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Tuesday 26 February 2013 10:49:00 AM
श्रीहरिकोटा। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो की उपलब्धियों की सराहना की है और कहा है कि पिछले तीन वर्षों में इसरो ने 15 शानदार मिशन पूरे किए हैं, जिनमें कॉर्टोसैट-2बी, मेघाट्रॉपिक्स, रिसेट-1 और कई पीएसएलवी प्रक्षेपण शामिल हैं। सोमवार को श्रीहरिकोटा में पीएसएलवी-सी20/सरल मिशन के प्रक्षेपण के अवसर पर वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि देशवासियों को इसरो पर असीम विश्वास है। यह विश्वास इस संगठन पर और भी बड़ी जिम्मेदारी डालता है कि वह नवोन्मेष और प्रौद्योगिक उत्कर्ष में अग्रणी रहे और उपलब्धियों की नई ऊंचाईयों को छुए।
राष्ट्रपति ने कहा कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत अन्य देशों के साथ द्विपक्षीय सहयोग कर रहा है। पीएसएलवी-सी20/सरल मिशन के प्रक्षेपण में भागीदारी के लिए उन्होंने फ्रांस की अंतरिक्ष एजेंसी सीएनईएस को बधाई दी। प्रणब मुखर्जी ने कहा कि भारत में खगोल विद्या आर्य भट्ट और भास्कर के समय की विरासत है, लेकिन वर्तमान अंतरिक्ष कार्यक्रम लगभग 50 वर्ष पुराना है। हमारे महान वैज्ञानिकों डॉ विक्रम साराभाई, डॉ सतीश धवन, प्रोफेसर यूआर राव, प्रोफेसर कस्तूरी रंगन और अन्य वैज्ञानिकों के प्रयासों से भारत उपग्रहों, प्रक्षेपणयानों और अंतरिक्ष उपयोगों के देश में ही डिजाइन तैयार करने और उन्हें विकसित करने की क्षमताएं प्राप्त कर चुका है। हमारी प्रक्षेपण क्षमताओं की विश्व में मान्यता है और इसरो अन्य देशों के उपग्रहों का भी प्रक्षेपण कर रहा है।
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम का उद्देश्य शुरू से ही उपयोगी कार्यों में इस्तेमाल करने का रहा है। हमने अंतरिक्ष प्रयोगों का इस्तेमाल सरकार को लोगों के करीब ले जाने में किया है, विशेष रूप से उन लोगों के, जो शहरों से दूर देश के दूर-दराज के इलाकों में रहते हैं। टेली-शिक्षा और टेली-चिकित्सा के जरिए सरकार लोगों की बुनियादी जरूरतों को पूरा कर रही है। एजुसैट से स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में पढ़ाई के तरीके में बदलाव आया है। ग्राम संसाधन केन्द्रों से कृषि, बागवानी, मत्स्य पालन, मवेशी पालन, जल संसाधनों, माइक्रो फाइनेंस और व्यवसायिक प्रशिक्षण के क्षेत्रों में लोगों को जानकारी देने में आसानी हुई है। दूर-संवेदन क्षमताओं से प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन सुचारू रूप से हो रहा है। मुखर्जी ने कहा कि चंद्रयान-1 मिशन पर देश को गर्व है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस वर्ष के मंगल ग्रह मिशन और अन्य मिशनों में भी देश को सफलता मिलेगी।
इससे पूर्व भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान पीएसएलवी-सी-२० सोमवार को शाम 5 बजकर ५६ मिनट पर श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सफलता के साथ छोड़ा गया। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस यान का प्रक्षेपण देखा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने बताया कि एसएलवी-सी-२० भारत और फ्रांस के संयुक्त उपग्रह सरल के साथ छह अन्य उपग्रह लेकर गया है। सरल भारत की लघु उपग्रह बस श्रृंखला का पहला उपग्रह है। इसका वजन 409 किलो है। सरल शब्द अरगोस और अल्टिका उपग्रहों के नाम जोड़कर बना है।
सरल उपग्रह महासागर से अधिकतम आंकड़े जुटाएगा। इसका उपयोग समुद्री मौसम के अनुमान, जलवायु और समुद्री जल स्तर की निगरानी के साथ-साथ समुद्री जीवों के इधर-उधर आने जाने के रुख का अध्ययन करने के लिए किया जाएगा। इसमें से अल्टिका उपग्रह महाद्वीपीय जल क्षेत्रों के अध्ययन, द्वीपीय हिम क्षेत्र की निगरानी और तटवर्ती क्षेत्रों के अध्ययन के लिए किया जाएगा। केनेडा के सेफायर और नियो उपग्रह अंतरिक्ष से निगरानी करेंगे और अमरीकी अंतरिक्ष निगरानी तंत्र का हिस्सा होंगे।