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Thursday 14 December 2017 05:13:59 AM
मुंबई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मुंबई में एक समारोह में नौसेना की पनडुब्बी आईएनएस कलवरी को राष्ट्र को समर्पित किया। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि भारतीयों के लिए यह गौरव से भरा हुआ एक महत्वपूर्ण दिवस है, इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर देशवासियों को बहुत-बहुत बधाई। उन्होंने कहा कि नौसेना के बेड़े में कलवरी का जुड़ना रक्षाक्षेत्र में हमारी तरफ से उठाया गया एक बहुत बड़ा कदम है, आईएनएस कलवरी ‘मेक इन इंडिया’ का एक प्रमुख उदाहरण है। उन्होंने कहा कि कलवरी की शक्ति, या कहें टाइगर शार्क की शक्ति हमारी भारतीय नौसेना को और मजबूत करेगी। उन्होंने इसके निर्माण में शामिल सभी लोगों की सराहना की। उन्होंने इस पनडुब्बी को भारत और फ्रांस के बीच तेजीसे बढ़ रही रणनीतिक साझेदारी का उत्कृष्ट उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि आईएनएस कलवरी से भारतीय नौसेना की शक्ति और सुदृढ़ होगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 21वीं सदी को एशिया की सदी कहा जाता है, जिसके विकास का मार्ग हिंद महासागर से होकर जाता है, इसीलिए सरकार की नीतियों में हिंद महासागर का विशेष स्थान है। उन्होंने कहा कि इस दृष्टिकोण को विशेष नाम सागर-सेक्योरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन द रीजन यानि सुरक्षा और इस क्षेत्र में सभी का विकास के जरिए समझा जा सकता है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत की सामुद्रिक परंपरा का इतिहास बहुत ही पुराना है, पांच हजार साल पुराना गुजरात का लोथल दुनिया के शुरुआती समुद्री बंदरगाहों में से एक रहा है, इतिहासकार बताते हैं कि 84 देशों से व्यापार लोथल बंदरगाह से होता था। प्रधानमंत्री ने कहा कि एशिया के अन्य देशों और अफ्रीका तक में भारत के संबंध समंदर की इन्हीं लहरों से होते हुए आगे बढ़े हैं, सिर्फ व्यापार ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक तौरपर भी हिंद महासागर ने भारत को दुनिया के दूसरे देशों के साथ जोड़ा है, उनके साथ खड़े होने में मदद की है। उन्होंने कहा कि हिंद महासागर ने भारत के इतिहास को गढ़ा है और अब वो भारत के वर्तमान को और मजबूती दे रहा है। उन्होंने कहा कि भारत हिंद महासागर में अपने वैश्विक, रणनीतिक और आर्थिक हितों को लेकर पूरी तरह से सजग है, इसीलिए आधुनिक और बहुमुखी भारतीय नौसेना इस क्षेत्र में शांति और स्थायित्व को बढ़ावा देने में प्रमुख भूमिका निभाती है।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि समुद्र में निहित शक्तियां राष्ट्र निर्माण के लिए आर्थिक शक्ति प्रदान करती हैं। उन्होंने कहा कि भारत समुद्री आतंकवाद, समुद्री डकैती और मादक पदार्थों की तस्करी जैसी चुनौतियों को लेकर सजग है, जो न केवल भारत, बल्कि इस क्षेत्र के अन्य राष्ट्रों के लिए भी गंभीर चुनौती है। उन्होंने कहा कि भारत इन चुनौतियों से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत का मानना है कि विश्व एक परिवार है और इसी भावना के साथ वह अपने वैश्विक उत्तरदायित्वों को निभा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत अपने साझेदार देशों के संकट के समय में सबसे पहले उनके साथ खड़ा हुआ है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय कूटनीति और भारतीय सुरक्षा तंत्र का मानवीय पहलू हमारी विशिष्टता है तथा विश्व के देश भारत के साथ शांति और स्थिरता के पथ पर चलने के इच्छुक हैं। नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारतीय नौसेना ने हिंद महासागर में अपने शौर्य से दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है। उन्होंने कहा कि जुलाई में हुए मलाबार अभ्यास में अमेरिका और जापान की नौसेना के साथ भारतीय नौसेना ने शानदार प्रदर्शन किया था, इसी तरह श्रीलंका, रूस, अमेरिका, ब्रिटेन, बांग्लादेश ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, म्यांमार, जापान और इंडोनेशिया की सेनाओं के साथ भी भारतीय नौसेना ने संयुक्त अभ्यास किया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की सुरक्षा के लिए चुनौतियों का स्वरूप बदल चुका है, हम अपनी रक्षा तैयारियों को इन चुनौतियों के अनुरूप करने के लिए भरसक प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश है कि विदेशों की तरह ही भारतीय कंपनियां भी फाइटर प्लेन से लेकर हेलीकॉप्टर और टैंक से लेकर सबमरीन तक का निर्माण इसी धरती पर करें। उन्होंने कहा कि भविष्य में यही रणनीतिक साझेदारी भारत की डिफेंस इंडस्ट्री को और मजबूत बनाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने रक्षाक्षेत्र से जुड़े सामान की खरीद में तेजी लाने के लिए अनेक नीतिगत फैसले लिए हैं, रक्षा मंत्रालय और सर्विस हेडक्वार्टर स्तरपर वित्तीय शक्तियों में बढ़ोतरी की गई है, पूरी प्रक्रिया को और सरल एवं कारगर बनाया गया है, इन महत्वपूर्ण सुधारों से रक्षा व्यवस्था और देश की सेनाओं की क्षमता और भी मज़बूत होगी। नरेंद्र मोदी ने कहा कि इन तीन वर्ष में रक्षा और सुरक्षा से संबंधित संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र में बदलाव की शुरूआत हुई है।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि आईएनएस कलवरी के निर्माण के दौरान एकत्रित कौशल, भारत की संपदा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार की प्रतिबद्धता के कारण ही काफी समय से लंबित ‘वन रैंक वन पेंशन’ के मुद्दे का समाधान निकल पाया है। उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियों और सैन्यबलों की वीरता से ही जम्मू और कश्मीर में छद्म युद्ध के रूपमें आतंकवाद के इस्तेमाल को असफल किया गया है। उन्होंने राष्ट्र सुरक्षा में अपना जीवन समर्पित करने वाले व्यक्तियों के प्रति आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में महाराष्ट्र के गवर्नर विद्यासागर राव, रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस, रक्षा राज्यमंत्री डॉ सुभाष भामरे, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल, फ्रांस के राजदूत अलेक्सेंडर जिगरल, फ्रांसीसी अतिथि, नौसेना के प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा, कमांडिंग इन चीफ वेस्टर्न नेवल कमांड वाइस एडमिरल गिरीश लूथरा, वाइस एडमिरल डीएम देशपांडे, सीएमडीएमडीएल राकेश आनंद, कैप्टन एसडी मेहंदले, नौसेना के अधिकारी, सैनिक, मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड के अधिकारी और कर्मचारी भी उपस्थित थे।