स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Monday 16 April 2018 05:23:41 PM
शिलांग। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने भारतीय प्रबंध संस्थान शिलांग के 9वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए प्रबंधन के छात्रों को सुदृढ़ चरित्र, अटल ईमानदारी और निष्ठा अपनाने की सलाह दी है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि ईमानदारी, सच्चाई का अनुपालन और सर्वश्रेष्ठ आचरण अपनाना बहुत ही जरूरी है, क्योंकि मूल्यों का पूर्ण ह्रास, कानून के डर की कमी से लोगों के बीच पथभ्रष्टता एवं कुटिल आचरण स्पष्ट रूपसे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि सामुदायिक नीतियों की कभी अवहेलना नहीं की जानी चाहिए। उपराष्ट्रपति ने विद्यार्थियों को महात्मा गांधी के बताए गए सात पापों को याद रखने की सलाह दी-बिना काम के सम्पदा, बिना अंतरात्मा के आनंद, चरित्र बिना ज्ञान, नैतिकता के बिना वाणिज्य, मानवता बिना विज्ञान, बलिदान बिना धर्म और सिद्धांत बिना राजनीति।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि विद्यार्थियों को अपने जीवनवृत्त में आगे बढ़ने के साथ-साथ सुदृढ़ चरित्र, अटल ईमानदारी, निष्ठा, नैतिक मूल्य, संतोष और कृतज्ञता की भावना अपनानी चाहिए। उन्होंने प्रबंधन के छात्रों से कहा कि वे ये कभी न भूलें कि वे अपने संगठनों में लोगों के जीवन को ही नहीं प्रभावित करेंगे, बल्कि वे सीधे कर्मचारियों की जीविका पर निर्भर अन्य लोगों के जीवन को भी प्रभावित करेंगे। उपराष्ट्रपति ने कहा कि कृतज्ञता, संवेदना तथा साथ वाले लोगों के प्रति चिंता जैसे गुण आधुनिक भौतिकवादी और उपभोक्तावादी संसार से लुप्त हुए प्रतीत होते हैं, अत: हर एक को सेवा और साझेदारी का दृष्टिकोण विकसित करना चाहिए।
वेंकैया नायडू ने कहा कि उत्पाद की गुणवत्ता, कुशल सेवा एवं नीतिगत व्यापारिक आचरण सकारात्मक वैश्विक ब्रांड के हॉलमार्क हैं और एक विचारशील नेता के रूपमें प्रत्येक निर्णय पर इन गुणों की छाप होनी चाहिए। वेंकैया नायडू ने कहा कि शिक्षा केवल रोज़गार के लिए नहीं है, वरन जागृति और सशक्तिकरण के लिए भी है। उन्होंने आईआईएम जैसे प्रबंध संस्थानों से कहा कि वे अनुसंधान प्रकाशनों को प्राथमिकता दें। समारोह में मेघालय के राज्यपाल गंगा प्रसाद, मेघालय के गृहमंत्री जेम्स के संगमा और गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।