स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Monday 30 December 2013 11:06:08 PM
देहरादून। भागवत की कथा सुनने मात्र से ही सभी दुखों का नाश होता है, मनुष्य को समय-समय पर सत्संग का श्रवण करना चाहिए, संतसंग से ज्ञान की प्राप्ति होती है, प्रभु का आर्शीवाद प्राप्त होता है तथा प्रभु स्वयं कल्याण करते हैं। नेशविला रोड स्थित बकरालवाला में आयोजित भागवत महापुराण कथा के तृतीय दिवस पर कथावाचक भगवती प्रसाद फोनंदणी ने कहा कि व्यासजी ने कहा है कि भगवान को पानेके लिए प्रभु का निरंतर ध्यान करना चाहिए। सती व शिव का प्रसंग सुनाते हुए फोनंदणी ने कहा कि देवों के देव महादेव के समझाने के बाद भी सती अपने पिता दक्ष प्रजापति के घर यज्ञ में बिना बुलाए चली गयी तथा प्रजापति द्वारा महादेव का अपमान किए जाने पर सती ने यज्ञकुंड में ही आत्मदाह कर लिया, जिसके बाद भगवान शिव ने क्रोध में आकर दक्ष प्रजापति का मस्तिष्क ही काट दिया। इसके बाद जब सभी देवताओं ने महादेव से प्रार्थना की, तब महादेव ने प्रजापति को जीवनदान प्रदान किया तथा बकरी का मस्तिष्क प्रजापति के शरीर से जोड़ दिया। कथावाचक ने कहा कि व्यासजी ने कहा है कि मनुष्य को अपने पुरूषार्थ से अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए निरंतर भगवान का चिंतन करते हुए सफलता प्राप्त करनी चाहिए। इस अवसर पर लक्ष्मी देवी सती, किरन सती, दीप्ति सती, अमिता सती, अशोक सती, अनिल सती, सुशील सती, महेश खंकरियाल, हेम प्रकाश आदि श्रोता उपस्थित थे।