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Sunday 29 October 2017 02:31:51 AM
अहमदाबाद। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार और गुजरात से राज्यसभा सांसद अहमद पटेल गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की नई मुसीबत बन गए हैं। कांग्रेस सांसत में है कि वह गुजरात की जनता से क्या कहे और अहमद पटेल मुंह छिपा रहे हैं कि गुजरात एटीएस ने भरुच जिले के अंकलेश्वर नगर में सरदार वल्लभभाई पटेल के नाम पर चल रहे जिस अस्पताल से वैश्विक इस्लामिक आतंकवादी बगदादी के संगठन आईएसआईएस का सक्रिय आतंकवादी कासिम टिंबरवाला पकड़ा है, उस अस्पताल के वह सर्वेसर्वा माने जाते हैं और 2014 तक तो वह उसके ट्रस्टी ही थे। गुजरात एटीएस की प्रारंभिक पूछताछ में यह तथ्य सामने आया है कि कासिम टिंबरवाला और उसके सहयोगी उबैद मिर्ज़ा मिलकर अहमदाबाद में यहूदियों के प्रसिद्ध उपासना स्थल मेगन अब्राहम सिनेगॉग पर कत्लेआम कराकर उसी वक्त जमैका भाग जाने की तैयारी में थे। कासिम टिंबरवाला इस अस्पताल में ईको कार्डियोग्राम टेक्नीशियन था, जबकि उबैद मिर्ज़ा पेशे से वकील है और सूरत जिला अदालत में वकालत करता है और एक होटल भी चलाता है। कासिम टिंबरवाला ने योजनानुसार इस वारदात को अंजाम देने के लिए हालही में अस्पताल की नौकरी से भी इस्तीफा दे दिया था, लेकिन गुजरात एटीएस को उसके प्लान का पता चल गया और वह धरा गया। आईएसआईएस के आतंकवादी कासिम टिंबरवाला का प्लान इतना खतरनाक था कि उसमें गुजरात क्या देश भी हिल जाता और उबैद मिर्ज़ा के भी मनसूबे उससे कम नहीं थे।
इस्लामिक आतंकवादी उबैद मिर्ज़ा के सोशल मीडिया पर पेज पर जो कमेंट पकड़े गए हैं और जिन्हें फेसबुक ने ब्लॉक भी कर दिया है, वे मुसलमान युवाओं को ज़ेहाद और इस्लामिक आतंकवाद की तरफ ले जाने के लिए काफी हैं। इसी से पता चलता है कि भारत में इस्लामिक आतंकवाद को पनाह मिल चुकी है और आईएसआईएस ने भारत में अपने ठिकाने बनाकर भारत के शहरों को दहलाने की योजना बना ली है। उबैद मिर्ज़ा ने सोशल मीडिया पर जो कमेंट पोस्ट किए हैं, वे काफी आपत्तिजनक हैं, जैसे-(कश्मीरियों को अभीतक समझ में नहीं आया कि शरियत का हवाला दिए बग़ैर एकता मुमकिन नहीं है, उन्हें खुलकर जंग का ऐलान कर देना चाहिए, तभी बाकी मुसलमान उनके साथ खड़े होंगे और दुनियाभर के मुसलमान उनका साथ देंगे-8 जुलाई 2016 उबैद मिर्ज़ा)। जैसे-(भाईयों और बहनों कश्मीर उबल रहा है, अबतक पच्चीस मुसलमानों को भारत की काफिर फौज ने मार डाला है, इंशाअल्लाह इसबार ज़ेहाद का खुलकर ऐलान होगा, हम मुसलमानों की हत्या से परेशान नहीं हैं, चाहे जितने लोग मारे जाएं, हमें तो बस आईएसआईएस का बदला लेना है-11 जुलाई 2016 उबैद मिर्ज़ा)। जैसे-(या खुदा तू ही हमारी ताकत है, तूने ही आईएसआईएस को इतनी ताकत दी है और हथियार मुहैया कराए हैं-24 दिसंबर 2016 उबैद मिर्ज़ा)। इन दोनों गिरफ्तारियों ने कांग्रेस के नेता अहमद पटेल को निरुत्तर किया हुआ है, क्योंकि यह गुजरात को फिरसे दहला देने की साजिश थी, जबकि गुजरात में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और गुजरात की जनता अब अहमद पटेल और कांग्रेस से इस साजिश पर जवाब मांग रही है।
भाजपा ने इस मुद्दे पर कांग्रेस को घेर लिया है। अहमद पटेल की ओर से कांग्रेस बोल रही है और कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला का तर्क है अहमद पटेल का इस अस्पताल से कोई वास्ता नहीं है, वह सन् 2014 में ही अस्पताल के ट्रस्टी के पद से इस्तीफा दे चुके हैं, लेकिन कांग्रेस प्रवक्ता इस सवाल पर खामोश हैं कि यदि अहमद पटेल का इस अस्पताल से कोई वास्ता नहीं है तो फिर ट्रस्टी पद से इस्तीफा देने के बाद भी 23 अक्टूबर 2016 को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के अस्पताल के कार्यक्रम में अहमद पटेल मेजबान की तरह राष्ट्रपति के साथ थे, नहीं तो फिर उन्होंने किस रूप में कार्यक्रम का मंच साझा किया? जाहिर सी बात है कि राष्ट्रपति के इस अस्पताल में आगमन के पीछे भी अहमद पटेल के अलावा और कौन होगा? गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी का आरोप गले उतरता है कि अहमद पटेल ही इस अस्पताल के आज भी कर्ताधर्ता बने हुए हैं और कासिम टिंबरवाला इस अस्पताल में किनकी सिफारिश पर रखा गया और उसकी गतिविधियों का पता नहीं चल पाया, इसपर भी अहमद पटेल को सफाई देनी चाहिए। कांग्रेस के प्रवक्ता तर्क दे रहे हैं कि पाकिस्तान में बैठे अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की पत्नी पिछले दिनों मुंबई घूमकर चली भी गई और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस क्या करते रहे? सवाल तो सही है, लेकिन कासिम टिंबरवाला को गुजरात एटीएस ने सबूतों के साथ पकड़ा है और यह मुमकिन है कि वह अहमद पटेल के भी संपर्क में आया हो, क्योंकि दोनों का इस अस्पताल से संबंध है।
गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए यह मुद्दा काफी गर्म रहेगा और कांग्रेस भाजपा के निशाने पर रहेगी। भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नक़वी ने तो यहां तक कह दिया है कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी को बताना चाहिए कि उनकी पार्टी कांग्रेस को आतंक से क्यों न जोड़ा जाए? सोनिया गांधी तो इस समय अस्पताल में भर्ती हैं, वैसी भी वे मीडिया के सामने कम ही आती हैं, लेकिन यह मामला इसलिए ज्यादा गंभीर है, क्योंकि अहमद पटेल सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार भी हैं। अहमद पटेल गुजरात में राज्यसभा का चुनाव जीतने के बाद जिस उत्साह से कांग्रेस को जिताने निकले थे, वह उत्साह इस समय धराशाई हो चुका है। कांग्रेस के प्रत्याशियों के सामने चुनाव में यह सवाल बार-बार उठेगा कि कासिम टिंबरवाला गुजरात को दहलाने वाला था और कांग्रेस के पास मुंह चुराने के अलावा कोई जवाब नहीं है। अहमद पटेल खुद सफाई देने के बजाए कांग्रेस प्रवक्ताओं से जवाब दिलवा रहे हैं, जिससे साबित होता है कि अहमद पटेल गुजरात चुनाव में इस साजिश का हिस्सा भी हो सकते हैं, जिसके कामयाब होने पर वे भाजपा पर ही आरोप लगाते। भारतीय जनता पार्टी ही नहीं दूसरे दलों में भी इस मामले पर बेचैनी है और जहां तक कांग्रेस का सवाल है तो कांग्रेस को इसमें जरूर नुकसान होगा, भलेही भाजपा विरोधी पटेल पट्टीदारों को कांग्रेस साथ लिए घूम रही है। भाजपा ने अहमद पटेल से इस मुद्दे पर राज्यसभा से इस्तीफा भी मांगा है और यह समझा जा रहा है कि कांग्रेस अहमद पटेल को गुजरात चुनाव से दूर रख सकती है। देखना है कि यह मुद्दा गुजरात की चुनाव राजनीति में क्या गुल खिलाता है। गुजरात में आतंकवादियों की गिरफ्तारी राष्ट्रीय सुरक्षा की नज़र में बड़ी घटना मानी जा रही है।