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भारत-हंगरी के लिए आतंकवाद बड़ा खतरा

भारत-यूरोप में व्यापार समझौते में हंगरी मदद करे

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 18 October 2013 07:52:07 AM

viktor orban and manmohan singh

नई दिल्‍ली। हंगरी के प्रधानमंत्री विक्‍टर ओर्बन की भारत की राजकीय यात्रा के अवसर पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मीडिया को जारी अपने वक्तव्य में कहा है कि भारत और हंगरी के संबंध परंपरागत दृष्टि से घनिष्ठ और मित्रतापूर्ण रहे हैं, क्‍योंकि दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक लगाव और परस्पर संबंधों का विशेष इतिहास है। उन्‍होंने कहा कि आज बहुत सारी बातें हैं, जो दोनों देशों को एक साथ खड़ा करती हैं, भारत की तरह हंगरी भी एक बढ़ता हुआ लोकतंत्र है और बदलते हुए मध्य यूरोप के केंद्र और यूरोपीय संघ के सदस्य के रूप में हंगरी एक गतिशील अर्थव्यवस्था है, भारतीय निवेशकों की हिस्सेदारी हंगरी में निरंतर बढ़ रही है, अपने-अपने तरीके से दोनों देश, अफगानिस्तान में सुरक्षा और विकास में महत्वपूर्ण योगदान कर रहे हैं, हंगरी आतंकवाद से निपटने के लिए एकजुट वैश्विक कार्रवाई का समर्थक रहा है, ये सब बातें हमारे संबंधों की मजबूती को आधार प्रदान करती हैं।
मनमोहन सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री ओर्बन और मैंने अत्यंत लाभदायक विचार विमर्श किया है, बातचीत में हमने अपने संबंधों के समूचे परिदृश्य की समीक्षा की है, हम इस बात से सहमत हैं कि परस्पर पूरक शक्तियों के विस्तार, भारत के विशाल और उभरते हुए बाजार तथा हंगरी की यूरोपीय संघ की सदस्यता से हम अपने आर्थिक संबंधों का व्यापक विस्तार कर सकते हैं। उन्‍होंने कहा कि संयुक्त आर्थिक समिति के कार्य का हम स्वागत करते हैं, जिसकी बैठक इसी सप्ताह के शुरू में हुई थी, जिसमें सूचना प्रौद्योगिकी, फार्मास्युटिकल्स, आटो कंपनोनेंट्स, स्वास्थ्य देखभाल, पर्यटन, ऊर्जा, इंजीनियरी सामान और खाद्य प्रसंस्करण सहित कई अन्य क्षेत्रों की पहचान प्राथमिकता क्षेत्रों के रूप में की गई थी। उन्‍होंने कहा कि मैं प्रधानमंत्री ओर्बन से इस बात के लिए भी सहायता चाहता हूं कि वे भारत और यूरोपीय संघ के बीच प्रस्तावित व्यापक आधार वाले व्यापार एवं निवेश समझौते को शीघ्र अंतिम मुकाम पर पहुंचाने में अपना योगदान करें, इस समझौते से भारत और हंगरी के बीच व्यापार एवं निवेश का प्रभाव बढ़ेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में दोनों देशों कासहयोग अत्यंत लाभदायक रहा है। दोनों देश संयुक्त कार्यनीतिक अनुसंधान कोष में 10-10 लाख यूरो का वार्षिक अंशदान करते हैं, जिससे दोनों को फायदा हुआ है, आज हमारे बीच यह सहमति हुई है कि इस कोष में अब दोनों देश 20-20 लाख यूरो का योगदान करेंगे, इससे उच्च प्रौद्योगिकी लक्ष्यों वाली नई परियोजनाएं शुरू की जा सकेंगी। उन्‍होंने कहा कि हमने रक्षा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर भी सहमति व्यक्त की है, हंगरी के पास रक्षा उद्योग के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी है और वह हमारे रक्षा आधुनिकीकरण के प्रयासों में भरोसेमंद भागीदार बन सकता है। उन्‍होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों के अंतर्गत भारत की स्थाई सदस्यता के मुद्दे सहित अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों के बारे में हंगरी के समर्थन की भारत सराहना करता है। उन्‍होंने कहा कि वर्ष 2008 में परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह के भारत के साथ सिविल परमाणु सहयोग के फैसले में भी हंगरी ने भारत का समर्थन किया था, मैं प्रधानमंत्री ओर्बन से अपील करता हूं कि वे परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह और अन्य बहुराष्ट्रीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं की पूर्ण सदस्यता भारत को दिलाने में सहयोग करें।
मनमोहन सिंह ने दोहराया कि भारत और हंगरी के बीच सुदृढ़ सांस्कृतिक संबंध रहे हैं, हंगरी में भारत विद्या के क्षेत्र में विद्वत्ता की सराहनीय परंपरा रही है, हम फेलोशिप और आदान-प्रदान के जरिए अपने संबंधों के इस महत्वपूर्ण आयाम को निरंतर मजबूत बनाने के प्रयास करते रहेंगे, मुझे विश्वास है कि 2013-15 की अवधि के लिए सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम के अंतर्गत जिन गतिविधियों की योजना बनाई गई है, उनसे हमारे सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करने में मदद मिलेगी। उन्‍होंने कहा कि हमने व्यापक क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों के बारे में बातचीत की है, हम दोनों यह भलीभांति समझते हैं कि आतंकवाद और उग्रवाद भारत और हंगरी जैसे आधुनिक लोकतांत्रिक राष्ट्रों के प्रति एक साझा खतरा है, हमने महसूस किया है कि आतंकवाद के खिलाफ एक वैश्विक नियामक फ्रेमवर्क तैयार करने की आवश्यकता है और हम इस बारे में परस्पर सहयोग बढ़ाने के बारे में सहमत हैं।

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