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Tuesday 12 November 2013 08:07:33 AM
नई दिल्ली। केंद्रीय उद्योग और वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने आज यहां सेवा सम्मेलन-2013 का उद्घाटन किया। इस अवसर पर शर्मा ने जोर देकर कहा कि आर्थिक वृद्धि और निरंतर विकास के लिए सेवा व्यापार एक आवश्यक घटक है और रोजगार के सृजन में महत्वपूर्ण योगदान देता है। भारत का सेवा क्षेत्र हमारे जीडीपी का करीब 60 प्रतिशत, रोजगार का 35 प्रतिशत, हमारे कुल व्यापार का एक चौथाई और हमारी विदेशी निवेश निधि का आधे से अधिक योगदान देता है, लेकिन वैश्विक बाजार में सेवाओं के निर्यात के चार खरब अमरीकी डॉलर में भारत की हिस्सेदारी काफी कम है। यह 227 अरब अमरीकी डॉलर है। शर्मा का मानना है कि इस तरफ गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है कि सेवा क्षेत्र में कैसे वृद्धि की जा सकती है, जो भारत के समावेशी और निरंतर विकास के आर्थिक दर्शन से जुड़ी है।
आनंद शर्मा ने राष्ट्रीय निर्माण प्रतिस्पर्धात्मकता परिषद की तर्ज पर सेवा प्रतिस्पर्धात्मकता परिषद बनाने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि सेवा क्षेत्र में उत्पादन से वितरण तक प्रत्येक चरण की तरफ ध्यान देना जरूरी है, ताकि हम आने वाली चुनौतियों का सामना करने में समर्थ हो सकें। इस तथ्य पर जोर देते हुए कि भारत के कुल निर्यात का 80 प्रतिशत साफ्टवेयर बिजनेस सेवाओं, वित्तीय सेवाओं और संचार सेवाओं सहित उच्च कौशल वाली सेवाओं से जुड़ा है। शर्मा ने कहा कि सेवा उद्योग में उत्पादन से वितरण तक पर्याप्त वृद्धि के कारण अच्छी नौकरियां पर्याप्त संख्या में बढ़ी हैं और मजदूर वर्ग उच्च उत्पादकता वाले क्षेत्रों में जाने में सक्षम हुआ है। उन्होंने सम्पूर्ण सेवा क्षेत्र के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाने पर बल दिया।
इस अवसर पर वाणिज्य सचिव एसआर राव ने कहा कि सेवा सम्मेलन-2013 कुछ चुने हुए क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दे रहा है, जिनमें भारत की सेवा क्षेत्र निर्यात रणनीति के लिए संभावना है। भारत निर्यात कौशल और ज्ञान आधारित सेवाओं के लिए जाना जाता है।