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Wednesday 11 December 2013 06:55:24 PM
नई दिल्ली। खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण प्रणाली तथा उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रोफेसर केवी थॉमस ने कहा है कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत सस्ती दरों पर चीनी आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार ने प्रति वर्ष 3,000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त सब्सिडी बोझ स्वैच्छा से अपने कंधों पर लिया है, अब चीनी उद्योग खासकर मिलों की जिम्मेदारी है कि वे इसका फायदा आम लोगों और गन्ना उत्पादक किसानों तक पहुंचाने की दिशा में काम करें।
केवी थॉमस ने कल भारतीय चीनी मिल्स संघ की वार्षिक आम बैठक के उद्घाटन संबोधन में चीनी उद्योग में लाभ मिलने की समस्या, पूंजी प्रवाह और किसानों को गन्ने के बकाया भुगतान में हो रही देरी पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि चीनी मिलों को अब अपने उत्पादों में विविधता लानी होगी। इस मामले में उनके मंत्रालय ने हाल ही में एक रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें गन्ने और चीनी के बेहतर उत्पादन के तौर-तरीकों पर विचार किया गया है। उन्होंने कहा कि इन सिफारिशों के क्रियान्वयन से निश्चित रूप से गन्ना उत्पादकों और चीनी मिलों को फायदा होगा और इससे चीनी उद्योग में और तेजी आएगी।
उन्होंने घोषणा की कि मंत्रियों के समूह की सलाह के आधार पर उनका मंत्रालय चीनी उद्योग को तत्काल राहत देने जा रहा है। थॉमस ने चीनी मिलों से अपने उत्पादों में विविधता लाने का आग्रह करते हुए कहा कि उन्हें बाजार का रूख देखकर ही उत्पाद तैयार करने चाहिएं। उदाहरण के तौर पर निर्यात बाजार में चीनी के बजाए प्रसंस्कृत चीनी और कच्ची चीनी की मांग है, चीनी उद्योग एथनॉल ईंधन बनाकर अपने उत्पादन में विविधता ला सकता है। जहां तक चीनी के प्रसंस्करण का सवाल है तो उत्पादन लागत में कमी किए बगैर वैश्विक स्तर पर हम प्रतिस्पर्धा हासिल नहीं कर सकते।