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'वस्‍त्र एवं हीरा उद्योग सूरत की पहचान'

वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विवि में राष्‍ट्रपति का संबोधन

'गुजरात की अर्थव्‍यवस्‍था में सूरत का योगदान बेहद ख्‍ाास'

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Wednesday 30 May 2018 11:48:05 AM

president ramnath kovind

सूरत (गुजरात)। राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सूरत में वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्‍वविद्यालय के वार्षिक दीक्षांत समारोह में हिस्सा लिया। राष्‍ट्रपति ने समारोह में नर्मदाशंकर दवे या वीर नर्मद का उल्‍लेख करते हुए कहा कि वह सिर्फ एक कवि या लेखक ही नहीं थे, बल्कि समाज सुधारक भी थे, जिनके नाम पर इस विश्‍वविद्यालय का नामकरण हुआ है। उन्होंने कहा कि वीर नर्मद एक राष्‍ट्र निर्माता थे, जिन्‍होंने गुजरात और भारतीय अस्मिता को एक पहचान दी एवं महिला सशक्तिकरण, विधवा विवाह जैसे महान सुधारों के लिए अनुकरणीय कार्य किया।
राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि दक्षिणी गुजरात क्षेत्र राज्‍य की अर्थव्‍यवस्‍था की रीढ़ है, इस क्षेत्र में भी सूरत का योगदान बेहद महत्‍वपूर्ण है। रामनाथ कोविंद ने कहा कि वस्‍त्र एवं हीरा उद्योग सूरत की पहचान हैं, जहां देशभर के लोग काम कर रहे हैं, इसलिए इस शहर को मिनी भारत भी कहा जाता है और यहां पर शीर्ष शैक्षणिक संस्‍थान भी हैं। उन्होंने कहा कि वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्‍वविद्यालय के ऊपर महत्‍वपूर्ण जिम्‍मेदारी है, बड़ी संख्‍या में जनजातीय छात्रों का होना इस विश्‍वविद्यालय की विशेषता है। गौरतलब है कि वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय गुजरात के सूरतनगर में एक सार्वजनिक विश्वविद्यालय है। पहले इसका नाम दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय था, लेकिन वर्ष 2004 में गुजरात के महान कवि नर्मद के नाम पर इसका नामकरण हुआ। इसकी स्थापना 1967 में हुई थी।
रामनाथ कोविंद ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्‍य स्‍वतंत्र चिंतन को पोषित करना और नवाचार को बढ़ावा देने वाला होना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा का अर्थ दूसरों की भावनाओं का सम्‍मान करना और समाज की भलाई के लिए कार्य करना है। उन्होंने इससे पहले मृतकों के शरीर को दान करने वाले परिवारों के सम्‍मान में आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लिया, जिसका आयोजन एक गैर सरकारी संगठन डोनेट लाइफ ने किया था। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्‍ट्रपति ने अंगदान के प्रति लोगों को प्रोत्‍सा‍हित कर समाज सेवा का आह्वान किया। उन्होंने इस अवसर पर इसरो के चेयरमैन डॉ किरन कुमार और नोबेल पुरस्‍कार विजेता कैलाश सत्‍यार्थी को ‘संतोक्‍बा मानववादी पुरस्‍कार’ भी प्रदान किए। ये पुरस्‍कार एसआरके फाउंडेशन द्वारा दिए जाते हैं।

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