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'माँ गंगा की स्वच्छता के लिए भागीरथ बनें'

परमार्थ निकेतन ने माँ गंगा का अवरतरण दिवस मनाया

ऋषिकेश में गंगा को गंदगी से मुक्ति का संकल्प लिया

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 25 May 2018 01:21:31 PM

parmarth niketan celebrated maan ganga ka avarataran divas

ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में पतित पावनी माँ गंगा का अवरतरण दिवस धूमधाम से मनाया गया। माँ गंगा को ग्यारह सौ कमल के पुष्प अर्पितकर गंगोत्री से गंगासागर तक गंगा को गंदे नालों से मुक्त करने का संकल्प लिया। परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष, गंगा एक्शन परिवार के प्रणेता एवं ग्लोबल इंटर फेथ वाश एलायंस के संस्थापक स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज, मानस कथाकार मुरलीधर महाराज, दक्षिण भारत से आए स्वामी वेद विद्यानंद, साध्वी भगवती सरस्वती, महामंडलेश्वरों, साधु-संतों, उत्तर प्रदेश सरकार के नगरविकास एवं संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना, उत्तराखंड सरकार के मंत्रियों और श्रद्धालुओं ने प्रातःकाल माँ गंगा के तट पर वेद मंत्रों के साथ माँ गंगा का पूजन किया।
परमार्थ निकेतन में गंगा दशहरा के पावन अवसर पर पर्यावरण संरक्षण को समर्पित श्रीराम कथा का भी शुभारम्भ हुआ। महामंडलेश्वर स्वामी असंगानंद सरस्वती महाराज, स्वामी चिदानंद सरस्वती, उत्तर प्रदेश सरकार के नगरविकास एवं संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना, उत्तराखंड के कृषि मंत्री सुबोध उनियाल, महामंडलेश्वर स्वामी ईश्वरदास महाराज, मानस कथाकार मुरलीधर, दक्षिण भारत से आए स्वामी वेद विद्यानंद, साध्वी भगवती सरस्वती और श्याम सुंदर शाह ने दीप प्रज्वलित किया। महामंडलेश्वर स्वामी असंगानंद सरस्वती महाराज ने अपने उद्गार में कहा कि महाराज भागीरथ ने अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए धरती पर निर्मल और अविरल गंगा का आह्वान किया था, आज वही उद्धराक गंगा अपने उद्धार के लिए करोड़ों भारतीयों के जीवन की रक्षा के लिए ऐसे भागीरथों को खोज रही है, जो धरती पर उसका पुनः पुराना स्वच्छ और अविरल स्वरूप प्रदान करें।
स्वामी असंगानंद सरस्वती महाराज ने नागरिकों का आह्वान किया कि वे माँ गंगा की स्वच्छता के लिए आएं और भागीरथ बनें। स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि हमारा उद्देश्य एक स्वच्छ एवं सुंदर राष्ट्र का निर्माण करना और माँ गंगा को निर्मल एवं अविरल स्वरूप प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि माँ गंगा करोड़ों भारतीयों की आस्था का केंद्र है, गंगा हमारी संस्कृति है, सभ्यता है और करोड़ों लोगों की जीवन रेखा है। उन्होंने कहा कि गंगा एवं अन्य नदियां इस सृष्टि का अनुपम वरदान हैं। स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि गंगा में स्नान के पहले गंगा का स्नान करें, सभी भारतवासी मिलकर स्वच्छता एवं जल संरक्षण का दीप अपने हृदय में प्रज्वलित कर नए उत्साह, नई उमंग, नई ऊर्जा एवं नवीन विश्वास के साथ स्वच्छ गंगा, स्वच्छ भारत के निर्माण में योगदान प्रदान करें। उन्होंने कहा कि हर सीवेज प्वाइंट सेफ्टी प्वाइंट बने। उन्होंने ऋषिकेश शहर के मध्य से होकर बहने वाली चंद्रभागा नदी को स्वच्छ और सौंदर्ययुक्त बनाने का आह्वान किया।
उत्तर प्रदेश सरकार के नगरविकास एवं संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने परमार्थ गंगा तट पर उपस्थित श्रद्धालुओं को 2019 में होने वाले प्रयाग महाकुम्भ में आंमत्रित किया। उन्होंने स्वामी चिदानंद सरस्वती के वैश्विक स्तर पर जल, पर्यावरण, स्वच्छता और शांति के कार्यों की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुये उनका अभिनंदन किया। उन्होंने कहा कि उत्तरप्रदेश का सौभाग्य है कि वहां पर योगी आदित्यनाथ का नेतृत्व है, उनके नेतृत्व में 2019 का महाकुम्भ अध्यात्म, विज्ञान और स्वच्छता का संगम लेकर आएगा। सुरेश खन्ना ने कहा कि कुम्भ के दौरान हमारा प्रयास होगा कि वहां आने वाले प्रत्येक श्रद्धालु तक हम स्वच्छता एवं जल संरक्षण का संदेश पहुंचाएं। उत्तराखंड सरकार के कृषिमंत्री सुबोध उनियाल ने देश के विभिन्न राज्यों से कथा श्रवण करने आए श्रद्धालुओं का देवभूमि में स्वागत किया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह के नेतृत्व में उत्तराखंड सरकार निर्मल और अविरल गंगा अभियान, नदियों एवं तालाबों के पुर्नरुद्धार तथा पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में अनेक कार्य कर रही है, इस दिशा में विलक्षण परिवर्तन भी हो रहा है, यह राज्य के लिये गर्व का विषय है। स्वामी चिदानंद सरस्वती ने दोनों मंत्रियों से जैविक खेती को बढ़ावा देने के विषय में भी चर्चा की।
मानस कथाकार मुरलीधर महाराज ने कहा कि पुरूषोत्तम मास प्रकृति और मानव शरीर से अपशिष्ट को बाहर निकालकर श्रेष्ठता को धारण करने की शिक्षा देता है, इस मास में गंगा के तट पर गंगा और पर्यावरण को समर्पित मानस कथा का श्रवण अत्यंत फलदायी है। स्वामी ईश्वरदास महाराज ने कहा कि गंगा के तट पर कथा के माध्यम से जल एवं पर्यावरण संरक्षण के प्रति जनजागरण का कार्य, गंगा अवतरण के शुभदिन से आरम्भ करना वास्तव में विलक्षण और सुखदायी है। उन्होंने कहा कि भारतवर्ष की सभ्यता, संस्कृति, संस्कार और दर्शन का विकास नदियों के तट से ही आरम्भ हुआ है, अतः उन प्राणवाहिनी नदियों की रक्षा के लिए प्रत्येक भारतीय अपना योगदान प्र्रदान करे और नदियों को निर्मल एवं अविरल बनाए। गंगा दशहरा पर परमार्थ निकेतन में दक्षिण भारत से आई ब्रह्मवादिनी ऋषिकन्याओं ने गंगा सहस्रनाम, गंगा लहरी एवं पर्यावरण के परिशोधन के लिए हवन किया।
परमार्थ निकेतन की योगाचार्य साध्वी आभा सरस्वती ने परमार्थ गुरूकुल के आचार्यों, ऋषिकुमारों, परमार्थ परिवार के सदस्यों एवं श्रद्धालुओं को गंगा योग एवं गंगा ध्यान योग करवाया। गंगा दशहरा पर निर्मल गंगा, अविरल गंगा के लिए साधु-संतों एवं श्रद्धालुओं में वाटर ब्लेसिंग सेरेमनी हुई। गंगा दशहरा में आए संतों ने उत्तर प्रदेश के मंत्री सुरेश खन्ना, सुबोध उनियाल और कथाव्यास मुरलीधर को पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया। परमार्थ तट पर होने वाली दिव्य गंगा आरती में स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज ने गंगा को गंदे नालों से मुक्त करवाने का संकल्प कराया। उन्होंने कहा कि सरकार के साथ जनसमुदाय भी मिलकर प्रयास करे तो संकल्प पूरा होते देर नहीं लगेगी। इस अवसर पर स्वामिनी आदित्यनंदा सरस्वती, अल्का, नंदिनी त्रिपाठी, लौरी, नंदबाला, इंदु, वंदना शर्मा, आचार्य संदीप शास्त्री, लोकेश शर्मा, आचार्य दीपक शर्मा, लक्की सिंह, नरेंद्र बिष्ट, राजेश दीक्षित, भगत सिंह, हरिओम शर्मा, संदीप गौर की उपस्थिति उल्लेखनीय है।

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