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Saturday 02 March 2013 05:30:42 AM
ऋषिकेश। योग को धर्म से नहीं जोड़ा जाना चाहिए, योग शरीर व आत्मा को शुद्ध करता है, यह अच्छा इंसान बनने में सहायक है। मुनि की रेती स्थित गंगा रिसार्ट में 6 दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा कि स्कूलों में बच्चों को योग सीखने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बच्चों को संस्कारवान बनाने में सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका परिवार की होती है, माता पिता को देखना चाहिए कि उनके बच्चे गलत आदतों का शिकार तो नहीं हो रहे हैं। स्वामी विवेकानंद का स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि सही-गलत का अहसास होने पर ही हम अपने जीवन को आगे बढ़ाने के साथ देश व समाज को आगे ले जा सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से है, यहां से पूरे विश्व में ज्ञान व बंधुत्व का संदेश गया है, वैचारिक मतभेदता में कटुता नहीं आने देनी चाहिए, हमें अपने गुरूजनों, माता-पिता का सम्मान करते हुए देशहित में निष्पक्षता से कार्य करना चाहिए, योग महोत्सव के माध्यम से सारे संसार में संदेश जाना चाहिए कि उत्तराखंड में भारतीय संस्कृति पल्लवित हो रही है। मुख्यमंत्री ने पुर्तगाल की कुमारी निरंजनी को योग का बेहतरीन प्रदर्शन करने पर सम्मानित किया।
पर्यटन मंत्री अमृता रावत ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का आयोजन पहली बार राज्य सरकार ने किया है। सरकार का प्रयास है कि योग महोत्सव केवल हरिद्वार व ऋषिकेश तक ही सीमित ना रहे बल्कि पंच प्रयाग व बद्रीनाथ व केदारनाथ तक इसका विस्तार हो। युवा पीढ़ी के भौतिकवाद को अधिक महत्व देने पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि योग की शिक्षा युवाओं को हमारी संस्कृति से जोड़ने में सहायक हो सकती है।
प्रमुख सचिव पर्यटन डॉ उमाकांत पंवार ने महोत्सव की जानकारी देते हुए बताया कि 7 मार्च तक ये हरिद्वार व ऋषिकेश में आयोजित होगा। इसमें मुख्य रूप से देव संस्कृति विश्वविद्यालय, ओम आरोग्यम योग मंदिर, पंतजलि योग पीठ, श्री संजीवनी क्रिया योग फाउंडेशन, परमार्थ निकेतन सहित विभिन्न संस्थान भाग ले रहे हैं। देश-विदेश से बड़ी संख्या में योग गुरू व योग साधक प्रतिभाग कर रहे हैं। इस अवसर पर विधायक सुबोध उनियाल, शंकराचार्य माधवाश्रम महाराज, स्वामी अमृत सूर्यानंद, स्वामी वेदभारती, डॉ चिन्मय पांड्या, स्वामी ब्रह्मचारी ब्रह्मस्वरूप, सीएम भंडारी सहित विशिष्ट गण एवं साधु संत उपस्थित थे।