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Monday 28 October 2013 12:00:01 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय सांख्यिकी मंत्रालय के रोज़गार और बेरोज़गारों पर कराये गये 8वें पंचवर्षीय राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (एनएसएस) के अनुसार 2004-05 और 2009-10 के बीच प्रथम श्रेणी के शहरों में से वाराणसी में सर्वाधिक 35 प्रतिशत महिलाएं और आगरा में सबसे कम दो प्रतिशत महिलाएं रोज़गार में लगी हुई थीं। एनएसएस का यह 66 वां दौर जुलाई, 2009 से जून, 2010 तक पूरा किया गया। इस सर्वेक्षण में 7,402 गांवों और 5,252 शहरी ब्लॉकों के एक लाख 957 परिवारों के चार लाख 59 हजार 784 व्यक्तियों को शामिल किया गया है। वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार दस लाख और उससे अधिक जनसंख्या वाले नगर पहली श्रेणी में 50 हजार से दस लाख तक के नगर दूसरी श्रेणी में और 50 हजार से कम जनसंख्या वाले कस्बे तीसरी श्रेणी में शामिल है।
सर्वेक्षण से सामने आये महत्वपूर्ण तथ्य इस प्रकार हैं-प्रथम श्रेणी के नगरों में वर्ष 2004-05 से 2009-10 के बीच 15 वर्ष से अधिक आयु की जनसंख्या में सूरत में सर्वाधिक 87 प्रतिशत और मेरठ में सबसे कम 49 प्रतिशत व्यक्ति रोज़गार प्राप्त थे। इसी अवधि में प्रथम श्रेणी के नगरों में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के पुरूष बेरोज़गारों की संख्या में कोई परिवर्तन नहीं हुआ, जबकि उनकी संख्या में दूसरी श्रेणी के नगरों में एक प्रतिशत और तीसरी श्रेणी के नगरों में दो प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। इसी दौरान प्रथम श्रेणी के नगरों में महिला बेरोज़गारों की संख्या एक प्रतिशत बढ़ी, हालांकि दूसरी और तीसरी श्रेणी के नगरों में बेरोज़गार महिलाओं की संख्या दो प्रतिशत कम हुई।
इसी अवधि में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के पुरूषों में प्रथम श्रेणी के नगरों में 52 प्रतिशत, दूसरी श्रेणी के नगरों में 43 प्रतिशत और तीसरी श्रेणी के नगरों में 31 प्रतिशत श्रमिक नियमित रूप से वेतनभोगी पाये गये, जबकि प्रथम, द्वितीय और तृतीय श्रेणी के नगरों में ऐसी महिलाओं की संख्या क्रमश: 58, 42 और 23 प्रतिशत पायी गई। प्रथम, द्वितीय और तृतीय श्रेणी के नगरों में इस दौरान इसी आयु वर्ग में क्रमश: 39, 40 और 45 प्रतिशत पुरूष स्वरोज़गार प्राप्त थे, जबकि स्वरोज़गार प्राप्त महिलाओं की संख्या क्रमश: 33, 41 और 47 प्रतिशत थी। वर्ष 2009-10 के दौरान प्रथम और द्वितीय श्रेणी में नगरों में नियमित रूप से वेतनभोगी महिलाओं और पुरूषों की संख्या स्वरोज़गार प्राप्त अथवा दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों की संख्या से अधिक रही, जबकि तीसरी श्रेणी के नगरों में स्वरोज़गार प्राप्त महिलाओं और पुरूषों की संख्या अधिक थी।
वर्ष 2009-10 में सभी श्रेणी के नगरों में त़ृतीय वरीयता प्राप्त क्षेत्र में अन्य दोनों क्षेत्रों प्राथमिक और माध्यमिक की तुलना में श्रमिकों की संख्या सर्वाधिक थी। पंद्रह वर्ष और उससे अधिक आयु के पुरूष श्रमिकों में से शहरी क्षेत्रों में 59 प्रतिशत पुरूष श्रमिक तृतीय वरीयता प्राप्त क्षेत्र (अर्थात् सेवा क्षेत्र), 35 प्रतिशत पुरूष श्रमिक माध्यमिक क्षेत्र और छह प्रतिशत पुरूष श्रमिक प्राथमिक क्षेत्र में कार्यरत थे। इन क्षेत्रों में महिला श्रमिकों की संख्या क्रमश: 53, 33 और 14 प्रतिशत थी।