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Friday 22 November 2013 07:54:14 AM
कोलकाता। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने श्रेष्ठता की संस्कृति पर जोर देते हुए कहा है कि इसे और विकसित करने की जरूरत है, ताकि प्रौद्योगिकी पर आधारित शिक्षण को प्राथमिकता दी जा सके। पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के नौवें दीक्षांत समारोह में भाषण देते हुए प्रणब मुखर्जी ने कहा कि प्रौद्योगिकी ऐसी हो, जो उद्योग के साथ संपर्क करे और उसे मजबूत बनाए तथा अनुसंधान और पाठ्यक्रम के बारे में उद्योग विशेषज्ञों से जानकारी का प्रवाह बनाए रखे, उन्हें समय-समय पर उद्योगों की प्रवृति के आधार पर कार्यक्रमों का मूल्यांकन भी करते रहना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि हर प्रौद्योगिकी संस्थान को स्थानीय उद्योगों के सहयोग से एक उद्योग कक्ष खोलना चाहिए, जो अनुसंधान परियोजनाएं, इंटर्नशिप और अध्यापकों के आदान-प्रदान तथा कार्यशालाएं आयोजित करने में सहायता करे, भारत के उच्च शिक्षण संस्थान में अनुसंधान की तरफ प्रवृति कम है, जिसके परिणामस्वरूप दुनिया के अन्य संस्थानों के मुकाबले उनका सम्मान अधिक नहीं है। उन्होंने कहा कि इन संस्थानों को ज्ञान की सीमा तक पहुंचना चाहिए और उन्हें चुनौती देना चाहिए, ताकि विभिन्न विषयों में वह क्रांतिकारी योगदान कर सके। उन्हें ऐसे समाधान ढ़ूंढने में सामान्यजन की मदद करनी चाहिए कि वह बेहतर जीवन बिता सकें।
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि उन्हें नीति निर्धारकों के लिए पथप्रदर्शक बनना चाहिए और खासतौर से पर्यावरण के क्षरण, साफ-सफाई, शहरीकरण, स्वास्थ्यचर्या और शिक्षा के क्षेत्र में ऐसा करने में सक्षम होना चाहिए, हमारी भविष्य की प्रगति इस बात पर निर्भर करेगी कि हम नवाचार और औद्योगिक प्रक्रियाओं में कितनी वृद्धि कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि सभी क्षेत्रों-व्यापार, सरकार, शिक्षा और समाज में नवाचार की भावना घर करने की जरूरत है, भारत की नवाचार कार्यनीति ऐसी होनी चाहिए, जो समावेशी विकास और सामाजिक आर्थिक पिरामिड के निचले हिस्से को लाभ पहुंचाने में सक्षम हो।