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Monday 30 September 2013 09:28:50 AM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्ज़ी ने एशिया और प्रशांत के लिए समन्वित ग्रामीण विकास केंद्र की शासकीय परिषद की उन्नीसवीं बैठक का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने देश एवं विदेश से पधारे हुए विशिष्ट प्रतिनिधियों का हार्दिक स्वागत किया, उन्होंने केंद्र की सफलता के लिए भी शुभकामनाएं दीं।
केंद्र का गठन 1979 में खाद्य और कृषि संगठन के तहत एशिया और प्रशांत क्षेत्र में ग्रामीण विकास के लिए सेवारत संस्थान के रुप में कार्य करने, क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने तथा राष्ट्रीय कार्रवाई में सहायता करने के लिए किया गया था। भारत इसके संस्थापक सदस्यों में से एक है। केंद्र के सदस्य देशों की शासकीय परिषद तथा मिनिस्ट्रीयल रिट्रीट के विशेष सत्र की यहां मेजबानी की गई और नई दिल्ली घोषणा को अपनाया गया। एशिया-प्रशांत क्षेत्र में ग्रामीण विकास पर दूसरी मंत्रिमंडल बैठक 2010 में ढाका में आयोजित की गई थी और इसमें ढाका घोषणा को अपनाया गया। इन घोषणाओं से केंद्र को मार्गदर्शन मिलता रहा है। मुखर्जी ने आशा जताई कि ग्रामीण विकास तथा गरीबी उपसमन मुद्दों पर विचार करने से अच्छे परिणाम हासिल होंगे।
उन्होंने दावा किया कि आर्थिक विकास से गरीबी कम हई है, यह विश्व में देखा गया है कि 1990 और 2010 के बीच करीब एक अरब लोगों को गरीबी से छुटकारा मिला है। एशिया-प्रशांत क्षेत्र में तेजी से विकास हो रहा है, किंतु इस क्षेत्र में अभी भी गरीबी और पिछड़ापन दिखाई देता है, सतत विकास के लिए ग्रामीण जनसंख्या खासकर गरीब और वंचितों की क्षमता का निर्माण करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में खाद्य सुरक्षा, शिक्षा, कौशल विकास, रोज़गार, प्रौद्योगिकी विकास, स्वास्थ्य और पोषण, घर, पीने के पानी तथा स्वच्छता पर बल दिये जाने की जरुरत है, हमारे देश में ग्रामीण विकास को सदैव प्रमुखता दी गई है।