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Monday 23 September 2013 09:19:48 AM
नई दिल्ली। केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री आनंद शर्मा के नेतृत्व में 120 सदस्यों के प्रमुख भारतीय व्यापारिक शिष्टमंडल ने शुक्रवार को सेंट पीटर्सबर्ग में भारत-रूस व्यापार एवं निवेश फोरम की बैठक में रूस के व्यापारियों के साथ परस्पर व्यापार बढ़ाने के विभिन्न अवसरों पर विचार-विमर्श किया। फार्मास्युटिकल और चिकित्सा उद्योग, पर्यटन एवं चिकित्सा पर्यटन और वस्तुओं, सेवाओं और नए उत्पादों में व्यापार के बारे में तीन दौर की बातचीत में इन क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया। आनंद शर्मा ने रूस के आर्थिक विकास मंत्री, उप प्रधानमंत्री और उद्योग मंत्री के साथ बातचीत की। अगले महीने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की रूस यात्रा की संभावना को देखते हुए आनंद शर्मा की यह यात्रा महत्वपूर्ण है।
स्वदेश लौटने पर आनंद शर्मा ने बताया कि दोनों देशों में उभरते अवसरों का आकलन किया गया और उनके बारे में बातचीत की गई, हमें उम्मीद है कि तीन दौर की बातचीत में पहचान किए गए क्षेत्रों में सहयोग की विशेष परियोजनाओं की रूपरेखा तैयार की जायेगी। फोरम की बैठक में फार्मास्युटिकल क्षेत्र पर प्रमुखता से ध्यान दिया गया। शर्मा ने भारतीय कंपनियों के लिए रूस में नियम सरल बनाने की मांग की, जो रूस में न केवल बाजार पहुंच बढ़ाने की इच्छुक हैं, बल्कि विनिर्माण का आधार भी व्यापक करना चाहती हैं।
उरर्वक क्षेत्र में भी भारत का ध्यान आकर्षित किया गया। इसके अंतर्गत रूस में फोस्फेट और पोटास के उत्पादन के लिए भारतीय कंपनियों के साथ संयुक्त उद्यम लगाए जाने की संभावनाओं पर विचार किया गया। रूस में उपलब्ध उरर्वक संसाधन और भारत में उरर्वकों की बढ़ती मांग को देखते हुए इस क्षेत्र में परस्पर सहयोग की व्यापक संभावनाएं महसूस की गईं। रूस की एक्रोन और आर्गसिंटेज़ दो प्रमुख कंपनियां इफ्को के साथ बातचीत कर रही हैं, क्योंकि उनके पास पोटाश और फास्फेट के संसाधन उपलब्ध हैं।
फोरम की यह सातवीं बैठक थी, जिसका विशेष उद्देश्य दोनों देशों के व्यापारियों के बीच आर्थिक सहयोग बढ़ाना था, ताकि परस्पर लाभ के समझौते किए जा सकें। बैठक में औद्योगिक मशीनों, हीरों आदि के क्षेत्र में सहयोग की संभावनाओं पर भी विचार किया गया। नए क्षेत्रों के रूप में आटोमोबाइल, इलेक्ट्रिकल उपकरण, रसायन, खनन और डिब्बा बंद खाद्य वस्तुओं की पहचान की गई। भारत और रूस के बीच आईटी सेवाओं में सहयोग पर भी ध्यान केंद्रित किया गया। कुछ महत्वपूर्ण परियोजनाएं जिन पर विचार किया गया, वे इस प्रकार हैं-
हेलीकॉप्टरों के विकास के लिए हिंदुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड को संयुक्त केंद्र बनाते हुए भारत-रूस संयुक्त उद्यम की स्थापना। अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए नाइट्रोजन टेट्रा ऑक्साइड का उत्पादन। कच्चे हीरों की आपूर्ति के लिए दीर्घावधि के वास्ते एमएमटीसी और अल्सोरा के बीच संभावित भावी सहयोग। ओएनजीसी विदेश लिमिटेड ने रूस की ऊर्जा कंपनियों के साथ हाइड्रो कार्बन क्षेत्र में सहयोग की संभावनाओं पर विचार किया।
रेनबेक्सी लेबोरेट्रीज़ लिमिटेड और येरोस्लाव सरकार के बीच संयुक्त परियोजना। नई निवेश नीति के तहत भारत में यूरिया उत्पादन में रूसी कंपनियों की भागीदारी। जामनगर, भारत में रिलायंस उद्योग स्थल पर एक लाख टन प्रतिवर्ष उत्पादन क्षमता के साथ बुटिल रबड़ के विनिर्माण के लिए संयंत्र लगाना।