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Monday 11 November 2013 08:52:39 AM
गुड़गांव। हरियाणा के गुड़गांव में एशिया-यूरोप शामिल (एएसईएम) के विदेश मंत्रियों की 11वीं बैठक के उद्घाटन पर उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा है कि एएसईएम की जीवंतता और निरंतर प्रासंगिकता एशिया और यूरोप के बीच एक सेतु के रूप में तथा स्थायित्व, शांति और विकास को बढ़ावा देने के लिए वार्ता के मंच के रूप में उसके महत्व को उजागर करती है। इस सम्मेलन का विषय 'एएसईएम वृद्धि और विकास के लिए भागीदारी का सेतु' इसी को प्रतिबिंबित करता है। उन्होंने कहा कि हमारा मंच देश की 60 फीसदी आबादी, 52 फीसदी वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद और करीब 70 फीसदी विश्व व्यापार को एक स्थान पर लाया है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि स्थितियों के संदर्भ में वार्ताएं प्रासंगिक हैं, हम दो महाद्वीपों और साथ ही साथ वैश्विक स्तर पर राजनीतिक सुरक्षा एवं सामाजिक-आर्थिक वास्तु शिल्पों में महत्वपूर्ण विकास के गवाह बन रहे हैं, विश्व अर्थव्यवस्था लगातार मंदी की चपेट में है और उभरती अर्थव्यवस्थाएं, जिन्हें पहले आर्थिक वृद्धि के माध्यमों के रूप में देखा गया था, कड़े फैसले लेने के लिए बाध्य हैं, जिन्हें वे अपनी विकास संबंधी विशाल जरूरतों को देखते हुए सहन नहीं कर सकते, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय भी गैर-परंपरागत सुरक्षा खतरों में अभूतपूर्व विशेषज्ञता का सामना कर रहा है, ये देशों की सीमाओं और परंपरागत प्रतिक्रिया पद्धतियों से आगे बढ़ गए हैं और समग्रता और सहयोग के उच्च स्तरों को इन्होंने पर्याप्त रूप से आवश्यक बना दिया है।
उन्होंने कहा कि आज के संदर्भ में एशिया-यूरोप भागीदारी का नीतिगत महत्व स्पष्ट है, मेरा मानना है कि हमें एएसईएम के सामर्थ्य और व्यापक आवश्यकता की भावना को आशावादिता के साथ देखना चाहिए, हमें इसे राजनीतिक वार्ता के मंच मात्र से आगे ले जाते हुए, इसकी पहुंच सदस्य देशों की जनता तक बनाने तथा आर्थिक भागीदारों और सामाजिक संगठनों के बीच व्यापक हितधारकों को तैयार करने का प्रयास करना चाहिए, हमें साकार हो सकने वाले प्रदेयों के साथ इसके निष्कर्षों को लगाना चाहिए, एएसईएम के अधीन सामूहिक कार्रवाई हमारे लोगों के बीच समझ को सशक्त बना सकती है, हमारी अर्थव्यवस्थाओं में गतिशीलता ला सकती है और हमारी विकासात्मक प्राथमिकताओं का बोध करा सकती है, यह वैश्विक चुनौतियों के प्रति ज्यादा कारगर ढंग से प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए एएसईएम देशों के बीच समझ और विचार-विमर्श की प्रक्रिया जारी रखने में भी मदद कर सकती है।
हामिद अंसारी ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि आपके विचार-विमर्श के दौरान एएसईएम में मौजूद सामूहिक क्षमताओं में उपलब्ध सहक्रियताओं को इस्तेमाल करने के विचार सामने आएंगे। एशिया में जहां उभरते बाजारों की ताकत और उसके मानव संसाधनों का सामर्थ्य है, यूरोप में मौजूदा क्षमताएं और प्रौद्योगिकीय नवरचना में फायदेमंद स्थिति है, यहां स्वाभाविक और लाभकारी सहभागिताएं है, जिन्हें और सशक्त बनाया जा सकता है। विकासशील देशों और उभरते बाजारों के लिए प्रासांगिक क्षेत्रों पर अधिक ध्यान देने से हमें इनमें सकारात्मक वृद्धि और समृद्धि के क्षेत्र में कदम रख सकेंगे, विचार-विमर्श हमारी आपसी समझ तथा क्षेत्रीय और वैश्विक चिंताओं के मामलों से बेहतर ढंग से निपटने के तरीकों पर सर्वसम्मति बढ़ाएंगे, अब एएसईएम के दृष्टिकोण और उद्देश्य में महत्वपूर्ण परिपक्वता आ चुकी है, अब समय आ गया है कि इसकी प्रक्रियाओं को कूटनीतिक क्षेत्र से आगे ले जाते हुए व्यापक हित वाले सामाजिक संगठन, उद्योग और मीडिया को शामिल किया जाए।
उन्होंने कहा कि ये एएसईएम के लिए एशिया और यूरोप की जनता की साझा महत्वकांक्षाओं को आंकने के सटीक मापदंड के रूप में भी योगदान दे सकता है, दोनों महाद्वीपों के बीच विचारों, पद्धतियों और प्रणालियों के प्रवाह की ऐतिहासिक परंपरा रही है, हमें इस आदान-प्रदान को निरंतर बनाए रखने और सशक्त बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मै सदस्य देशों के बीच संभव हो सकने वाले सहयोग के आयामों के महत्व पर बल प्रदान करते हुए एएसईएम की प्रासंगिकता और जीवंतता को बढ़ाने का उत्तरदायित्व लेने के लिए एएसईएम विदेश मंत्रियों की 11वीं बैठक की सराहना करूंगा। एएसईएम में सदस्यता, क्षमता, आर्थिक प्रभाव, बौद्धिक गहराई, नीतिगत विशेषज्ञता और राजनीतिक नेतृत्व के संदर्भ में अतुल्य क्षमता है, यह एक महत्वकांक्षी कार्यसूची है, लेकिन हमारे सभी देशों, महामहिमों को इस बोझ को साझा करना होगा, भारत इटली में होने वाली अगली एएसईएम शिखर वार्ता के लिए अटल भागीदार रहेगा।