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Tuesday 1 October 2013 09:20:18 AM
नई दिल्ली। भारत सरकार और युवा मामलों व खेल मंत्रालय ने प्रतिभाएं खोजने व प्रशिक्षण संबंधी मौजूदा योजना में संशोधन किया है और इसका नाम बदलकर 'खेलों में मानव संसाधन विकास की योजना' रखा गया है। यह घोषणा आज युवा मामलों व खेल राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने की। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य देश में खेलों के समग्र विकास के लिए खेल विज्ञानों व खेलों संबंधी दवाओं में मानव संसाधन के विकास पर ध्यान देना है, इससे इन क्षेत्रों में देश को स्वावलंबी बनने व विशेषकर प्रस्तावित राष्ट्रीय खेल विज्ञान व दवा संस्थान की ज़रूरतें पूरी करने में मदद मिलेगी।
इस योजना में जो क्षेत्र समाविष्ट हैं वे हैं-इन विषयों में स्नातकोत्तर व डॉक्टोरल स्तरों पर विशेष अध्ययन के लिए छात्रवृत्ति (क) बॉयोमेकेनिक्स, (ख) कीनेसीओलॉजी, (ग) मानवमिति, (घ) व्यायाम संबंधी शारीरिक विज्ञान, (ड.) खेल मनोविज्ञान, (च) प्रशिक्षण के आम सिद्धांत व प्रणाली (जीटीएमटी) (छ) खेलों संबंधी दवाएं, (ज) खेलों संबंधी पोषण और (झ) डोपिंग विरोधी। खेल विशेषज्ञों, प्रशिक्षकों, सहायक व मैच अधिकारियों को संबंधित क्षेत्रों में विशेष अध्ययन के लिए फेलोशिप/छात्रवृत्तियां। खेलों संबंधी खोज प्रोजेक्टों के लिए आर्थिक अनुदान। खेलों से सीधे संबंधित प्रकाशनों/पत्रिकाओं के लिए आर्थिक अनुदान। खेलों संबंधी मामलों पर अंतर्राष्ट्रीय गोष्ठियों, सम्मेलनों व कार्यशालाओं में भाग लेने के लिए आर्थिक अनुदान। देश में खेलों संबंधी मामलों पर गोष्ठियां, सम्मेलन, कार्यशालाएं व शिविर आयोजित करना।
यह संशोधित योजना 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान शुरूआती तौर पर लागू की जाएगी। मौजूदा योजना काल में इस योजना के लिए अनुमानित खर्च तकरीबन 45 करोड़ रूपए है, जोकि विभाग के कुल योजना खर्च से पूरा किया जाएगा। फेलोशिप कार्यक्रम के अधिकतर विषयों के लिए विश्व स्तरीय सुविधाओं वाले चोटी के विश्वविद्यालयों/संस्थानों की पहचान की गई है। प्रत्येक वर्ष ऐसी 10 फेलोशिप देने का लक्ष्य है। योजना का वितरण, चुने गए विश्वविद्यालयों/संस्थानों की सूची और स्वीकार्य सहायता के बारे में जानकारी मंत्रालय की वेबसाइट yas.nic.in पर प्राप्त की जा सकती है।