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Sunday 17 June 2018 03:56:24 PM
नई दिल्ली/ श्रीनगर। भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर घाटी में भारतीय सुरक्षाबलों को आतंकवाद पर पहले जैसा प्रहार करने की छूट दे दी है। भारतीय सुरक्षाबलों को आदेश दे दिया गया है कि वे कश्मीर घाटी में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ पूर्ववत ऐसी सभी आवश्यक कार्रवाइयां करें, जिससे कि आतंकवादियों को हमले करने और हिंसक वारदातों को अंजाम देने से रोका जा सके एवं लोगों की जान-माल की रक्षा की जा सके। भारत सरकार का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में शांति स्थापना आतंक और हिंसा से मुक्त वातावरण बनाने के उसके प्रयास जारी रहेंगे। भारत सरकार ने कहा है कि इसके लिए जरूरी है कि सभी शांतिप्रिय लोग एकजुट होकर आतंकवादियों को अलग-थलग करें और घाटी में जिन लोगों को गुमराह कर गलत रास्ते पर ले जाया गया है, उन्हें शांति के मार्ग पर वापस लाने के लिए प्रेरित करें।
भारत सरकार ने फैसला किया था कि रमजान के पवित्र महीने में सुरक्षा बलों द्वारा जम्मू-कश्मीर में आक्रामक कार्रवाइयां नहीं की जाएंगी। यह फैसला जम्मू-कश्मीर की शांतिप्रिय जनता के हित में किया गया था, ताकि वे रमजान एक अनुकूल माहौल में मना सकें। जम्मू-कश्मीर सहित पूरे देश के लोगों ने कश्मीर घाटी में भारतीय सुरक्षाबलों के धैर्य की भूरि-भूरि सराहना की और इससे आम नागरिकों को काफी राहत मिली है। भारत सरकार ने कहा है कि केंद्र सरकार भी अपने सुरक्षाबलों की खुद को संकट में डालकर और धैर्यपूर्वक भूमिका निभाने की प्रशंसा करती है। घाटी में आतंकवादियों की आगज़नी और हिंसक कार्रवाइयां जारी रहने के बावजूद इस निर्णय को पूरी तत्परता से लागू किया गया, ताकि मुसलमान भाई-बहन रमज़ान का त्योहार शांतिपूर्ण ढंग से मना सकें।
भारत सरकार का कहना है कि रमजान पर घाटी में सुरक्षाबलों की आक्रामक कार्रवाई रोकने से यह आशा की गई थी कि उसकी इस सकारात्मक पहल को सफल बनाने में सभी पक्ष अपना सहयोग देंगे, लेकिन जहां एक ओर सुरक्षा बलों ने अभूतपूर्व संयम का परिचय दिया, वहीं दूसरी ओर आतंकवादियों ने अपने हमलों की तीव्रता और ज्यादा जारी रखी, जिससे आम नागरिकों एवं सुरक्षा बलों के लोगों की जानें गईं और लोग घायल भी हुए। भारत सरकार का कहना था कि उसकी मंशा थी कि सुरक्षाबलों की आक्रामक कार्रवाई को रोकने के फैसले को आगे जारी रखा जाए, लेकिन आतंकवादियों ने हिंसक हमलों को जारी रखकर भारत सरकार को भारतीय सुरक्षाबलों को घाटी में आतंकवादी के खिलाफ अपनी पूर्ववत कार्रवाई शुरू करने को मजबूर किया है। सुरक्षाबल घाटी में आतंकवाद से और भी ज्यादा सख्ती से निपटेंगे।
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने कश्मीर घाटी में रमजानभर सुरक्षाबलों की आक्रामक कार्रवाई रोककर सभी राजनीतिक दलों और संगठनों को यह अवसर दिया था कि वे गुमराह लोगों को उनके घर वापस जाने में अपनी भूमिका निभाएं, लेकिन अनुभव में आया कि कांग्रेस, नेशनल कॉंफ्रेस, हुर्रियत जैसे अनेक संगठनों ने घाटी में और ज्यादा आग लगाने और लोगों को भारत और सरकार के खिलाफ भड़काने का काम ही किया। कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आज़ाद और नेशनल कॉंफ्रेंस के नेता फारुख अब्दुल्लाह आदि की भूमिका बहुत शर्मनाक देखी गई, जबकि हुर्रियत से शांति प्र्रयासों की कोई उम्मीद थी ही नहीं। आतंकवादियों ने घाटी में रोज़ और ज्यादा हिंसा जारी रखकर एवं पत्रकार शुजात बुखारी और सेना के जवान औरंगज़ेब खान की हत्या करके शांति प्रयासों को चुनौती दी, जिसका परिणाम यह हुआ है कि सुरक्षाबलों को आदेश दे दिए गए हैं कि वे अपनी आवश्यकता के अनुसार आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें, जिसके लिए भारत सरकार से पूछने की जरूरत नहीं है।