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भाजपा का सपा व बसपा को राज्यसभा में सबक

भाजपा के सामने कार्यकर्ताओं की नाराज़गी नया बड़ा ख़तरा

आपत्तिकाले मर्यादा न अस्ति फार्मूला ही काम आया

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 24 March 2018 01:49:06 PM

bjp is the largest political party in rajya sabha

नई दिल्ली/ लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी राज्यसभा चुनाव 2018 का चुनाव संपन्न होते ही अब संसद के इस उच्च सदन में सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बन गई है, लेकिन उत्तर प्रदेश में उसकी चिंताएं बढ़ गई हैं, क्योंकि उसे बसपा और सपा से उतना ख़तरा नहीं है, जितना ख़तरा भाजपा कार्यकर्ताओं की नाराज़गी से है, जिसने वाकई भाजपा को गोरखपुर और फूलपुर में सबक सिखा दिया है। बहरहाल भारत में भाजपा की नरेंद्र मोदी सरकार बनने के बाद भाजपा के अड़तीस साल के इतिहास में यह उसका पहला स्वर्णिम मौका है, जब उसके खाते में उनहत्तर राज्यसभा सीटें हैं और वह कांग्रेस मुक्त भारत अभियान में सबसे आगे चल रही है, जिसमें कांग्रेस लगातार सिमटती जा रही है। देश के कुल सत्रह राज्यों में ये चुनाव हुए थे, जिनमें से तैंतीस उम्मीदवार निर्विरोध चुने गए हैं, जबकि सात राज्यों की छब्बीस राज्यसभा सीटों पर मतदान हुआ और इनमें बारह नए कमल खिले। राज्यसभा में अब भाजपा के तिहत्तर सदस्य हो गए हैं और भाजपा उत्तर प्रदेश से भी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बन गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट के जरिए निर्वाचित राज्यसभा सदस्यों को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि मैं उम्मीद करता हूं कि ये सांसद जिस राज्य का प्रतिनिधित्व करते हैं, उसकी आकांक्षाओं को सदन में प्रभावी तरीके से आवाज़ देंगे।
राज्यसभा में जानेवाले प्रमुख नाम हैं-देश के वित्तमंत्री अरुण जेटली, भाजपा नेता जीवीएल नरसिम्हा राव, सपा की जया बच्चन और पश्चिम बंगाल से अधिवक्ता और कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी और भाजपा के राजीव चंद्रशेखर। शरद यादव की अध्यक्षता वाले जनता दल (यू) की केरल राज्य इकाई के अध्यक्ष एमपी वीरेंद्र कुमार भी केरल से राज्यसभा के लिए चुने गए हैं। राज्यसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में दस सीटों में से नवीं सीट पर सपा, कांग्रेस, रालोद समर्थित बसपा और भाजपा के उम्मीदवार में बहुत रोमांचक और कांटे की टक्कर में भाजपा के अनिल अग्रवाल को विजय मिली है। बसपा अध्यक्ष मायावती ने सपा और अन्य दलों के भरोसे इटावा के बसपा नेता भीमराव आंबेडकर को इस सीट पर उतारा था, लेकिन केवल सपा उम्मीदवार फिल्म अभिनेत्री जया बच्चन ही जीत सकीं, जबकि बसपा को पराजय और सहयोगी दलों से फजीहत का सामना करना पड़ा है। भाजपा अरुण जेटली, डॉ अशोक बाजपेयी, विजयपाल सिंह तोमर, सकलदीप राजभर, कांतादेवी कर्दम, डॉ अनिल जैन, जीवीएल नरसिम्हा राव, हरनाथ सिंह यादव और अनिल कुमार अग्रवाल विजयी हुए हैं। भाजपा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की परंपरागत और दिग्‍विजयी सीट गोरखपुर एवं उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की फूलपुर लोकसभा सीट सपा-बसपा गठजोड़ के हाथों पराजित होने से भाजपा बहुत खिसियाई हुई थी और माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उस पराजय से उनकी राजनीतिक प्रतिष्ठा जाती रही है। राज्यसभा की नवीं सीट पर भाजपा ने आरपार की लड़ाई मोल ले ली और साम दाम दंड भेद से इसमें बसपा के प्रत्याशी को हरा दिया।
बसपा उम्मीदवार का पराजित होना सपा-बसपा की संयुक्त ताकत की समय रहते मुठ्ठी भी खुल जाना और आगे के राजनीतिक परिदृश्य की स्थिति और भी साफ हो जाना है। उत्तर प्रदेश में राज्यसभा चुनाव में यह बात कोई खास महत्वपूर्ण नहीं रही कि इसमें कौन-कौन प्रत्याशी हैं, खास चर्चा यह रही कि भाजपा ने जो नौवां प्रत्याशी खड़ा किया है, उसके जीतने के लिए उसके पास पर्याप्त संख्या नहीं है तो वह केवल अदृश्य प्रयासों से ही बसपा उम्मीदवार भीमराव आंबेडकर को हरा सकती है, संख्या गणित भाजपा कैसे हासिल करेगी, यही बात सर्वाधिक चर्चा में रही है। भाजपा तय कर चुकी थी कि उसे साम दाम दंड-भेद से बसपा को नहीं जीतने देना है, इसलिए उसने हर संभव कदम उठाए और बसपा-सपा को पटकनी दे दी। उसने इस नवीं सीट ने आगे के राजनीतिक घमासान का रास्ता भी साफ कर दिया है, जिसमें मायावती यह सोचने को मजबूर हुई हैं कि उनका भविष्य में सपा के साथ चलना कहीं और ज्यादा नुकसानदायक तो नहीं रहेगा, क्योंकि सपा चुनाव में बसपा के निन्यानबे फीसदी वोट हासिल कर सकती है और सपा के वोट उसी तरह या आधे भी बसपा को मिलेंगे, इसकी कोई गारंटी नहीं है।
भाजपा गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव हार गई है, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसपर कुछ न बोलते हुए बसपा की नवीं सीट की पराजय पर मीडिया से यह जरूर कहा है कि भाजपा की सभी नौ सीटों पर विजय से सपा का अवसरवादी चेहरा सामने आ गया है। उनसे कोई सीधे सवाल भले ही नहीं कर रहा हो, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को आज नहीं तो कल इसका उत्तर देना होगा कि स्‍थानीय प्रशासन में भाजपा कार्यकर्ताओं की उपेक्षा क्यों हो रही और भाजपा के सहयोगी दल सुहेलदेव भारत समाज पार्टी की नाराज़गी क्यों है? जाहिर तौर पर कहा जा रहा है कि योगी आदित्यनाथ का स्‍थानीय प्रशासन पूर्ववर्ती सरकार की भांति चल रहा है और यदि भाजपा ने इसपर अभी से ध्यान नहीं दिया और योगी आदित्यनाथ ने कार्यशैली नहीं बदली तो उत्तर प्रदेश में भाजपा के भारी से भारी नुकसान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी नहीं रोक पाएंगे। भाजपा के अधिसंख्य विधायक सांसद और मंत्री भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कार्यप्रणाली से संतुष्ट नहीं हैं और भाजपा ने समाजवादी पार्टी के नेता नरेश अग्रवाल को भाजपा में शामिल करने की जो रणनीति अपनाई है, उसकी सफलता भी इसी बात पर निर्भर है कि उनके साथ शासन-प्रशासन किस तरह पेश आता है।
भाजपा मुख्यालय लखनऊ पर राज्‍यसभा सदस्यों की जीत का इस समय जश्न चल रहा है। भाजपा मुख्यालय लखनऊ पर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता तथा नवनिर्वाचित राज्यसभा सदस्य जीवीएल नरसिम्हा राव का भाजपा मुख्यालय के मीडिया विभाग में पुष्पहार और गर्मजोशी से स्वागत किया गया। जीवीएल नरसिम्हा राव के साथ उनकी पत्नी का भी पुष्प गुच्छ भेंटकर स्वागत किया गया। भाजपा मीडिया विभाग ने पार्टी के केंद्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी तथा राष्ट्रीय प्रवक्ता को भी राज्यसभा में स्थान दिए जाने पर भाजपा नेतृत्व के प्रति हृदय से आभार व्यक्त किया है। इस खुशी के अवसर पर भाजपा कार्यकर्ता खामोश दिख रहा है, जिसका कारण साफ है, इसलिए अब देखना है कि उसके लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के अगले महीने लखनऊ आगमन तक भाजपा और योगी सरकार क्या कदम उठाती है, क्योंकि इस राज्यसभा चुनाव में आपत्तिकाले मर्यादा न आस्ति फार्मूला ही काम आया है।

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