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उलमा-ए-कराम खुलकर सपा गठबंधन के साथ

मुसलमान अखिलेश यादव को फिर से मुख्यमंत्री बनाएं!

उलमा-ए-कराम का है मुसलमानों पर बड़ा प्रभाव

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 13 February 2017 06:01:27 AM

ulama-kram delegation met akhilesh yadav

लखनऊ। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से उलमा-ए-कराम के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की, जिसमें देश के प्रमुख और प्रभावशाली उलेमा शामिल थे, जिन्होंने प्रदेश के मुसलमानों से कहा है कि वे उत्तर प्रदेश में सपा-कांग्रेस गठबंधन को वोट दें, क्योंकि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मुसलमानों के हितों के लिए बड़े-बड़े काम किए हैं। उलमा-ए-कराम ने मुसलमानों की शैक्षिक एवं सामाजिक उन्नति संबंधी ज्यादातर मांगें पूरी किए जाने के लिए मुख्यमंत्री का शुक्रिया अदा किया और आशा जताई कि उनकी अगुवाई में नई सरकार बनेगी। उन्होंने धर्मनिर्पेक्ष वोट के बंटवारे की साजिशों के प्रति मुस्लिम मतदाताओं को सावधान किया है। इस प्रतिनिधिमंडल में लगभग वो सभी मुस्लिम धर्मगुरू और मुस्लिम हित चिंतक शामिल थे, जो मुसलमानों में अपनी गहरी पैंठ रखते हैं और मुसलमान समाज उनकी राय को दिल से कुबूल करता है। इस अपील के बाद लगता है कि प्रदेश के मुसलमानों का रुख गठबंधन की ओर होगा। यहां यह तथ्य उल्लेखनीय है कि बसपा इस उलमा-ए-कराम का समर्थन हासिल नहीं कर पाई है, भले ह‌ी उसने विधानसभा चुनाव में मुसलमानों को सर्वाधिक टिकट दिए हैं।
उलमा-ए-कराम के प्रतिनिधिमंडल में मौलाना डॉ सइदुर्रहमान आज़मी नदवी, प्रधानाचार्य दारूल उलूम नदवतुल उलमा, लखनऊ इमाम ईदगाह लखनऊ मौलाना खालिद रशीद फंरगी महली, मौलाना शाह फख्रुद्दीन अशरफ कछौछवी, कछौछा शरीफ, मौलाना अब्दुल्लाह इब्नुल कमर देवबंद, शेख राशिद अली मीनाई सज्जादा नशीन दरगाह शाह मीना शाह, मौलाना इकबाल कादिरी, मौलाना इदरीस बस्तवी दारूल उलूम नदवतुल उलमा, मौलाना नईमुर्रहमान सिद्दीकी, प्रधानाचार्य दारूल उलूम फरंगी महल, शाह अनवर रहमान जिलानी सफवी सज्जादा नसीन आसीवन, शाह नजमुल हसन उर्फ शुएब मियां सज्जादा नशीन खैराबाद, मुफ्ती अबुल वातिन नोमानी इमाम ज्ञानवापी मस्जिद, वाराणसी, मौलाना हारून नदवी, मौलाना अब्दुल्लाह नदवी, शकील खान और मोहम्मद यामीन शामिल थे। इन सभी की उत्तर प्रदेश के मुस्लिम समाज के संदर्भ में अच्छी-खासी पैंठ मानी जाती है। ज्यादातर मुसलमान सामाजिक और राजनीतिक मसलों पर इनसे मार्गदर्शन प्राप्त किया करते हैं।
उलमा-ए-कराम ने कहा कि पिछले पांच वर्ष में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कई प्रमुख कार्य किए हैं, जिनमें 150 मदरसों को ग्रांट लिस्ट पर लिया गया, उर्दू को रोजी रोटी से जोड़ने का वादा पूरा करते हुए 12 हजार उर्दू शिक्षकों को सरकारी नौकरियां दी गईं, यूनानी डॉक्टर्स को मार्डेन मेडिसिन प्रयोग करने का कानूनी अधिकार दिया गया, जिसमें 90 प्रतिशत मुस्लिम डॉक्टर्स हैं, रामपुर में मशहूर स्वतंत्रता सेनानी मौलाना मुहम्मद अली जौहर के नाम से विशाल विश्वविद्यालय स्थापित किया गया और अल्पसंख्यक घोषित करके मुसलमानों के शैक्षिक भविष्य को रौशन करने की कामयाब कोशिश की गई, आजादी के बाद से पहली बार उत्तर प्रदेश में दो डीजीपी मुसलमान बनाए गए, चीफ सेक्रेट्री के उच्च पद पर मुसलमान अफसर को नियुक्त किया गया, पहली बार बड़ी संख्या में मुस्लिम अफसरों को डीएम, एएसपी, एसपी इत्यादि की जिम्मेदारी दी गई, दो मुस्लिम अधिवक्ताओं को प्रदेश का एडिशनल एडवोकेट जनरल बनाया गया, यूपी में पहली बार दो मुसलमानों की नियुक्ति इनफार्मेशन आयुक्त जैसे उच्च पद पर की गई।
उलमा-ए-कराम ने कहा कि समाजवादी सरकार ने अल्पसंख्यक विभाग के बजट में कई गुना वृद्धि की है। मुस्लिम कब्रिस्तानों की सुरक्षा को सुनिश्चित करते हुए 18 हजार कब्रिस्तानों की बाउंड्री वाल 13 सौ करोड़ की लागत से बनवाई गई। हाजियों की सहूलियत के लिए पिछली सरकार में लखनऊ में और इस बार गाजियाबाद में खूबसूरत हज हाउस बनाया गया। करीब 11 लाख 52 हजार मुस्लिम महिलाओं को समाजवादी पेंशन दी गई। शहरों में नए इलाकों के साथ-साथ गलियां भी बड़े पैमाने पर बनवाई गईं। ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती के उर्स के अवसर पर सरकारी छुट्टी की घोषणा की गई। आजादी के बाद पहली बार बड़े पैमाने पर दंगा पीड़ितों को मुआवजा दिया गया। आजादी के बाद पहली बार इतनी बड़ी संख्या में मुसलमानों को मंत्री व प्रदेश मंत्री और विभिन्न विभागों का चेयरमैन बनाया गया। उलमा-ए-कराम ने मुस्लिमों के हित में लिए गए समाजवादी सरकार के निर्णयों के लिए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सराहना की और उम्मीद जताई है कि नई सरकार के गठन होने पर मुस्लिमों के हित में और प्रभावी कदम उठाए जाएंगे।
उलमा-ए-कराम ने मुख्यमंत्री से मिलकर कहा है कि इन पांच वर्ष में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मुसलमानों के हित में तमाम फैसले लिए हैं, उनकी रोजी-रोटी तथा सम्मान औैर सुरक्षा के विशेष कदम उठाए हैं, मुस्लिमों के हित में योजनाएं लागू की गई हैं। उलमा-ए-कराम ने कहा कि लोकतंत्र में सभी को अपनी पसंद का वोट देने का हक है, लेकिन कुछ लोग धर्म के आधार पर वोट की अपील करने लगते हैं, ये वही लोग हैं, जो अपनी सुविधा के अनुसार विभिन्न राजनीतिक पार्टियों और लोगों के पक्ष में अपीलें जारी करते रहते हैं, उनकी ये अपीलें सेक्यूलर वोट को बांटने का नाकाम प्रयास है। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास होना चाहिए कि सेक्यूलर वोट का विभाजन न हो।

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