स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Thursday 14 February 2013 06:17:04 AM
लखनऊ। आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में दो अलग-अलग याचिका दायर कर एक में सेंट्रल रिज़र्व पुलिस फ़ोर्स एक्ट एवं रेलवे प्रोटेक्शन फ़ोर्स एक्ट तथा दूसरी में प्रोविंसियल आर्म्ड कांस्टेबलरी एक्ट के कुछ प्रावधानों को चुनौती दी है। इन याचिकाओं में प्रार्थना की गई है कि इन अधिनियमों में कई ऐसे प्रावधान हैं, जो विभेदकारी प्रतीत होते हैं और इसीलिए विधि विरुद्ध घोषित किए जाने चाहिएं।
अमिताभ ठाकुर ने कहा है कि ये सभी बल भारतीय सेना की तर्ज पर बने हैं। आर्मी एक्ट 1950 में भारतीय सेना में कार्यरत सभी कर्मी अपने आपराधिक दायित्वों के लिए समान रूप से जिम्मेदार माने गए हैं। इसी प्रकार बीएसएफ, आईटीबीपी और एसएसबी में भी सभी कर्मी आपराधिक कृत्यों और अकृत्यों के लिए समान रूप से उत्तरदाई माने गए हैं, लेकिन सीआरपीएफ एक्ट, आरपीएफ एक्ट तथा पीएसी एक्ट में इस संबंध में वरिष्ठ और कनिष्ठ अधिकारियों में अंतर किया गया है, जो भेदभाव किसी भी तर्क पर आधारित नहीं होने के नाते अनुचित और समानता के अधिकार के विपरीत है।