स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Monday 25 November 2013 09:39:21 AM
पणजी। भारतीय फिल्म पैनोरमा की तीन भाषाओं के कलाकारों और कर्मीदल ने आज यहां मीडिया से मुलाकात की। मराठी फिल्म ‘अस्तु‘ की निर्देशक सुमित्रा भावे ने सूचित किया कि उनकी फिल्म हमारे चारों तरफ अब क्या घट रहा है, उसके बारे में है। शायद एक वृद्ध व्यक्ति जो अपनी स्मरण शक्ति खो चुका है, इसे समझ सकता है। यह डिमेंशिया से पीड़ित एक वृद्ध व्यक्ति की कहानी है, जो हाथी का पीछा कर रहा है और उसकी बेटी अपने पिता के पीछे है। यह जीवन में परिवर्तन के अनुभव की कहानी है।
फिल्म ‘अस्तु’ के सह-निर्माता और मुख्य कलाकार डॉ मोहन अगाशे ने कहा कि फिल्म का मुद्दा बेहद ज्वलंत है। यह एक परिवार, नकल करने, आज और कल की समस्याओं के बारे में है, जिसे हम अपने अथवा अपने करीब के रिश्तेदारों में अनुभव करते हैं, जिसमें हम एक तरफ चिकित्सकीय विकास और प्रौद्योगिकीय क्रांति के कारण हम एक लंबा जीवन जी रहे हैं, जहां पर अपक्षयी बिमारियां पैदा हो रही हैं।
कन्नड़ फिल्म ‘भारत स्टोर्स’ के निर्देशक पी शेषाद्री ने कहा कि उनकी फिल्म छोटे खुदरा व्यापारियों को बाहर धकेल रहे मल्टी ब्रांड में एफडीआई के सामाजिक-आर्थिक परिणामों की खोज करती है। बांग्ला फिल्म ‘अंजना बटास’ में एक विज्ञापन फर्म में कॉपीराइटर की भूमिका निभाने वाली मुख्य कलाकार पाओली दाम ने अपनी फिल्म के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि फिल्म जॉय गोस्वामी के उपन्यास पर आधारित है, जिसमें एक लड़की की एकांत और अवसाद के खिलाफ लड़ाई को काव्यात्मक ढंग से दर्शाया गया है।