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Thursday 03 January 2013 01:33:04 AM
लखनऊ। सरोजनी नगर आवासीय समिति मैदान में सच स्वरूपा माँ जसजीत का प्रकाशोत्सव समारोह अत्यंत श्रद्धा भक्ति एवं हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ। आज के ही दिन सन् 1993 में माँ को परमात्मा के दर्शन हुए तदोपरांत उन्होंने मानव सेवा का कार्य आरंभ किया। आज के समारोह में सच स्वरूपा माँ ने सुदूर प्रांतों से आए भक्तों को नव वर्ष की शुभकामनाएं दीं और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा और आशीर्वाद दिया।
‘चिंता’ विषय पर प्रवचन करते हुए माँ ने कहा कि सांसारिक प्राणी सुख पाने के लिए मृग तृष्णा के पीछे भटकते हैं, परंतु सच्चा सुख परमात्मा के नियम को स्वीकार करने में है, उसकी सच्चाई को अपनाने में है। सच स्वरूपा माँ ने कहा कि लोग इस कदर चिंता करते हैं कि यह उनकी आदत में शामिल हो जाता है। वह हर बात की फिक्र करते हैं, जिससे उनका स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है, अनेक रोग लग जाते हैं और मन और शरीर थका-थका रहता है।
सच स्वरूपा माँ ने अपने प्रवचन में कहा कि हम अतीत की जिन बातों को बदल नहीं सकते, उन्हें स्वीकार कर लेने में भी भलाई है। चिंता से भविष्य और वर्तमान दोनों खराब हो जाते हैं। माँ ने कहा कि परमात्मा सर्वव्यापी सत्ता है, वो सबकी सुनता है, जरूरत है बस उसे आवाज़ लगाने की। प्रार्थना जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा कर देती है, अनेक माध्यम से माँ ने इस बात को स्पष्ट किया कि प्रार्थना इंसान की उत्पन्न की जाने वाली ऊर्जा का सबसे सशक्त रूप है। माँ ने कहा कि चिंतित व्यक्ति को चाहिए कि वह अधिक से अधिक कार्य में व्यस्त रहे, सुख पाने के लिए दूसरों पर उपकार करे और छोटी-छोटी बातों से अपने को विचलित न होने दे। सच स्वरूपा माँ ने अंत में सभी को अपना दिव्य आशीर्वाद प्रदान करते हुए संगत को निरोग एवं मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु दुआएं दीं।