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Friday 23 December 2016 03:39:21 AM
हैदराबाद। दक्षिण भारत में हिंदी अब लगभग सभी जगह सम्मान अर्जित कर रही है। दक्षिण भारतीय लोग हिंदी में भारी दिलचस्पी लेते दिख रहे हैं और उसे निजी और सरकारी काम में भी इस्तेमाल कर रहे हैं। भारत सरकार के गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग ने दक्षिण एवं दक्षिण-पश्चिम क्षेत्रों में केंद्र सरकार के कार्यालयों, बैंकों एवं उपक्रमों के लिए वर्ष 2016-17 के संयुक्त क्षेत्रीय राजभाषा सम्मेलन एवं पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया, जिसमें हिंदी के प्रति लगाव सामने आया। सीएसआईआर आईआईसीटी तारनाका उप्पल रोड हैदराबाद में हुए इस समारोह में आंध्रप्रदेश के राज्यपाल एक्कडू श्रीनिवासन लक्ष्मी नरसिम्हन भी शामिल हुए, जिसमें उन्होंने कहा कि हिंदी हमारी राजभाषा ही नहीं, अपितु हमारी राष्ट्रीय पहचान भी है। उन्होंने कहा कि किसी भी राष्ट्र की राजभाषा उसके नागरिकों के लिए राष्ट्रीय स्वाभिमान और राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक होती है तथा सरकार और नागरिकों के बीच राजभाषा एक सेतु का काम करती है। राज्यपाल ने कहा कि नागरिकों की सुविधा के लिए प्रशासन का पूरा कार्य जनता की भाषा में होना चाहिए, तभी सरकार की योजनाओं का लाभ आमआदमी तक पहुंचता है। उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा राष्ट्रीय ही नहीं अंतरराष्ट्रीय पटल पर भी अभिव्यक्ति की सबल और प्रभावी संवाहिका मानी जाती है।
राज्यपाल ने कहा कि हिंदी विश्व की एक सशक्त भाषा के रूप में उभर चुकी है, विश्व के विभिन्न देशों में रह रहे भारतीय मूल के करोड़ों लोग हिंदी का बखूबी प्रयोग कर रहे हैं, भारतीय मूल के प्रवासी हिंदी को विश्वभाषा बनाने की दिशा में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार के हर साल होने वाले प्रवासी भारतीय सम्मेलन पूरे विश्व में फैले भारतीय उद्यमियों एवं व्यवसायियों को एकत्रित कर भारत की प्रगति में उन्हें अपना योगदान देने के लिए एक उपयुक्त मंच प्रदान करते हैं और इस प्रक्रिया में हिंदी एक महत्वपूर्ण कड़ी का काम कर रही है, हमें इस सांस्कृतिक सेतु को और सुदृढ़ बनाना है। उन्होंने कहा कि हमारी सभी छोटी-बड़ी भारतीय भाषाएं और बोलियां हमारी सांस्कृतिक धरोहर हैं, इस धरोहर की सजग होकर रक्षा करना हर भारतीय का पुनीत कर्तव्य है। उन्होंने कार्यक्रम में विजेताओं को पुरस्कार भी प्रदान किए। सम्मेलन में तेलंगाना सरकार में मुख्य सचिव के प्रदीप चंद्रा, राजभाषा विभाग के सचिव प्रभास कुमार झा, संयुक्त सचिव डॉ बिपिन बिहारी, केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों, उपक्रमों आदि के भी अधिकारी उपस्थित थे।
राजभाषा विभाग के सचिव प्रभास कुमार झा ने राजभाषा हिंदी की महत्ता बताते हुए कहा कि दक्षिण भारत की संस्कृति बहुत महान है तथा यहां की भाषाओं का अपना ही महत्व है, सभी भाषाएं आपस में काफी करीब हैं। उन्होंने कहा कि राजभाषा विभाग एक पथप्रदर्शक के रूप में कार्य करता है और सभी कार्यालयों के प्रत्येक व्यक्ति के स्वाभिमान का प्रश्न है कि वह राजभाषा में कार्य करे। उन्होंने कहा कि राजभाषा और जनभाषा के बीच की दूरी को खत्म करने की आवश्यकता है और हिंदी भाषा में सभी भाषाओं के प्रचलित शब्दों को समाहित कर राजभाषा के प्रचार-प्रसार का कार्य करना आसान है। उन्होंने कहा कि भारत एक बहुभाषी देश है, यहां विभिन्न राज्यों में अलग-अलग भाषाएं और बोलियां बोली जाती हैं, हमारी सभी भारतीय भाषाएं और बोलियां हमारी सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय धरोहर हैं, अपनी भाषायी धरोहर की सजग होकर रक्षा करना और इन्हें बढ़ावा देना हर भारतीय का कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि अपनी भाषा के प्रति लगाव और अनुराग हमारे राष्ट्रप्रेम का ही एक रूप है, अपनी भाषा में मौलिक लेखन से अभिव्यक्ति बहुत ही सहज और स्वाभाविक होती है, जोकि अनुवाद की भाषा से संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि हिंदी ने अपनी मौलिकता, सरलता एवं सुबोधता के बल पर ही भारतीय संस्कृति और साहित्य को जीवंत बनाए रखा है, इसने भारतवासियों को एक सूत्र में पिरोकर अनेकता में एकता की भावना को पुष्ट किया है। उन्होंने कहा कि आज ज़रूरत इस बात की है कि हम हिंदी को इसके सरलतम रूप में अपनाकर अपने सभी सरकारी और व्यक्तिगत कार्य हिंदी में करें।
तेलंगाना सरकार में मुख्य सचिव के प्रदीप चंद्रा ने कहा कि कोई भी भाषा तभी लोकप्रिय हो सकती है, जब वह जनमानस पर अपना अधिकार जमा ले, यह प्रेम, सद्भाव और सभी भाषाओं को साथ लेकर राजभाषा में कार्य हो तो सभी के लिए आसान हो सकती है। राजभाषा विभाग में संयुक्त सचिव डॉ बिपिन बिहारी ने कहा कि देश के अलग-अलग क्षेत्रों में होने वाले हिंदी सम्मेलनों एवं समारोहों की महत्वपूर्ण भूमिका है, इनका उद्देश्य राजभाषा नीति के कार्यांवयन में आ रही समस्याओं का समाधान ढूंढना और इस दिशा में उत्कृष्ट कार्य करने वाले कार्यालयों एवं कार्मिकों को प्रोत्साहित करना है। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय राजभाषा सम्मेलनों के आयोजन से राजभाषा से जुड़े विषयों पर विस्तृत विचार-विमर्श हेतु एक सशक्त मंच उपलब्ध होता है तथा सरकारी कामकाज में राजभाषा हिंदी के प्रयोग को प्रोत्साहन भी मिलता है। डॉ बिपिन बिहारी ने कहा कि राजभाषा विभाग सदा से ही हिंदी के प्रचार-प्रसार में अग्रणी भूमिका निभाता आ रहा है। उन्होंने सूचना प्रौद्योगिकी के वर्तमान युग के साथ सामंजस्य बिठाते हुए राजभाषा विभाग में सूचना प्रबंधन प्रणाली के माध्यम से सभी नगर राजभाषा कार्यांवयन समितियों की रिपोर्टें विभाग को ऑनलाइन प्रेषित करने की सुविधा की जानकारी दी। इसके अंतर्गत सभी नगर राजभाषा कार्यांवयन समितियों को यूज़र आईडी और पासवर्ड उपलब्ध कराए गए हैं, इससे नगर राजभाषा कार्यांवयन समितियां वेबसाइट पर लॉग-इन करके बैठकों की कार्यसूची, कार्यवृत्त आदि सभी संगत सूचनाएं राजभाषा विभाग को ऑनलाइन भेज सकती हैं। यह सूचना पुरस्कारों के मूल्यांकन के लिए भी अत्यंत उपयोगी है।
राजभाषा सम्मेलन में राज्यपाल एक्कडू श्रीनिवासन लक्ष्मी नरसिम्हन ने राजभाषा विभाग में प्रकाशित होने वाली पत्रिका राजभाषा भारती के 148 अंक (जुलाई-सितंबर 2016) का विमोचन भी किया। राजभाषा विभाग 39 वर्ष से राजभाषा भारती का नियमित प्रकाशन कर रहा है और राजभाषा प्रचार-प्रसार हेतु पूरे देश में 5000 प्रतियों का निःशुल्क वितरण किया जाता है। सम्मेलन में विभिन्न संस्थानों की प्रकाशित गृहपत्रिकाओं की प्रदर्शनी भी लगाई गई। राजभाषा पुरस्कार पाने वालों में दक्षिण क्षेत्र में वर्ष 2015-16 के लिए ‘ग’ क्षेत्र में क्षेत्रीय राजभाषा पुरस्कार के अंतर्गत 50 से कम स्टाफ संख्या वाले कार्यालयों में केंद्रीय विद्यालय संगठन सिकंदराबाद प्रथम, दक्षिण क्षेत्रीय विद्युत समिति बेंगलुरू द्वितीय तथा राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम बेंगलुरू तृतीय स्थान पर रहे। पचास से अधिक स्टाफ संख्या वाले कार्यालयों में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन मंगलूर प्रथम, मुख्य पोस्टमास्टर जनरल का कार्यालय कर्नाटक सर्किल द्वितीय एवं बेंगलुरू भारतीय रिज़र्व बैंक हैदराबाद तृतीय स्थान पर रहे। उपक्रमों में पावर ग्रिड कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड दक्षिणी क्षेत्र पारेषण प्रणाली द्वितीय क्षेत्रीय मुख्यालय को प्रथम, बेंगलुरू भारतीय खाद्य निगम क्षेत्रीय कार्यालय हैदराबाद को द्वितीय तथा हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड हैदराबाद को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ। बैंकों की श्रेणी में विजया बैंक क्षेत्रीय कार्यालय दक्षिण बेंगलूरू प्रथम, यूनियन बैंक ऑफ इंडियाक्षेत्रीय कार्यालयहैदराबाद द्वितीय तथा विजया बैंक क्षेत्रीय कार्यालय उत्तर बेंगलुरू तृतीय स्थान पर रहे। नगर राजभाषा कार्यांवयन समिति हैदराबाद को प्रथम, हैदराबाद बैंक को द्वितीय तथा बेंगलुरू बैंक को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ।
दक्षिण-पश्चिम क्षेत्रों के अंतर्गत 50 से कम स्टाफ संख्या वाले कार्यालयों में क्षेत्रीय आयुर्वेदीय जीवनशैली संबंधी विकार अनुसंधान संस्थान तिरुवनंतपुरम प्रथम तथा राष्ट्रीय कैडेट कोर निदेशालय केरल और लक्षद्वीप तिरूवनंतपुरम द्वितीय स्थान पर रहे। पचास से अधिक स्टाफ संख्या वाले कार्यालयों के अंतर्गत मुख्य पोस्टमास्टर जनरल कार्यालय केरल सर्किल तिरुवनंतपुरम प्रथम, भारतीय रिज़र्व बैंक तिरुवनंतपुरम द्वितीय तथा कॉर्डाइट फैक्टरी अरूवनकाडु तृतीय स्थान पर रहे। उपक्रमों की श्रेणी में महाप्रबंधक दूरसंचार का कार्यालय भारत संचार निगम लिमिटेड कोषिकोड प्रथम, प्रधान महाप्रबंधक कार्यालय भारत संचार निगम लिमिटेड कोच्चि को द्वितीय तथा भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण तिरुवनंतपुरम को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ। दक्षिण-पश्चिम क्षेत्रों में बैंकों की श्रेणी में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया क्षेत्रीय कार्यालय एर्नाकुलम को प्रथम, स्टेट बैंक ऑफ ट्रावनकोर अंचल कार्यालय कोच्चि को द्वितीय तथा यूनियन बैंक ऑफ इंडिया क्षेत्रीय कार्यालय सेलम को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ। नगर राजभाषा कार्यांवयन समिति कोच्चि उपक्रम प्रथम, कोयंबत्तूर बैंक द्वितीय एवं तिरुवनंतपुरम उपक्रम तृतीय स्थान पर रहे।