयरधारक के साथ विचार विमर्श के बाद सुरक्षित बंदरगाह नियम को अंतिम रूप दे दिया गया है। ये नियम निर्धारण वर्ष 2013-14 से 5 निर्धारण वर्षों के लिए मान्‍य होंगे। आयकर अधिनियम की धारा 92 सीबी के अंतर्गत सुरक्षित बंदरगाह‍ नियम तैयार करने का प्रावधान किया गया है। इस अधिनियम की धारा 92सी या 92 सीए मूल्‍य निर्धारण का घटक सुरक्षित बंदरगाह नियमों के अध्‍याधीन है। धारा 92 सी बी में सुरक्षित बंदरगाह नियम की परिभाषा दी गई है, जिससे तात्‍पर्य उन परिस्थितियों से है जिनमें मूल्‍यांकिति से घोषित हस्‍तांतरण मूल्‍य आयकर प्राधिकारी स्‍वीकार करेगा।
सुरक्षित बंदरगाह नियमों के प्रारूप को केंद्रीय प्रत्‍यक्ष कर बोर्ड के साथ-साथ जनसामान्‍य के विचार जानने के लिए 14 अगस्‍त 2013 को प्रेस विज्ञपित जारी की गई थी, जिनमें विभिन्‍न शेयरधारकों की राय मांगी गई थी। हिस्‍सेदारों से टिप्पिणयों पर विमर्श कर और आवश्‍यक सुधार करने के बाद यह नियमों का प्रारूप तैयार किया गया। अंतिम रूप से तैयार सुरक्षित बंदरगाह नियमों को अलग से अधिसूचित किया गया है। अंतिम रूप से तैयार सुरक्षित बंदरगाह नियमों की मुख्‍य बातें इस प्रकार हैं-सुरक्षित बंदरगाह नियम निर्धारण वर्ष 2013-14 से 5 निर्धारण वर्ष से तक लागू होंगे। कोई निर्धारिति अपनी इच्‍छानुसार सुरक्षित बंदरगाह शेयर धारिता की अवधि का विकल्‍प दे सकता है, किंतु यह अवधि 5 निर्धारण वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। तीन सीईएफ फार्म को भर कर यह विकल्‍प अपनाया जा सकता है।
सामान्‍य आईटीएस और आईटीएस गतिविधियों के मामले में पहले निर्धारित 100 करोड़ रूपये की अधिकतम सीमा को हटा दिया गया है। पांच सौ करोड़ रूपये तक के लेन-देन के लिए सुरक्षित बंदरगाह मार्जिन राशि 20 प्रतिशत कर दी गई है और 500 करोड़ रूपये से ज्‍यादा के लेन-देन के लिए यह 22 प्रतिशत होगी। इसी भांति कार्पोरेट गारंटी के लेन- देन के लिये दिये जाने वाले 100 करोड़ रूपये की अधिकतम सीमा को हटा दिया गया है। सेबी के पास पंजीकृत रेटिंग एजेंसी से पर्याप्‍त उच्‍चतम सुरक्षित रेटिंग हासिल की हुई सहायक कंपनी अगर 100 करोड़ से ऊपर का लेन-देन करती हैं, तब ऐसे मामले में सुरक्षित बंदरगाह लाभ उपलब्‍ध होगा। इसके लिए भी सुरक्षित बंदरगाह मार्जिन राशि में गारंटीशुदा रकम में 1.07 प्रतिशत कम कर दिया गया है।
नॉलेज प्रोसेस आउट सोर्सिंग (केपीओ) की भी युक्तिसंगत व्‍याख्‍या कर सामान्‍य बिजनेस प्रोसेस आउट सोर्सिंग गतिविधियों से अलग किया गया है और सुरक्षित बंदरगाह मार्जिन राशि को 30 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत किया गया है। केपीओ के लेन-देन में भी अधिकतम सीमा को हटा दिया गया है। अगर निर्धारिति नियम में दिए पात्रता तथा ऐसे अंतर्राष्‍ट्रीय लेन-देन के की शर्तों से संतुष्‍ट है तभी सुरक्षित बंदरगाह नियमों के प्रावधान के लाभों की पात्रता होगी। मूल्‍यांकिति की पात्रता तथा अंतर्राष्‍ट्रीय लेन-देन के निर्धारण के संबंध में एक सयमबद्ध प्रक्रिया का नियमों में प्रावधान है। असेसी से दिये गये विकल्‍प को मूल्‍यांकिति की सुनवाई के उपरांत कारण दर्शाते हुए आदेश पारित करके उसके विकल्‍प को रद्द किया जा सकेगा। पात्रता के संबंद्ध में किसी प्रतिकूल निष्‍कर्ष के विरूद्ध निर्धारिति को यह अधिकार होगा कि आयुक्‍त के समक्ष अपनी आपत्ति दर्ज करा सके। तदोपरांत आयुक्‍त ऐसे निर्धारिति के दिये गए विकल्‍प के बारे में अपना निर्णय देगा।
यदि नियमों में अधिसूचित समय सीमा में अधिकारियों द्वारा कार्रवाई नहीं की जाती है, तो निर्धारिति विकल्‍प अपनाया जा सकता है। (क) मूल्‍यांकनकर्ता अधिकारी फार्म संख्‍या 3 सीईएफए की प्राप्ति के माह की समाप्ति से दो माह के अ‍वधि के भीतर मूल्‍यांकन अधिकारी के पास ऐसे संदर्भ को भेजेगा। (ख) ऐसे संदर्भ की प्राप्ति के माह के अंतिम तिथि से दो माह के भीतर मूल्‍यांकिति के दिये गए विकल्‍प की वैधता का निर्धारण करने के बाद आदेश पारित करेगा। (ग) आयुक्‍त उसके पास प्राप्‍त हुए किसी आपत्ति के माह के अंत से 2 माह की अवधि के भीतर मूल्‍यांकिति से प्राप्‍त उसकी आपत्ति पर अपना आदेश पारित करेगा। जब तक निर्धारिति मूल्‍यांकन अधिकारी को एक वक्‍तव्‍य प्रस्‍तुत करके सुरक्षित बंदरगाह की अंशधारिता से हटने का स्‍वेच्‍छापूर्वक अपना विकल्‍प नहीं देता, मूल्‍यांकिति का अपना विकल्‍प वैध रहेगा।
जिस समयावधि में सुरक्षित बंदरगाह का उपयोग का विकल्‍प अपनाया गया, उससे संबंधित निर्धारण वर्ष के दौरान हुए अंतर्राष्‍ट्रीय लेन-देन, इसका तरीका ऑपरेटिंग मार्जिन या ब्‍याज दर या दलाली के बारे में निर्धारिति को एक वक्‍तव्‍य प्रस्‍तुत करना होगा। यदि असेसी की पात्रता या उस पर अंतर्राष्‍ट्रीय लेन-देन से संबंधित तथ्‍य तथा परिस्थतियों में परिवर्तन होने पर और एक निर्धारण वर्ष के बाद प्रारंभिक निर्धारण वर्ष में असेसी की पात्रता अवैध हो सकती है, हालांकि असेसी का पक्ष सुनने के बाद ही ऐसा किया जा सकता है।

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