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Wednesday 27 November 2013 03:11:32 AM
कोलकाता। कोलकाता में हड्डी रोग अशक्तता मामलों के राष्ट्रीय संस्थान के हड्डी की चोट से ग्रस्त लोगों के पुनर्वास, जीवन के पुनर्निर्माण और उनकी स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में कहा गया है कि रीढ़ की चोट पक्षाघात का एक प्रमुख कारण है। भारत में इस तरह की चोट या तो सड़क दुर्घटनाओं में या फिर कहीं ऊंचाई से गिरने में लगती है। देश में हाल के वर्षों में आघात चिकित्सा के क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास हुआ है।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अशक्तता मामलों के विभाग की सचिव स्तुति कक्कड़ ने सम्मेलन में बताया है कि ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना के एक अंश के रूप में केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्गों पर आघात चिकित्सा के बारे में एक परियोजना शुरू की है, ताकि पीड़ितों को तुरंत और प्रभावी सहायता मुहैया करायी जा सके। सरकार ने सीमांत स्तर पर ऐसे पीड़ितों के लिए ट्रॉमा केयर सेंटर खोले हैं। इन सब प्रयासों से देश में रीढ़ की चोट से ग्रस्त मरीजों के जीवन को बचाने में बड़ी सफलता मिली है। प्राय: देखने में आया है कि नौजवान नौकरी-पेशा लोग ऐसी घटनाओं के ज्यादा शिकार होते हैं।
स्तुति कक्कड़ ने कहा कि राष्ट्रीय संस्थान ने इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए रीढ़ की चोट से ग्रस्त लोगों के पुनर्वास मुद्दे पर यह राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया है। इस प्रयास से चिकित्सा के इस क्षेत्र से जुड़े डॉक्टरों, भौतिक चिकित्सक, व्यावसायिक चिकित्सक, पी एंड ओ पेशेवरों, सामाजिक कार्यकर्ता, मनोवैज्ञानिक, नर्स और विभिन्न संस्थाओं और गैर सरकारी संगठनों सहित, इस तरह की प्रक्रिया से जुड़े लोगों को सम्मेलन में एक साथ लाने का प्रयास किया गया है, यह अपनी तरह का पहला प्रयास है, जिसमें एक टीम वर्क के रूप में पुनर्वास के मुद्दे पर चर्चा हो रही है। इस अवसर पर सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय में अशक्तता मामलों के विभाग में संयुक्त सचिव अविनाश के अवस्थी, भारतीय पुनर्वास परिषद के अध्यक्ष मेजर जनरल इयान कार्दोजो और अशक्तता मामलों के विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।