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Saturday 2 June 2018 01:49:45 PM
चंडीगढ़। केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री मेनका संजय गांधी ने केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला चंडीगढ़ के परिसर में सखी सुरक्षा आधुनिक डीएनए फोरेंसिक लैबोरेट्री की आधारशिला रखी। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि यह लैब यहां आदर्श फोरेंसिक लैब के तौरपर स्थापित की जा रही है और देश के अन्य हिस्सों में भी ऐसी ही लैब शुरू की जाएंगी। मेनका गांधी ने कहा कि आपराधिक जांच में फोरेंसिक परीक्षण की अहम भूमिका होती है और देश में यौन उत्पीड़न के लंबित मामलों की फोरेंसिक डीएनए जांच में कमी से निपटने में एडवांस्ड लैब काफी महत्वपूर्ण साबित होंगी।
महिला और बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने बताया कि सीएसएफएल चंडीगढ़ की वर्तमान क्षमता 160 मामले प्रतिवर्ष से कम है और सखी सुरक्षा आधुनिक डीएनए फोरेंसिक लैबोरेट्री से यह क्षमता लगभग 2,000 मामले प्रतिवर्ष बढ़ जाएगी। उन्होंने बताया कि अगले तीन माह में पांच और आधुनिक फोरेंसिक लैब मुंबई, चेन्नई, गुवाहाटी, पुणे और भोपाल में खुलेंगी, जिससे प्रयोगशालाओं की कुल न्यूनतम वार्षिक क्षमता 50,000 मामले हो जाएगी। उन्होंने बताया कि चेन्नई और मुंबई में प्रयोगशालाओं की स्थापना महिला और बाल विकास मंत्रालय के कोष से होगी, जबकि शेष तीन लैब की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता गृह मंत्रालय प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर खरे उतरने और महिलाओं को समयबद्ध तरीके से न्याय दिलाने के लिए डीएनए प्रौद्योगिकी के लिए आधुनिक डीएनए फोरेंसिक प्रयोगशालाओं की आवश्यकता है।
मेनका गांधी ने यौन उत्पीड़न के मामलों में दोषियों को पकड़ने के लिए फोरेंसिक के महत्व का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि दुष्कर्म मामलों के लिए विशेष फोरेंसिक किट जुलाई तक सभी पुलिस थानों और अस्पतालों में वितरित कर दी जाएगी। उन्होंने कहा कि फोरेंसिक उत्पीड़न किट का इस समय सीएफएसएल चंडीगढ़ में प्रमाणीकरण किया जा रहा है, खराब न होने वाली इस किट का इस्तेमाल अप्रदूषित सबूत देने के लिए किया जाएगा। किट में सबूत एकत्रित करने के लिए आवश्यक उपकरण के साथ लिए जाने वाले साक्ष्य या नमूनों की पूरी सूची होगी। किट को फोरेंसिक लैब में भेजने से पहले ताला लगाकर बंद कर दिया जाएगा, व्यक्ति का नाम, दिनांक और किट बंद करने का समय उस पर दर्ज किया जाएगा। महिला और बाल विकास मंत्रालय के सचिव राकेश श्रीवास्तव ने कहा कि यह परियोजना गृह और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का संयुक्त प्रयास है और न्याय प्रणाली में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
यौन उत्पीड़न के मामलों में जांच पूरी कर रिपोर्ट सौंपने की आदर्श समयसीमा 90 दिन है और इसके अलावा जैविक अपराध से संबंधित सबूतों को वैज्ञानिक तरीके से संरक्षित किया जाना जरूरी है, ताकि कोई भी जांच या रिपोर्ट तर्कसंगत तैयार हो सके। हालांकि सीएफएसएल चंडीगढ़ में सबूतों को एकत्र करने या संरक्षण क्षमता के 200 मामले हैं। इस समय छह सीएफएसएल चंडीगढ़, गुवाहाटी, कोलकाता, हैदराबाद, पुणे और भोपाल तथा प्रत्येक राज्य और केंद्रशासित प्रदेश में एक फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला है। इन प्रयोगशालाओं में देशभर के यौन उत्पीड़न, आपराधिक पैतृत्व और हत्या सहित सभी मामलों की फोरेंसिक जांच की जाती है। मेनका संजय गांधी ने बताया कि महिलाओं से जुड़े मामलों से निपटने के लिए सखी सुरक्षा आधुनिक डीएनए फोरेंसिक प्रयोगशाला में चार इकाइयां स्थापित की जाएंगी, जिनमें यौन उत्पीड़न और हत्या इकाई, पैतृत्व इकाई, मानव पहचान इकाई और माइटोकोंड्रियल इकाईयां होंगी।