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Monday 04 March 2013 05:10:17 AM
लंदन। काव्यरंग ब्रिटेन के शहर नॉटिंघम की अग्रणी संस्था है। हाल ही में इस संस्था ने नॉटिंघम की एशियन ऑर्ट्स काउंसिल के साथ मिल कर ट्रेंट युनिवर्सिटी में एक अनूठे कार्यक्रम का आयोजन किया-शब्दों का त्यौहार यानि कि फ़ेस्टिवल ऑफ़ वर्ड्स। याद रहे कि नॉटिंघम लॉर्ड बायरन एवं डीएच लॉरेंस की जन्मस्थली है।
कार्यक्रम की शुरूआत में एशियन आर्ट्स काउंसिल के अध्यक्ष राजेश शर्मा ने अतिथियों का स्वागत किया। पहले सत्र में भिन्न भारतीय भाषाओं की पुस्तकों का लोकार्पण किया गया। इनमें संतोख सिंह ढालीवाल (ते कौण मर गया-पंजाबी), चंचल सिंह बब्बक (आत्मकथा-ज़िंदगी दियां पैरां-पंजाबी), फ़रज़ाना अख़तर (दर्द की नीली रगें-उर्दू), असी कश्मीरी (उर्दू नज़्में-उर्दू), अहमद मसूद-रौशनी है, उर्दू), सादिया सेठी (कभी नाराज़ मत होना-उर्दू), जय वर्मा (ई-बुक-सहयात्री हैं हम-हिंदी), नीना पॉल (तलाश-हिंदी), पुष्पा रॉव (ज़िंदगी की शाम-हिंदी), शिवींद्र सिन्हा (बेसिक्स ऑफ़ हिंदुइज़म-अंग्रेज़ी), रूपम कैरल (बच्चों की कहानियां-सैमी दि स्नेल-अंग्रेज़ी), हरमिंदर एस नेगी (क्लेक्शन ऑफ़ पोयम्ज़-विश आई हैड अ मैजिक कार्पेट-अंग्रेज़ी), चंद्रिका सेठ (यात्रा वृतांत-विश्व के आश्चर्यजनक देश-गुजराती)। पुस्तकों का लोकार्पण भारतीय उच्चायोग के बरमिंघम के काउंसल जनरल वीएस रामलिंगम ने किया।
इस सत्र का संचालन ब्रिटेन की प्रमुख कवयित्री एवं काव्यरंग की अध्यक्ष जय वर्मा ने की। इसी सत्र में मुख्य अतिथि रामलिंगम, विशिष्ट अतिथि विनोद कुमार (हिंदी एवं संस्कृति अधिकारी, भारतीय उच्चायोग),नाथ पुरी एवं तेजेंदर शर्मा ने अपने विचार रखे और काव्यरंग को इस आयोजन के लिए बधाई दी। दूसरे सत्र में काव्य रंग की भिन्न भाषाओं के कवियों ने अपनी कविताएं सुनाईं। यहां एक ख़ूबसूरत नज़ारा यह था कि कवि अपनी कविता अपनी भाषा (उर्दू, पंजाबी और हिंदी) में सुना रहे थे, जबकि पीछे स्क्रीन पर अंग्रेज़ी में उसी कविता की स्लाइड दिखाई जा रही थी। इनमें से अधिकांश कविताओं का अनुवाद ब्रिटेन के प्रतिष्ठित कवि-कथाकार तेजेंदर शर्मा ने किया था। तेजेंदर शर्मा ने इस कार्यक्रम में एक विशिष्ट अतिथि के तौर पर भाग लिया। काव्य पाठ करने वाले कवियों में शामिल थे-संदीप धीर (ओबामा-हिंदी), सोमदत्त शर्मा (संस्कार-हिंदी), मीना सिन्हा (खोया या पाया-हिंदी), रवि महाजन (ग़ज़ल-हिंदी), आशीष सिन्हा (गणपति बप्पा-हिंदी), हर्ष शर्मा (जन्मदिन-हिंदी), जय वर्मा (पेड़ का अस्तित्व-हिंदी), नीना पॉल (जांबाज़-हिंदी), फ़रज़ाना ख़ान (चीज़ें-उर्दू), अनुष्का शाह (नीडल लेस-अंग्रेज़ी), जस बिल्खू (विलियम विलबरफ़ोर्स-पंजाबी), क़रार ख़ान (ग़ज़ल-उर्दू)। अधितकतर कवियों ने अपनी कविताओं का पाठ स्वयं ही किया, जबकि पंडित सोमदत्त शर्मा की कविता का पाठ तेजेंदर शर्मा, हर्ष शर्मा की कविता का पाठ विनोद कुमार, नीना पॉल की ग़ज़ल का पाठ जोशी एवं चंचल सिंह की कविता का पाठ संतोख ढालीवाल ने किया। इस सत्र का संचालन जुगनू महाजन ने किया।
दोपहर के भोजन के बाद के पहले सत्र में कविता पाठ जारी रहा। इस सत्र में भाग लेने वाले कवियों के नाम हैं-हरमिंदर नागी (अंग्रेज़ी), बलदीश बिल्खू (अंग्रेज़ी), संतोख ढालीवाल (पंजाबी), अहमद मसूद (उर्दू), शमीम अहमद (उर्दू), असी कश्मीरी (उर्दू) और हिंदी के कवि-अरुण फक्के, रेखा वशिष्ठ, रत्ना पटेल, सोमेश चतुर्वेदी, चक्रधर राव, सुधा वशिष्ठ, जुगनू महाजन एवं मनोरमा जैन ने कविता पाठ किया। विनोद कुमार ने कविताओं की प्रशंसा करते हुए कहा कि ये कविताएं संवेदनशील, आशावादी और दार्शिनक विचार लिए हुए हैं। बीज वक्तव्य मिडलैंड के प्रसिद्ध लेखक बाली राय ने दिया, उन्होंने शिक्षा, समाज एवं संस्कृति जैसे मुद्दों पर अपनी बात रखी, इन क्षेत्रों में अपने अनुभवों का हवाला दिया। भारतीय मूल के युवा वर्ग के लिए वे एक अनुकरणीय व्यक्ति हैं। अंतिम सत्र में स्थानीय ग़ज़ल गायक तुफ़ैल अहमद ने ग़ज़ल-गायकी से श्रोताओं का मनोरंजन किया। सत्र का संचालन करते हुए डॉ रवि महाजन ने ग़ज़ल विधा के इतिहास के बार चर्चा की। एशियन आर्ट्स काउंसिल के भावेश जानी ने धन्यवाद दिया।