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Thursday 14 February 2013 10:01:52 AM
बंगलूरू। उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी ने कहा है कि स्वर्गीय बीडी जत्ती की लोक सेवा के लिए प्रतिबद्धता उनकी गहरी आध्यात्मिक अनुभव पर आधारित थी। वे सामाजिक-धार्मिक संगठन बासव समिति के संस्थापक अध्यक्ष थे। यह संस्था 12वीं सदी के संत, दार्शनिक और समाज सुधारक बसावेश्वर के दर्शन, जीवन और उपदेशों के प्रचार-प्रसार में अग्रणी रही है।
बसावेश्वर के ‘वाचनाज’ के अनुवादों के 10 भाग जारी करने के बाद बंगलूरू में इस पर आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि बसावेश्वर ने समाज में अन्याय और गैर-बराबरी खासकर अमानवीय जाति-व्यवस्था के खिलाफ कठिन संघर्ष किया। उन्होंने समाज में जागरूकता फैलाई और सभी मानव जीवों में बराबरी का उपदेश दिया। उन्होंने समाज से छुआछूत को मिटाने के लिए गंभीर प्रयास किए। उनके उपदेश प्रगतिशील सामाजिक विचारों पर आधारित थे। उपराष्ट्रपति ने कहा कि बसावेश्वर ने मानवता में एकता, बराबरी, भाईचारा और आपसी लगाव का संदेश दिया जो आज 21वीं सदी में भी आधुनिक और प्रगतिशील समाज के निर्माण में समसामयिक ही नहीं बल्कि ज्यादा जरूरी है।
उन्होंने कहा कि बसावेश्वर के उपदेशों का पहले चरण में अनुवाद हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी, तमिल, तेलुगु, मराठी, पंजाबी, बंगाली, कन्नड़ और संस्कृत में किया गया है। इससे मानवता की इस विरासत की पहुंच अधिक लोगों तक बढ़ेगी। उपराष्ट्रपति ने कहा कि बीडी जत्ती अपनी कथनी और करनी से बासव के सच्चे अनुयायी और भक्त थे।