डॉ के परमेश्वरन
Wednesday 13 February 2013 08:00:06 AM
मदुरई। कुछ समय पहले मदुरई जिले के पश्चिमी हिस्से के गांव में तैनात अधिकारियों ने महिला स्वास्थ्य केंद्र के प्रबंधन की जिम्मेदारी पड़ोस के रज्जुकर किसान क्लब को सौंपी। मदुरई के मेलूर ब्लॉक के लक्ष्मीपुरम स्थित यह क्लब स्थानीय स्कूल के ग़रीब बच्चों को हर साल किताबें बांट रहा है। जिले के वैगई विवासाइगलसंघम के किसान कृषि संबंधी कार्यक्रम राज्य के विभिन्न हिस्सों में चला रहे हैं। यह सब राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के देश के गांव में चलाए जा रहे अभियान के तहत हुआ है। किसान क्लब की अवधारणा नाबार्ड समर्थित है और इसका नारा एक गांव में किसानों का एक क्लब है। प्रगतिशील किसान क्लब के झंडे तले एकत्रित होते हैं। नाबार्ड तीन वर्षों तक इन क्लबों को किसानी के प्रगतिशील तौर-तरीके संबंधी प्रशिक्षण और कृषि संबंधी यात्राओं के लिए राशि उपलब्ध कराता है।
मदुरई जिले के विभिन्न गावों में अभी 170 किसान क्लब काम कर रहे हैं। इन क्लबों में सर्वाधिक सफल किसान हैं-उत्थापनीकनूर के किसान। किसान चमेली उगाते हैं। नाबार्ड ने इस क्लब को इंडियन बैंक की साझेदारी में 30 क्लबों में शुमार किया है। एक कदम बढ़कर इन क्लबों ने एक फेडरेशन बनाया है, जिसका नाम है-उत्थापनीकनूर फलावर ग्रोअर फेडरेशन। जास्मीन उगाने वाले किसान चाहते हैं कि वे स्वयं अपना बाजार चलाएं। किसान इसके लिए जिला प्रशासन से समर्थन चाहते हैं और सिद्धांत रूप में उन्हें जमीन देने की मंजूरी भी दी गई है।
नाबार्ड ने मदुरई के अलंगनाल्लानूर के सहकारिता क्षेत्र की प्राथमिक कृषि सहयोग समितियां को इस तरह के क्लब बनाने की मंजूरी दी है। हाल में अलंगनाल्लानूर ब्लॉक में परी पेट्टी किसान क्लब और देवासेरी किसान क्लब के लिए ओरिएंटेशन कार्यक्रम चलाया गया। नाबार्ड के एजीएम शंकर नारायण की राय है कि किसान वैल्यू चैन की बारीकियों को पूरी तरह समझें। इससे उन्हें लाभ होगा और वे किसान क्लब को परिवर्तन एजेंट समझ लाभ की ओर बढ़ सकते हैं। उन्हें नवीनतम टेक्नॉलोजी के बारे में जानकारी मिल सकेगी, विशेषज्ञों की मदद ले सकेंगे और अतंत: अपने पेशे में निपुण हो जाएंगे।
नाबार्ड अपने किसान टेक्नॉलोजी ट्रांसफर फंड के जरिए किसानों के प्रशिक्षण कार्यक्रम, डेमोप्लॉट का विकास और कृषि ज्ञान के लिए किसानों की यात्राओं जैसे प्रयासों का पूरा खर्च वहन करेगा। आने वाले दिनों में आम और अमरूद के पौधे लगाने के लिए गंभीर प्रयास किए जाएंगे। नाबार्ड किसान क्लब के लिए हर तीन साल पर दस हजार रूपए की राशि आवंटित करता है। तीन साल बाद किसान क्लब से जुडे़ लोगों को प्रोत्साहित किया जाता है कि वे वैसी छोटी-छोटी बचत करें, जिनसे रोजाना के खर्च पूरा हो सकें और जरूरत पड़ने पर एक-दूसरे को ऋण भी दे सकें।
किसान क्लब कार्यक्रम के तहत यहां किसानों को तीन सालों के लिए वार्षिक रख-रखाव ग्रांट भी मिला है। किसान तमिलनाडु में प्रशिक्षण के लिए कार्यक्रमों में शामिल हो सकते हैं (पुड्डुकोटई, कोयंबटूर, त्रिची और कांचीपुरम के किसान ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए चुने गए हैं। किसानों को इस कार्यक्रम के तहत रायटर मार्केट लाइट लिमिटेड के जरिए स्थानीय भाषा में एसएमएस एलर्ट भी हासिल होते हैं। जल प्रबंधन, डेयरी, ओर्गेनिक किसानी तथा सब्जी उगाने जैसे विषयों पर विशेषज्ञों की राय भी मिलती है।
किसान क्लब की अवधारणा का लाभ उठाते हुए किसानों तथा क्लबों को नियमित बैठकें करनी चाहिएं। प्रत्येक महीने बचत करनी चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर एक-दूसरे की मदद हो सके। इसके अलावा उन्हें ऋण अदायगी के उचित व्यवहारों का भी प्रचार करना चाहिए तथा अपने उत्पादों के मूल्यवर्धन पर ध्यान देना चाहिए ताकि वे स्वयं अपनी उत्पादक कंपनी खड़ी कर सकें।