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Monday 28 May 2018 10:51:10 AM
नई दिल्ली। फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार ने राजधानी दिल्ली में ‘शौचालय प्रौद्योगिकी के लिए कलक्टर्स कन्वेंशन’ में स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण भारत के लिए एक विज्ञापन अभियान लांच किया। यह अभियानग्रामीण भारत में दोहरे गड्ढों वाली शौचालय प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने पर केंद्रित है और इस विज्ञापन में अक्षय कुमार के साथ-साथ अभिनेत्री भूमि पेडनेकर भी शामिल हैं। इस अवसर पर पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय में सचिव परमेश्वरन अय्यर ने अक्षय कुमार के स्वच्छ भारत मिशन में उल्लेखनीय योगदान का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि अपनी फिल्म ‘टॉयलेट एक प्रेम कथा’ जो पूरे देश में ग्रामीण एवं शहरी लोगों ने देखी और खूब सराही है, से लेकर स्वच्छ भारत मिशन के लिए दोहरे गड्ढों वाले शौचालय के विज्ञापन अभियान में अपनी भागीदारी तक के जरिए अक्षय कुमार देश में काफी जोर पकड़ रहे स्वच्छता आंदोलन के एक मजबूत साझीदार हैं।
अभिनेता अक्षय कुमार ने स्वच्छ भारत मिशन से जुड़े पदाधिकारियों, जिला कलेक्टरों, संचार विशेषज्ञों और मीडियाकर्मियों से बातचीत की। उन्होंने समाज के प्रभावशाली लोगों से शौचालयों के साथ-साथ देशभर में खाली शौचालय गड्ढों के बारे में खुलकर बात करने की आवश्यकता पर विशेष जोर दिया, ताकि स्वयं ही शौचालय की सफाई करने का उपहास उड़ाने की प्रवृत्ति को खत्म किया जा सके। पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय ने कार्यक्रम में यह घोषणा की कि ‘टॉयलेट एक प्रेम कथा’ फिल्म के निर्माता ने स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण भारत की सभी राज्य और जिला टीमों को यह अधिकार दे दिया है कि वे गैरवाणिज्यिक आधार पर इस फिल्म को गांवों में दिखा सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि दोहरे गड्ढों वाली शौचालय प्रौद्योगिकी का आविष्कार भारत में ही किया गया था और यह ग्रामीण भारत के लिए सबसे उपयुक्त शौचालय तकनीक है। भारत सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन भी इसकी सिफारिश करता रहा है। यह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध हो चुका है कि मानक दोहरे गड्ढों वाले शौचालय मॉडल में एक गड्ढा 6 सदस्यों वाले परिवार द्वारा उपयोग करने पर मोटे तौर पर 5 वर्ष में भर जाता है, इस अपशिष्ट को इसके बाद दूसरे गड्ढे में आसानी से डाला जा सकता है, छह माह से लेकर 1 वर्ष में भरे हुए गड्ढे में अपशिष्ट पूरी तरह से नष्ट हो जाता है, यह विघटित अपशिष्ट संचालन की दृष्टि से सुरक्षित है और इसमें एनपीके यानी नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम पोषक तत्व बड़ी मात्रा में रहते हैं जो कृषि में अत्यंत उर्वरक उपयुक्त बना देता है।
शौचालय प्रौद्योगिकी के लिए कलक्टर्स कन्वेंशन में लांच यह विज्ञापन अभियान मास मीडिया के उपयोग के जरिए इस तकनीक को प्रोत्साहित करने का एक ठोस प्रयास है, जिसे विश्व बैंक का समर्थन प्राप्त है। यह फिल्म स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण भारत के यूट्यूब चैनल लिंक tinyurl.com/sbmgramin पर उपलब्ध है। इसका अनुवाद कई क्षेत्रीय भाषाओं में किया जाएगा और हिंदी संस्करण का प्रसारण तत्काल प्रभाव से टेलीविजन चैनलों पर शुरू हो जाएगा। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि गांव में इस तकनीक प्रयोग किया जा रहा है और ग्रामीण लोग इसके अपशिष्ट को खेती में खाद के रूपमें कर रहे हैं, जो बहुत कारगर सिद्ध हो रहा है। यहां यह भी जागरुक करने वाली बात है कि गड्ढे के प्रयोग में यह सावधानी बरती जानी चाहिए कि इसकी गंध दूसरों के लिए असहज न बने।