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भारत-वियतनाम में सज़ायाफ्ता कैदियों पर संधि

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Friday 1 November 2013 10:27:43 AM

नई दिल्‍ली। केंद्रीय गृह मं‍त्री सुशील कुमार शिंदे और वियतनाम के सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री त्रान देई क्‍वांग ने सज़ायाफ्ता कैदियों के हस्‍तांतरण की संधि पर आज नई दिल्‍ली में हस्‍ताक्षर किए। इस संधि से वियतनाम में सज़ा काट रहे भारतीय कैदियों को अपनी शेष सज़ा भारत में पूरी करनी होगी। इससे उन्‍हें अपने परिवार से मिलने में सुविधा होगी। इससे उनके सामाजिक पुनर्वास की प्रक्रिया में भी मदद मिलेगी।
भारत सरकार ने अब तक इस तरह के समझौते ब्रिटेन, मॉरीशस, बुल्‍गारिया, कंबोडिया, मिस्र, फ्रांस, बांग्‍लादेश, कोरिया, सऊदी अरब, ईरान, श्रीलंका, संयुक्‍त अरब अमीरात, मालदीव, थाईलैंड, तुर्की, इटली, बोस्निया और हर्जेगोविना, इस्राइल और रूस के साथ किए हैं। इसी तरह के समझौतों पर बातचीत की प्रक्रिया कनाडा, हांगकांग, ब्राजील और स्‍पेन की सरकारों के साथ भी हुई है। इन संधियों से श्रीलंका, मॉ‍रीशस और ब्रिटेन से 43 भारतीय कैदियों की स्‍वदेश वापसी में मदद मिली है। इसी तरह ब्रिटेन और फ्रांस के 7 कैदियों को उनके अपने देश भेजा जा सकेगा।
सातवीं संयुक्‍त राष्‍ट्र कांग्रेस में अपराध की रोकथाम और अपराधियों के आचरण पर 1985 में विदेशी कैदियों के स्‍थानांतरण से संबंधित मॉडल समझौते को अपनाया गया। इसके बाद से कई देशों ने ‌द्विपक्षीय और बहुपक्षीय संधियां की हैं। कैदियों के प्रत्‍यावर्तन अधिनियम-2003 को इन उद्देश्‍यों को प्राप्‍त करने के लिए लागू किया गया था। इस अधिनियम के मकसद को हासिल करने के लिए आपसी हित वाले देशों के बीच एक संधि पर दस्‍तखत किए जाने की जरूरत है।
इसके अलावा, दोनों मंत्रियों ने सुरक्षा मामलों, प्रशिक्षिण के मुददों, क्षमता निर्माण, साइबर-सुरक्षा, सा‍इबर-अपराध, एक-दूसरे के देश में अपराध, आतंकवाद और आपदा प्रबंधन पर आपसी बातचीत की। दोनों देशों ने आपसी हित के विभिन्‍न मुद्दों पर मिलकर काम करने का संकल्‍प भी दोहराया।

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