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Friday 18 October 2013 07:59:28 AM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज अपने छात्र जीवन के साथी और प्रोफेसर बीएन गोस्वामी के सम्मान में निबंधों की एक पुस्तक का विमोचन किया। इस पुस्तक का नाम है-इंडियन पेंटिंग थीम्स, हिस्ट्री एंड इंटरप्रिटेशंस। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि यह मेरे लिए बड़ा सम्मान का अवसर है कि मुझे प्रोफेसर ब्रिजेंद्र गोस्वामी के सम्मान में निबंधों की इस पुस्तक के विमोचन का अवसर प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि हालांकि कला के क्षेत्र में कुछ करने का मैं दावा नहीं करता, लेकिन मैं इस बात का दावा करता हूँ कि मैं ब्रिजेंद्र को कॉलेज के दिनों से जानता हूं, जब हम दोनों अमृतसर के हिंदू कॉलेज के छात्र थे और बाद में पंजाब विश्वविद्यालय के कॉलेज में थे, उसके बाद भी हम दोनों ने पंजाब विश्वविद्यालय में अध्यापन का कार्य किया, जैसा कि मैंने कहा है कि मैं ब्रिजेंद्र को करीब साढ़े 6 दशकों से जानता हूं और मैं यह भी कह सकता हूं कि उनकी विद्वता उस समय भी आज के समान प्रभावशाली थी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रोफेसर गोस्वामी ने भारतीय प्रशासनिक सेवा में सफलता प्राप्त की थी, मगर उसको छोड़कर उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय में अध्यापन का कार्य अपनाया था। उन दिनों प्रतिष्ठित सेवा आईएएस को छोड़ना अनसुनी बात थी, लेकिन प्रोफेसर गोस्वामी सदा दृढ़ विश्वास के व्यक्ति रहे हैं, उन्होंने जीवन के शुरू में अपने दिल की आवाज़ को स्पष्ट रूप से सुना था और यह कला के जगत के लिए एक अच्छी बात थी, आज हम उनका 80वां जन्मदिवस मनाने के लिए यहां एकत्र हुए हैं, जो दोहरा लाभ है, इस दौरान प्रोफेसर गोस्वामी ने एक प्रतिष्ठित स्थान प्राप्त कर लिया है, उनकी रचनाएं, विशेष रूप से भारतीय चित्रकला के क्षेत्र में अत्यधिक प्रभावशाली रही हैं, उन्होंने कुल मिलाकर विश्व को अमरीका और यूरोप के विश्वविद्यालयों में शिक्षण सहित विभिन्न तरीकों से भारतीय कला की बारीकियों से अत्यधिक अवगत कराया है।
उन्होंने कहा कि यह प्रोफेसर गोस्वामी के लिए उचित श्रेय की बात है कि समूचे विश्व से ख्याति प्राप्त विद्वान उनके सम्मान में प्रकाशित की जा रही इस विशेष पुस्तक इंडियन पेंटिंग थीम्स, हिस्ट्री एंड इंटरप्रिटेशंस में योगदान करने के लिए यहां एकत्र हुए हैं, मैं समझता हूं कि भारतीय चित्रकला के विभिन्न पहलुओं पर नए दृष्टिकोण उज़ागर करने के अलावा इस पुस्तक में अनेक नए अनुसंधानों के बारे में जानकारी भी है, मुझे इस पुस्तक का विहंगम दृष्टिपात करने का अवसर प्राप्त हुआ है और इस विषय के बारे में मुझे बहुत कम ज्ञान होने के बावजूद यह पुस्तक यथार्थ रूप में प्रमाणिक और प्रभावशील है, मुझे विश्वास है कि यह पुस्तक उन सभी के लिए अत्यधिक उपयोगी होगी, जो भारतीय कला और खासकर भारतीय चित्रकला के विषय में रूचि रखते हैं।