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Monday 29 January 2018 02:08:44 AM
'सवा लाख से एक लड़ाऊं' सिख पंथ के महान योद्धा, संत और श्रीगुरू साहिब गुरु गोबिंद सिंह के वीरता और जोश से लबरेज़ इस वाक्य की प्रासंगिकता बलदेव सिंह औलख पर सिद्ध होती है, जी हां! बलदेव सिंह औलख उत्तर प्रदेश के रामपुर जनपद के बिलासपुर विधानसभा क्षेत्र से भारी वोटों से निर्वाचित होकर विधानसभा में आए भाजपा के सिख विधायक हैं और योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल में अल्पसंख्यक कल्याण, सिंचाई और सिंचाई अभियांत्रिक विभाग के राज्यमंत्री हैं। बिलासपुर रुहेलखंड का एक ऐसा क्षेत्र है, जहां मुस्लिम राजनीति और उसमें भी समाजवादी पार्टी के बहुचर्चित बहुविवादित और बहुप्रतिक्रियावादी नेता मोहम्मद आज़म खां और उनके लोगों का बोलबाला रहता है। तेईस साल से भाजपा बिलासपुर विधानसभा सीट हारती आ रही थी, लेकिन जब अवसर मिला तो बलदेव सिंह औलख ने अपने राजनीतिक कलाकौशल से हमवतनों को एकजुट करके पंचायत चुनाव से लेकर सहकारिता चुनाव के हर स्तर पर एवं उसके बाद विधानसभा चुनाव में प्रतिक्रियावादी शक्तियों का पराभव किया है। बलदेव सिंह औलख उत्तर प्रदेश में भाजपा की सिख राजनीति के युवा चेहरे हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश में भाजपा के लिए सिंह साहेबानों को एकजुट करने में बड़ी सफलता पाई है, जिसपर भाजपा नेतृत्व गर्व भी करता है।
समाजवादी पार्टी ने तो पंजाब से आयात करके और वह भी एक अकाली नेता बलवंत सिंह रामूवालिया को विधान परिषद के जरिये उत्तर प्रदेश की अखिलेश यादव सरकार में मंत्री बनाया, लेकिन बलदेव सिंह औलख उत्तर प्रदेश की भाजपा की दृढ़निश्चयी एवं निष्ठावान निधि हैं। वे बिलासपुर के श्रीनगर गांव के रहने वाले हैं और एक किसान पृष्ठभूमि से हैं। भारतीय जनता पार्टी ने समाजवादी पार्टी के वर्चस्व के दौरान उन्हें दो बार रामपुर का जिलाध्यक्ष बनाया, इससे पूर्व भाजपा के महामंत्री और उपाध्यक्ष भी बनाए गए। उन्होंने सपा को खदेड़कर इस क्षेत्र में भाजपा के झंडे गाड़े हैं। वे कहते हैं कि 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मेरठ में भाजपा की पहली रैली हुई थी, जिसमें हम सबने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया था, वह रैली नहीं थी, बल्कि एक जोश था, जिसने सोए हुए देश को युवाओं को जगाया और आज पूरा देश भारतमय है, आज भी हम उसी जोश से भरे हुए हैं। वे विनम्रतापूर्वक कहते हैं कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी ने मेरे जैसे एक सिख व्यक्ति पर भरोसा करके बिलासपुर की विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ने का मौका दिया और भारी बहुमत से हमें विजय मिली, मै उत्तर प्रदेश के सिख समाज का भी बड़ा आभारी हूं, जिसने उत्तर प्रदेश में भाजपा की जीत में बड़ी अनुकरणीय भूमिका अदा की है। प्रस्तुत है उनके सामाजिक राजनीतिक कॅरियर और जीवनशैली पर एक साक्षात्कार-
औलखजी! आपको राजनीति में आने की प्रेरणा कहां से मिली, एक तो आप एक किसान परिवार से हैं और दूसरे आप जिस इलाके से आते हैं, वहां किसी और के लिए राजनीतिक जमीन तैयार करना आसान नहीं माना जाता है, क्योंकि वह आजम खां और उनके लोगों के वर्चस्व का क्षेत्र है, जो किसी दूसरे को आसानी से बर्दाश्त नहीं करते हैं...
और मैं राजनीति में आ गया...
मैं कुमायूं यूनिवर्सिटी के डीएसपी कॉलेज नैनीताल में पढ़ने गया था, मैंने बीए से लेकर एमए इकोनॉमिस वहां से किया है, मैं इसी कॉलेज में छात्र संघ का महामंत्री का चुनाव लड़ा और मैं जीता, यह पहलीबार हुआ जब पहाड़ पर किसी सिख ने कॉलेज के छात्र संघ के चुनाव में किसी पद पर विजय पाई, लेकिन मैं राजनीति की तरफ नहीं जाना चाहता था और हमारे कुछ हालात भी ऐसे थे कि मैं कुछ काम यानी नौकरी करना चाहता था, एमए करते ही मेरी नौकरी भी एक बैंक में लगी, मगर मैं जैसे ही बिलासपुर लौटा तो मुझे मेरे कुछ पुराने मित्र मिले और बिलासपुर में एक छोटीसी जगह पर वे एक डिग्री कॉलेज की मांग कर रहे थे, बिजली की मांग कर रहे थे तो मैं भी उनके साथ शामिल हो गया, एक संघर्ष समिति बनाई गई और जितने भी यूथ और मेरे बड़े थे उन्होंने मेरे भाषण से प्रभावित होकर मुझे उसका अध्यक्ष बना दिया और कहा कि आगे से उन्हें मेरे नेतृत्व में काम करना है, संर्घष करना है, इस प्रकार धीरे-धीरे मैं राजनीतिक लाइन पर आ गया और फिर मैं गन्ना सोसायटी का चेयरमैन बना, कोऑपरेटिव का चेयरमैन बना, कोऑपरेटिव बैंक का डायरेक्टर बना, जिला पंचायत का तीन बार मैंबर बना, दो बार ब्लाक प्रमुख हुआ भाजपा से मैं जुड़ा था जिससे भाजपा नेतृत्व ने मुझे रामपुर जिले में संगठन को मजबूत करने की जिम्मेदारी दी, नेतृत्व ने मुझपर भरोसा करके मुझे विधानसभा का टिकट दिया और मैं विधायक हुआ और आज मैं नेतृत्व की कृपा से योगी आदित्यनाथ सरकार में राज्यमंत्री हूं।
आपने अपने राष्ट्रीय नेतृत्व का विश्वास अर्जित किया है कैसा लगता है दूसरी ओर यूपी में सिख समाज के आप अकेले मिनिस्टर हैं और आपसे सिख समाज को भी बड़ी उम्मीदें हैं...
'मुझे सेवा का अवसर मिला है'
जी हां! भाजपा और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाहजी की मेरे ऊपर विशेष कृपा है, मैं उनका बहुत सम्मान करता हूं, जब वे यूपी के प्रभारी थे और मैं रामपुर जिले का अध्यक्ष था, तब लोकसभा के चुनाव चल रहे थे और हफ्ते में एक-दो बार मेरी उनसे मुलाकात होती थी, उस समय मुझे उनको और भी करीब से जानने का अवसर मिला, वे प्रेरणावादी और सच्चे इंसान हैं, वो एक मेहनती एवं कुशल रणनीतिकार हैं, वो खुद भी कहते और पूछते थे कि रामपुर में कैसा चल रहा है, क्योंकि रामपुर में लगता था कि सीट जीतना मुश्किल है, क्योंकि तेईस साल से भाजपा बिलासपुर विधानसभा सीट हारती आ रही थी, लेकिन वो हमें उत्साहित किया करते थे कि यहां पर जरूर जीतेंगे और हम जीते, उनका हमारे लिए प्रेम और योगदान बहुत महत्व रखता है, जहांतक यूपी के सिख समाज की उम्मीदों का सवाल है तो यह स्वाभाविक बात है और मुख्यमंत्री योगीजी, हमारे प्रदेश भाजपा अध्यक्ष महेंद्रनाथ पांडेयजी से चर्चा होती है कि समाज के कल्याण के लिए कैसे क्या करना है, क्योंकि मेरे पास अल्पसंख्यक कल्याण विभाग भी है, मुझे लोगों की सेवा करने का मौका मिल रहा है और उत्तर प्रदेश में कहीं भी अगर कोई सिख परेशान होता है तो तुरंत यहां इस मन से आता है कि हमारे समाज से एक व्यक्ति योगी सरकार में मंत्री है, उससे हम अपनी व्यथा-कथा कह सकते हैं, जिसे वो हल करेंगे, मैं समस्याओं को ज्यादा से ज्यादा हल करने की कोशिश करता हूं, योगीजी की मुझ पर बड़ी कृपा है मैं उनके आशीर्वाद से किसी भी कमजोर व्यक्ति का कार्य रुकने नहीं देता हूं।
एमएलए और एमपी के चुनाव रणनीतियों पर आधारित होते हैं, लेकिन आप पहले ही चुनावों का बहुत बड़ा ज़मीनी मैदान जीत चुके हैं...
'दिग्गजों को चुनाव में हराया है'
देखिए! मेरे अंदर पहले से ही कोई संकोच या भय नहीं था, मैं आपको एक घटना बताता हूं कि मैंने जब कोऑपरेटिव के चुनाव लड़े हैं, तब कांग्रेस की सरकार थी, उस समय बड़े असरदार नेता सरदार दलजीत सिंह मिनिस्टर हुआ करते थे, उनके भतीजे को मैंने हराया, जब ज्ञानी हरमिंदर सिंह एमएलए बने तब समाजवादी पार्टी की सरकार थी तो मैंने उनके सगे भतीजे को कोऑपरेटिव के चुनाव में हराया और आज़म खां जब मिनिस्टर थे और बैंक के डायरेक्टर का चुनाव हो रहा था तो उनके भाई को हराकर मैंने वो भी चुनाव जीता, इससे क्षेत्र की जनता में मेरे पर भरोसा बढ़ता गया, लोग दिल से मेरे साथ थे, साथ हैं, इस चुनाव में भी कुछ लोग सामने नहीं आना चाहते थे, लेकिन सबने कहा कि आप चुनाव लड़िए हम आपको चुनाव लड़ाएंगे, मैं कोऑपरेटिव का चुनाव लड़ा और आजम खां के भाई को जो कि कोऑपरेटिव का चेयरमैन बनना चाहता था, मैंने उसको हराया, ये चुनाव बड़े संघर्ष होते हैं, जिनमें मैं कहीं भी पीछे नहीं हटा।
आपकी राजनीतिक प्रगति को देखकर माता-पिता की क्या प्रतिक्रियाएं थीं, उन्होंने आपकी सफलताओं को किस प्रकार से महसूस किया, क्योंकि एक पुत्र से माता-पिता की बड़ी उम्मीदें होती हैं...
'माता-पिता का पूरा साथ मिला'
राजनीति में आने पर मुझे माता-पिता ने कभी भी नहीं रोका, यही नहीं उन्होंने यथासंभव किसानी से कमाए पैसों से मेरी जरूरतों को पूरा किया, उनके सहयोग और आशीर्वाद से मैं यहां आया हूं, नहीं तो नेता लोग बहुत जल्दी डिग जाते हैं और खत्म हो जाते हैं, मैं अपने आपको राजनीति में यहां तक मेनटेन करके लाया हूं, ब्लाक प्रमुख, सोसायटियों के चेयरमैनों के चुनाव ऐसे होते हैं, जिनमें वोटरों को एकजुट रखने में बहुत बड़ा संघर्ष होता है, माता-पिता ने भी मेरे साथ मेरे लिए संघर्ष किया है।
औलखजी! आप उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के अकेले सिख विधायक हैं, आप जिस क्षेत्र से आते हैं, वह मुस्लिम बाहुल्य इलाका कहलाता है और ऐसा भी कहा जाता है कि जैसे आप पाकिस्तान में रह रहे हों और वहां आपका जिनसे राजनीतिक मुकाबला है, उनका एक विघटनकारी इतिहास है, यहसब आप कैसे फेस करते हैं...
'भाजपा ने मुझे ताकत दी है'
आपने बिल्कुल सही कहा और मैं मानता हूं कि पचपन प्रतिशत मुस्लिम हैं मेरे डिस्ट्रिक रामपुर में और हम पैंतालीस प्रतिशत हिंदू हैं, उनमें भी कोई कांग्रेसी कोई सपाई कोई किसी और विचारधारा का है, उसके बावजूद हमलोग विघटनकारी शक्तियों का शांतिपूर्ण सौहार्द से डटकर मुकाबला करते हैं, रामपुर में आज़म खां जैसा आदमी, जो उत्तर प्रदेश की समाजवादी सरकार में मुख्यमंत्री जैसी भूमिका में रहता है और दूसरे लोगों पर अत्याचार करता है, भाजपा ने मुझे ताकत दी और मैंने उनका डटकर मुकाबला करके भाजपा को खड़ा करने का काम किया है और जहां तक मेरी विधानसभा का सवाल है तो वहां पर एक लाख पच्चीस हज़ार मुस्लिम वोट है, उसके सामने भारतीय जनता पार्टी के सिख कैंडिडेट को भारी समर्थन मिला और जहां तक इसमें सिख कंट्रीब्यूशन का सवाल है तो मैं यह कहना चाहता हूं कि हमारे जो गुरू तेग बहादुरजी, गुरू गोबिंद सिंहजी थे, उन्होंने तो हिंदू समाज को बचाने के लिए शहीदी दी है, इसलिए शुरू से ही देश एवं हिंदू समाज में उनका योगदान अनुकरणीय है।
निश्चित रूपसे आपने सही कहा है, अच्छा हमने देखा है कि अकाली राजनीति की भी उत्तर प्रदेश में दिलचस्पी दिखी है, सपा की अखिलेश सरकार में पंजाब के अकाली नेता बलवंत सिंह रामूवालिया मंत्री बनाए गए, वे यहां से विधानपरिषद के सदस्य भी हैं, ये कोई ग़लत नहीं है, मगर क्या यूपी में सिख नहीं हैं...
'रामूवालियाजी का यहां क्या है'
देखिए! रामूवालियाजी पंजाब से इंपोर्ट किए हुए व्यक्ति थे, उन्होंने उत्तर प्रदेश की ज़मीन पर चुनाव भी नहीं लड़ा, वो पंजाब से लाए गए और उनको यहां इसलिए कैबिनेट मिनिस्टर का दर्जा दिया गया ताकि यहां का सिख समाज उनके साथ जुड़ेगा, लेकिन वे ऐसा नहीं कर पाए, मैं तो भारतीय जनता पार्टी का एक छोटा सा कार्यकर्ता हूं और मैं आपसे कहना चाहता हूं कि अकाली दल ने भी उत्तर प्रदेश में अपने पैर जमाने की कोशिश की थी, हम लोगों से भी उनकी वार्ता-चर्चा भी हुई थी, लेकिन हमने उनसे साफ कहा था कि अगर आप यूपी में भारतीय जनता पार्टी से सीट लेना चाहते हैं तो सिंबल भी भारतीय जनता पार्टी का कमल का फूल ही होगा और यह भी सच बात है कि यहां का सिख समाज डटकर भारतीय जनता पार्टी के साथ खड़ा हुआ है, वह राजनीतिक एवं सामाजिक मूल्यों को समझता है, उसे सारी स्थितियां मालूम है, मेरा जन्म यहीं हुआ है, मैं मूलतः भाजपा का कार्यकर्ता हूं, जिसमें अपने ही जिले में दो बार भाजपा का जिलाध्यक्ष रहा, उपाध्यक्ष रहा, महामंत्री रहा, भाजपा के सहायक पदों पर रहा, मुझपर मेरी पार्टी को बड़ा भरोसा है, जिससे भाजपा नेतृत्व मुझे टिकट दिया और सिख समाज ने भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में मतदान किया, रामूवालियाजी का यहां क्या है? जानकार सब जानते हैं, उत्तर प्रदेश में हमारी सरकार को बने हुए दस महीने हो गए हैं, जहां भी मेरा या मेरी पार्टी का कार्यक्रम लगता है तो वहां का सारा समाज इकठ्ठा होकर भाजपा और मेरे लिए खड़ा हो जाता है, जब गुरूद्वारे में बैठक करते हैं या और कहीं सामाजिक कार्यक्रम करते हैं तो उन्हें लगता है कि हमारे समाज के हमारे यहां के व्यक्ति को भाजपा ने प्रतिनिधित्व दिया है, वे समझते हैं कि यूपी में हमारे समाज के लिए भारतीय जनता पार्टी ने कुछ किया है, इसमें उनका जोश भी देखने को मिलता है, मुझपर सभी की कृपा है।
आपके पास अल्पसंख्यक कल्याण विभाग है और भी सिंचाई और सिंचाई अभियांत्रिकी विभाग हैं, कैसे चल रहे हैं आपके विभाग...
'अल्पसंख्यक की परिभाषा चेंज'
देखिए! जब मुझे राज्यमंत्री के रूपमें मंत्रिमंडल में लिया गया, तो अल्पसंख्यक और सिंचाई विभाग मुझे दिया गया, सरकार बनने के बाद एक महीना लगातार हर विभाग का प्रेजेंटेशन चलता रहा तो मैंने महसूस किया कि इससे पूर्व की जो सरकारें थीं, चाहे समाजवादी की थी, चाहे बीएसपी की थी, उनमें अल्पसंख्यक विभाग के जो मंत्री थे, वो मुस्लिम रहे हैं, हमने इस विभाग को पढ़ा समझा और देखा कि क्या करना चाहिए, जब हमारे प्रेजेंटेशन का नंबर आया तो मैंने मुख्यमंत्रीजी से कहा कि मैं अल्पसंख्यक की परिभाषा चेंज करना चाहता हूं, मुख्यमंत्रीजी बोले कि सरदारजी आप कैसे इसकी परिभाषा चेंज कर सकते हैं, मैंने कहा कि आजतक पूर्ववर्ती सरकारों ने अगर अल्पसंख्यक किसी को माना है तो मुस्लिम को ही माना है, जबकि अल्पसंख्यकों की अदर कास्ट की तरफ उनके विकास की तरफ, उनकी तरक्की की तरफ झांककर नहीं देखा गया, फिर मैंने बताया कि अल्पसंख्यक तो सिख भी हैं, अल्पसंख्यक जैन भी हैं, अल्पसंख्यक बौद्ध भी हैं, अल्पसंख्यक इसाई भी हैं, अल्पसंख्यक पारसी भी हैं, इसलिए मैं अगर सबसे पहले काम करुंगा तो पहले इनपर करुंगा, फिर उसके बाद मुस्लिम पर काम करुंगा, क्योंकि मुस्लिम पर बहुत काम हो चुका है, जिनके लिए अभी तक कुछ नहीं किया गया, उनके लिए हम सोचेंगे।
आपने क्या देखा कि इनमें और क्या होना चाहिए, अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए क्या हो रहा है, क्या योजनाएं बना रहे हैं...
'भ्रष्टाचार पर कड़ी कार्रवाई'
मैंने अल्पसंख्यकों के सम्मेलन में शिरकत करने के बाद और विभाग की जानकारी लेने पर पाया है कि पूर्ववर्ती सरकारों में अल्पसंख्यकों के अनेक मदरसों में बहुत भ्रष्टाचार, बहुत अत्याचार, बहुत दुराचार होता आया है, मैंने अपने विभाग के सभी अधिकारियों से कहा कि ये आप लोग जांच करिए फिर इस पर रिपोर्ट दीजिए, बहुत से भ्रष्टाचार सामने आए हैं जैसे-स्कॉलरशिप फर्जी हैं, बच्चे पचास दिखा रखे हैं, बच्चे बीस हैं, टीचर चार नियुक्त हैं और पढ़ाने वाले दो हैं, वो भी दूसरे ही व्यक्ति हैं, अगर सरकार उनके लिए पंद्रह हजार रुपये दे रही है और वो चार हजार रुपये में काम कर रहे हैं, ये मदरसों में पढ़ाने वालों की बात है, अगर चौकीदार की तनख्वाह चार हजार तथा आठ हजार है तो उसे दो हज़ार रुपये दिए जा रहे हैं, तब मैंने मन बनाया कि मैं इस पर काम करुंगा, मैंने अधिकारियों से कहा है कि जितने भी मदरसे हमसे सहायता लेते हैं, उनका एक पोर्टल बनाइए जिसपर पूरी जानकारी हो, पोर्टल के माध्यम से सारी जानकारी सामने आ गई है।
प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री ने अल्पसंख्यकों के विकास के लिए अनेक कदम उठाए हैं...
'भेदभाव से कोई काम नहीं'
जी हां! प्रधानमंत्रीजी और मुख्यमंत्रीजी ने सबका साथ सबका विकास की बात की है तो हम भेदभाव से कोई काम नहीं करना चाहते, अल्पसंख्यकों के बच्चे भी हमारे ही बच्चे हैं, वे किसी भी समाज के हों, उनकी तरक्की के लिए हम जो भी कर सकते हैं वो करेंगे, मदरसों में टीचर अब ठीक तरह से काम कर रहे हैं, पोर्टल के जरिए रखरखाव सही हो रहा है, बच्चों के वजीफे हमने ऑनलाइन कर दिए हैं, हमने टीचरों की सैलरी भी ऑनलाइन कर दी है, ताकि कोई दूसरा न ले जाए।
मदरसों के छात्रों के लिए आपकी तरफ से कोई पहल हुई है, जिससे छात्र अपने भविष्य के लिए और ज्यादा आशांवित हों...
'मदरसा बच्चों के लिए बड़ी पहल'
हमने बड़ी पहल की है, मदरसों में सिर्फ उर्दू, फारसी, आलिम तरह से सब्जेक्ट होते थे, जिन्हें पढ़कर वे सिर्फ मौलवी तो बन सकते हैं या नमाज पढ़ा सकते हैं, मगर किसी कंप्टीशन में शामिल नहीं हो सकते, अगर उन्होंने मदरसों से इंटर या हाईस्कूल किया भी होगा तो एक ऐप्लीकेशन भी ढंग से नहीं लिख पाते, मैंने मुख्यमंत्रीजी से आग्रह किया है कि इन मदरसों में भी एनसीआरटी की बुक स्टार्ट करें तो उन्होंने कहा कि ये तो बहुत बड़ा काम है, तब मैंने कहा कि अल्पसंख्यक बच्चे भी यूपी बोर्ड, आईसीएससी बोर्ड, सीबीएससी बोर्ड के बराबर कंप्टीशन में बैठ सकें, उनका मुकाबला कर सकें, मदरसों के बच्चे भी किसी नौकरी में निकल सकें, मदरसों के बच्चे भी आइएएस, आईपीएस, पीसीएस बन सकें, इसके लिए हमने मदरसों, अल्पसंख्यकों के लिए काम किया है, उसमें भी कुछ मौलवी-मुल्ला लोग, जिनको ये लग रहा है कि हमारी विरासत जा रही है, हमारा प्रबंधन खत्म हो रहा है और अगर ये बच्चे पढ़-लिख जाएंगे तो हो सकता है कि भाजपा सरकार को धन्यवाद और दुआएं दे, इसलिए अपनी टांग अड़ा रहे हैं, वो बच्चों को निकलने नहीं देना चाहते थे, वो उन्हें वहीं घेर के रखना चाहते हैं, हम अल्पसंख्यक की तरक्की के लिए सारे काम करने जा रहे हैं और कर रहे हैं, इससे आने वाली पीढ़ी की बड़ी मदद होगी और वह प्रधानमंत्री मोदीजी एवं मुख्यमंत्री योगीजी को भी भगवान के रूपमें मानेंगे।
आप अपनी सिंचाई योजनाओं के बारे में भी बताइए, क्योंकि सुना जाता है कि कहीं ट्यूवेल चल रहे हैं और कहीं बंद हैं...
'सिंचाई प्रबंध की ड्रोन से निगरानी'
बहुत सुधार किया गया है, अभी तक पिछली सरकारों का पूरा अमला ध्वस्त था, मगर सरकार इस पर बहुत बड़े स्तर पर काम करने जा रही है, अगर सरकार में हमें काम करना है तो ठीक-ठाक काम करना होगा, सरकार ने भ्रष्टाचार पर भी नकेल डालने का काम किया है, हम किसानों के प्रति संकल्पित हैं, हमने सारी नहरों में पूरी सफाई करने का काम किया है, किसानों के खेतों को देर तक पानी देने का काम किया है, ड्रोन कैमरों के जरिए भी हमने सिंचाई का अवलोकन किया है और देखा है कि कहीं फर्जीवाड़ा न हो, जहां तक यांत्रिक का सवाल है तो अभी मैंने बैठक ली थी, जिसमें उत्तर प्रदेश में जितने हमारे ट्यूवेल्स हैं, उनकी जानकारी ली और निर्देश दिए कि कोई ट्यूवेल्स खराब न हो, पिछली सरकारों में बिजली के ट्रांसफार्मर न लगने के कारण कितने ही ट्यूवेल्स बंद पड़े रहते थे, मुख्यमंत्रीजी ने आदेशित किया हुआ है कि कोई भी ट्रांसफार्मर अगर खराब है तो चौबीस घंटे के अंदर वो ठीक हो जाना चाहिए, जिससे कहीं भी सिंचाई प्रभावित नहीं होने पाए।