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Sunday 28 February 2016 12:36:45 AM
पटना। केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा है कि केंद्र सरकार ने किसानों के कल्याण और कृषि क्षेत्र के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनसे बिहार सरकार को फायदे लेने चाहिएं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना या प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना जैसी सभी योजनाएं किसानों और कृषि क्षेत्र को आगे बढ़ाने के रास्ते सुझाती हैं। राधामोहन सिंह ने कहा कि बिहार के किसान 7 प्रतिशत ब्याज देकर भारी आर्थिक दबाव में हैं, जबकि भारत सरकार ने 3 प्रतिशत ब्याज जैसी राहत वाले कार्य किए हैं। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात और महाराष्ट्र सरकारों ने ऐसा ही किया है और कृषि क्षेत्र में ब्याज के जंजाल से किसानों को मुक्त किया है। राधामोहन सिंह ने कहा कि अगर बिहार सरकार भी किसानों को ब्याज मुक्त करना चाहती है तो वह किसानों के कृषि से जुड़े कर्जे में राहत में शामिल होकर किसानों को 4 प्रतिशत ब्याज राहत से कर्ज दे।
बिहार सहकारी विकास समन्वय समिति के एक दिवसीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए राधामोहन सिंह ने कहा कि मोदी सरकार ने राज्य सरकार से कृषि से जुड़े संबंधित नियमों और विनियमों को कृषि क्षेत्र में लागू करने का आग्रह किया है। राधामोहन सिंह ने जिक्र किया कि बिहार में समस्त पैक्स एवं व्यापार मंडल द्वारा किसानों से खरीदे गए धान को राज्य खाद्यान्न निगम के क्रय केंद्र पर तय तिथि पर प्राप्त करने में उदासीनता दिखाई जाती है, इन पैक्स को भुगतान भी काफी कम होता है, कई जिलों में पैक्स या व्यापार मंडल ने किसानों से धान खरीदा है, पैक्स कहता है कि इस क्रय से उन्हें 1-2 दिन में ही भुगतान करना पड़ता है, साथ ही समितियों के पास आर्थिक संसाधन नहीं होने से उनपर पूंजी पर ब्याज का दबाव बढ़ गया है, जिससे बिहार सरकार उन्हें भी ब्याज राहत देने के लिए जरूरी करवाई करे, तभी पैक्स एवं व्यापार मंडल समयबद्ध तरीके से किसानों से लिये गए कर्ज का भुगतान कर पाएंगे, जिससे किसानों को उनकी उपज का तय समय पर और मुनासिब मूल्य उपलब्ध हो सकेगा।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने कहा है कि केंद्र सरकार ने नाबार्ड के जरिये बिहार की सहकारिता को अब तक 265 करोड़ रूपए की शुरूआती वित्तीय मदद प्रदान की है और केंद्र सरकार इन तमाम संस्थानों के सशक्तिकरण के लिए भविष्य में भी अनेक कार्य करेगी। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (एनएसएसओ) के सर्वे के अनुसार आज 46 प्रतिशत किसान परिवार कर्ज के बोझ में दबे हैं, जो अनेक संस्थानों एवं गैर संस्थानों से लिए गए हैं तथा इसका प्रतिशत बिहार में 49.99 प्रतिशत है। बिहार और समस्त पूर्वी राज्यों के कई क्षेत्रों को कृषि कर्ज की उपलब्धता में काफी असंतुलन है तथा छोटे एवं बड़े किसानों को मिलने वाले कृषि कर्ज में भी असमानता है। राधामोहन सिंह ने कहा कि बिहार में कृषि और पशुधन विकास के लिए राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम के जरिए वर्ष 2015-16 में बिहार राज्य डेयरी सहकारिता के लिए 149 करोड़ रुपये, आईसीडीपी के लिए 51.05 करोड़ रुपये, शीतगृह सहकारिता के लिए 12.5 करोड़ रुपये और विपणन संबंधी समितियों को 28.10 करोड़ रुपये मिलाकर कुल 240.80 करोड़ रुपये की राशि दी गई।
राधामोहन सिंह ने कहा कि सहकारी समितियां किसान सदस्यों को आर्थिक रूप से सबल करती हैं, भारतीय सहकारी आंदोलन आज विश्व के सबसे बड़े सहकारी आंदोलन के रूप में स्थापित है और भारत में सहकारिता की पहुंच गांव से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक है। उन्होंने कहा कि बिहार में सीमित शिक्षण प्रशिक्षण संस्थान हैं, और मैं यह अवश्य कहूंगा कि बिहार के सहकारी आंदोलन की बढ़ती हुई आवश्यकताओं और आधुनिक तकनीकों, नेतृत्व एवं सहकारी कार्मिकों के मानव संसाधन विकास को पूरा करने के लिए ये अपर्याप्त हैं, इसलिए मैं चाहता हूं कि पूर्वी चंपारण बिहार में एक राष्ट्रीय स्तर का सहकारी प्रबंध संस्थान खोला जाए, राज्य सरकार महात्मा गांधी की चम्पारण सत्याग्रह यात्रा के सौ वर्ष पूरे होने के मौके पर सहकारी प्रबंध संस्थान को 5 एकड़ भूमि आवंटित करे, संस्थान के निर्माण हेतु केंद्र सरकार पूरी वित्तीय सहायता प्रदान करेगी।
कृषि मंत्री ने कहा कि स्वॉयल हेल्थ कार्ड, प्रधानमंत्री सिंचाई योजना, जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं, इसी कड़ी में अभी हाल ही में भाजपा सरकार ने किसानों की फसलों की रक्षा के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना खरीफ 2016 से लागू की है, इस योजना में किसान को कम से कम प्रीमियम देना होगा। उन्होंने कहा कि यह तय किया गया है कि किसान खरीफ में 2 प्रतिशत और रबी में 1.5 प्रतिशत प्रीमियम देंगे, बाकी प्रीमियम केंद्र सरकार वहन करेगी। उन्होंने कहा कि सहकारी समितियों ने कर्ज, उर्वरक, बीज आदि मुहैया कराकर किसानों की राह सुगम की है, आज डेयरी सहकारिता ने तो देश-विदेश में अपनी अलग पहचान बनाई है। उन्होंने कहा कि देश के विकास के लिए जरूरी है कि किसानों की आय में वृद्धि हो और इसके लिए कृषि क्षेत्र में फिर से क्रांति लानी होगी।