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Friday 25 October 2013 08:43:22 AM
डीडीहाट-उत्तराखंड। भाकपा माले के जिला सचिव जगत मर्तोलिया ने कहा कि मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के भीतर आपदा प्रभावितों के सवालों का जवाब देने का नैतिक साहस नहीं था, इसलिए उन्हें जेल भेजकर आंदोलनकारियों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन किया गया है। इस मौके पर मौजूद राज्य आंदोलनकारी जोध सिह बोरा ने भी कहा कि जगत मार्तोलिया पर जो पुलिसिया कार्रवाई की गई, वह सरकार के इशारे पर की गई है और सरकार आपदा से राहत मांगने के लिए आंदोलन करने वालों को दबाने व डराने का काम कर रही है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, आपदा प्रभावितों के लिये उनका संघर्ष
जारी रहेगा।
जेल से रिहा होने के बाद डीडीहाट में पत्रकार वार्ता में जगत मर्तोलिया ने कहा कि मुख्यमंत्री की धारचूला की यात्रा पंचायत व लोकसभा चुनाव के लिए थी, जो फ्लाप हो चुकी है। मर्तोलिया ने कहा कि धारचूला की जनता दोनों चुनावों में कांग्रेस को सबक सिखाएगी। पुर्नवास, मुआवजा वितरण, नदी किनारे स्थित गावों की सुरक्षा सहित जिन 15 सवालों को हमने उठाया था, उस पर मुख्यमंत्री ने कोई ध्यान नहीं दिया, यह वक्त जनजाति आयोग बनाने का नहीं था, आपदा प्रभावित परिवारों के लिए घर व गांव बनाने का था, लेकिन मुख्यमंत्री ने आपदा प्रभावितों को पूर्ण रूप से निराश कर दिया है, अब प्रभावित अपने संघर्ष के बल पर पुर्नवास को हासिल करेंगे। उन्होंने कहा कि आपदा के पांच माह बाद भी मकान, जमीन, फसल, मवेशी का मुआवजा नहीं मिला है, राहत आयुक्त दीपक रावत लोगों को चेहरा दिखाकर धारचूला से चले गए एक भी चैक पर हस्ताक्षर नहीं किए, यह क्षेत्रीय कांग्रेसी विधायक का निक्कमापन है।
उन्होंने कहा कि जनता की आवाज़ को दबाने के लिए कांग्रेस सरकार और विधायक के इशारे पर धारचूला में संवैधानिक अधिकारों की हत्या हो रही है, इसके खिलाफ वे प्रत्येक गांव जाकर जन-जन तक इस बात को पहुंचाकर कांग्रेस का सफाया करेंगे। मुख्यमंत्री से 15 सवाल पूछने के मामले में प्रशासन और पुलिस द्वारा कांग्रेस विधायक के इशारे पर उनके खिलाफ की गई गिरफ्तारी की कार्रवाई को न्याय के सिद्धांत के खिलाफ बताया और कहा कि इसके खिलाफ वे राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और उच्च न्यायालय में जाएंगे। उन्होंने यहां तक कहा कि एसडीएम और डीएम जैसे अधिकारियों को न्याय करने की शक्ति नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि वे सत्ता से संचालित होते हैं और इनका कार्य मानवाधिकारों का हनन करना ही रह गया है।