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भारत का आसियान को कृषि में सहयोग का प्रस्‍ताव

क्‍वालालमपुर में तीसरी आसियान-भारत मंत्री स्‍तरीय बैठक

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Saturday 28 September 2013 09:21:24 AM

sharad pawar

क्‍वाला लमपुर। कृषि और खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग मंत्री शरद पवार ने आज आसियान देशों को आमंत्रित किया कि वे कृषि अनुसंधान में भारत के साथ सहयोग करें, ताकि जलवायु परिवर्तन जैसी साझा चुनौतियों का सामना मिलकर किया जा सके। उन्‍होंने कृषि के क्षेत्र में भारत के व्‍यापक अनुभव आसियान देशों को प्रदान करने की भी पेशकश की। वे आज क्‍वाला लमपुर में कृषि के बारे में आसियान-भारत तीसरी मंत्री स्‍तरीय बैठक को संबोधित कर रहे थे।
कृषि क्षेत्र में भारत-आसियान के सहयोग के महत्‍व का स्‍पष्‍ट करते हुए शरद पवार ने कहा कि जलवायु परिवर्तन संबंधी अंतर-सरकारी समिति‍ की रिपोर्ट में औसत तापमान में वृद्धि और वर्षा के घनत्‍व के कारण बार-बार बाढ़, प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि, नए जैविक दबाव उत्‍पन्‍न होना आदि घटनाएं सामने आ रही हैं, इससे कृषि क्षेत्र के विकास और स्थिरता पर दवाब बढ़ गया है, जलवायु संबंधी इन परिवर्तनों का गंभीर दुष्‍प्रभाव दक्षिण और दक्षिण पूर्वी एशिया क्षेत्र में अधिक पड़ने की आशंका है।
कृषि मंत्री ने कहा कि भूमि आधार सिकुड़ने, जल संसाधनों के ह्रास, कृषि श्रमिकों के अभाव और अंतर्राष्‍ट्रीय बाजारों में बढ़ती लागत और उतार-चढ़ाव संबंधी अनिश्चितताएं, जैसी अन्‍य व्‍यापक चुनौतियों का भी कृषि क्षेत्र को सामना करना पड़ रहा है, उच्‍च मूल्‍य वाली फसलों में विविधता और पशु धन को बढ़ावा देकर न केवल कृषि में आय और तीव्र विकास में सुधार किया जा सकता है, बल्कि किसानों के उत्‍पादन के आधार प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव भी कम किया जा सकता है।
शरद पवार ने गरीबी दूर करने में खेती के महत्‍व पर जोर दिया। उन्‍होंने कहा कि भारत में कृषि क्षेत्र में एक प्रतिशत विकास दर बढ़ने से अन्‍य क्षेत्रों की तुलना में गरीबी दूर करने में दुगुनी मदद मिलती है, उन्‍होंने कहा कि राष्‍ट्र अब यह समझने लगे हैं कि सकल घरेलू उत्‍पाद में वृद्धि या सैन्‍य शक्ति बढ़ाने अथवा खनिज और तेल संपदा भंडारों में वृद्धि मात्र से नहीं, बल्कि लोगों के लिए भोजन और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करके ही किसी राष्‍ट्र की दीर्घावधि शांति‍ और स्थिरता की गारंटी दी जा सकती है।
पिछले वर्ष हुई बैठक के बाद कृषि क्षेत्र में सहयोग की दिशा में हुई प्रगति पर संतोष प्रकट करते हुए उन्‍होंने कहा कि आसियान-भारत के कृषि विश्‍व विद्यालयों और अनुसंधान संस्‍थानों के प्रमुखों की कुछ महीने पहले नई दिल्‍ली में हुई बैठक में सहयोग के तौर तरीकों संबंधी कार्य नीतियों की पहचान की गई थी और वैज्ञानिकों के आदान प्रदान पर बल दिया गया था, भारत-आसियान कार्यदल की तीसरी बैठक मई 2013 में भारत में हुई थी, जिसमें भारत ने आपसी हित की अनुसंधान परियोजनाओं की पहचान की थी। उन्‍होंने चौथी मंत्री स्‍तरीय बैठक नई दिल्‍ली में आयोजित करने के लिए आसियान कृषि मंत्रियों को आमंत्रित किया।

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