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Saturday 26 May 2018 01:41:52 PM
कोलकाता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल में शांतिनिकेतन में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की आगवानी की। गुरूदेव रवींद्रनाथ टैगोर को श्रद्धांजलि देते हुए दोनों नेताओं ने आगंतुक पुस्तिका में हस्ताक्षर किए। इसके बाद दोनों नेताओं ने विश्वभारती विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में हिस्सा लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली को श्रेष्ठ शिक्षा देने वाला बताया और कहा कि भारतीय लोकतंत्र 125 करोड़ लोगों को प्रेरणा देता है। उन्होंने कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि गुरूदेव रवींद्रनाथ टैगोर की पावन भूमि पर इतने आचार्यों के बीच उन्हें कुछ समय बिताने का अवसर मिला है। प्रधानमंत्री ने उपाधि प्राप्त करने वाले छात्रों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि जिन छात्रों ने यहां अध्ययन किया है, उन्होंने सिर्फ डिग्री ही हासिल नहीं की है, बल्कि वे यहां की महान विरासत के उत्तराधिकारी भी बने हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वेद की शिक्षाएं समूचे विश्व को एक घोंसला या कुटुम्ब मानती हैं, जो विश्वभारती विश्वविद्यालय के मूल्यों में प्रतिबिम्बित होती हैं। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना का स्वागत करते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत और बांग्लादेश दो देश हैं, जिनके परस्पर हित आपसी सहयोग और समन्वय से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि गुरूदेव रवींद्रनाथ टैगोर का दुनियाभर में बेहद सम्मान किया जाता है। उन्होंने बताया कि उन्हें 3 साल पहले तजाकिस्तान में गुरूदेव रवींद्रनाथ टैगोर की मूर्ति का अनावरण करने का अवसर प्राप्त हुआ था। प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनियाभर के विश्वविद्यालयों में गुरूदेव रवींद्रनाथ टैगोर आज भी अध्ययन का एक विषय है। उन्होंने गुरूदेव को वैश्विक नागरिक बताया। प्रधानमंत्री ने कहा कि गुरूदेव रवींद्रनाथ टैगोर चाहते थे कि भारतीय छात्र दुनियाभर की उन्नति से कदमताल करें, लेकिन अपनी भारतीयता को बरकरार रखें। उन्होंने विश्वभारती विश्वविद्यालय के आसपास के गांवों में कौशल विकास और शिक्षा प्रदान करने के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने विश्वविद्यालय को अपने शताब्दी वर्ष 2021 तक अपने दायरे को 100 गांवों तक विस्तार देने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने इन 100 गांवों के समग्र विकास के लिए विश्वविद्यालय का आह्वान किया।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि वर्ष 2022 तक नए भारत के निर्माण में विश्वभारती विश्वविद्यालय जैसे संस्थान महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में केंद्र सरकार के कदमों का भी उल्लेख किया। बांग्लादेश भवन के उद्घाटन पर प्रधानमंत्री ने इसे भारत और बांग्लादेश के बीच सांस्कृतिक संबंधों का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय और इसकी पवित्र भूमि का इतिहास है कि इसने दोनों ही देशों भारत और बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्रामों को देखा है। उन्होंने कहा कि बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान भारत और बांग्लादेश दोनों ही देशों में सम्मान पाते हैं, इसी तरह नेताजी सुभाष चंद्र बोस, स्वामी विवेकानंद और महात्मा गांधी को बांग्लादेश में उतना ही सम्मान प्राप्त है, जितना कि भारत में। उन्होंने कहा कि गुरूदेव रवींद्रनाथ टैगोर भी उतने ही बांग्लादेश के हैं, जितने भारत के।
प्रधानमंत्री ने कहा कि गुरूदेव रवींद्रनाथ टैगोर का सार्वभौमिक मानवता का सिद्धांत केंद्र सरकार के सिद्धांत ‘सबका साथ, सबका विकास’ में परिलक्षित होता है। उन्होंने कहा कि क्रूरता और आतंकवाद के खिलाफ भारत और बांग्लादेश की प्रतिबद्धता बांग्लादेश भवन के माध्यम से भविष्य की पीढ़ियों को प्रेरणा देती रहेगी। उन्होंने पिछले वर्ष नई दिल्ली में बांग्लादेश के भारतीय सैन्यकर्मियों को सम्मान देने के कार्यक्रम को याद किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देशों के संबंधों के लिए पिछले कुछ वर्ष स्वर्णिम रहे हैं। उन्होंने भूमि सीमा मामलों और विभिन्न कनेक्टिविटी परियोजनाओं का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि देनों ही देशों के लक्ष्य समान हैं और इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए वे समान रास्ते पर चल रहे हैं। इस अवसर पर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केसरीनाथत्रिपाठी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, विश्व भारती के उपाचार्य प्रोफेसर सबूज कोली सेन, रामकृष्ण मिशन विवेकानंद इंस्टीटयूट के उपाचार्य स्वामी आत्मप्रियानंद, विश्व भारती के अध्यापक और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।