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Wednesday 27 June 2018 02:13:07 PM
नई दिल्ली। यूं तो शरीर को स्वस्थ रखने के लिए दुनिया में अनेक योग और ध्यान पद्धतियां प्रचलित हैं, जिन्हें मनुष्य अपनी पसंद और आवश्यकता से अपनाकर अपनी दैनिक दिनचर्या को सुखद बनाता है, इन्हीं में एक फालुन दाफा योग ध्यान पद्धति भी है, जो मनुष्य की योगिक क्रियाओं से जीवन में स्वास्थ्य और सामंजस्य का सफलतम मार्ग प्रशस्त करती है और जो भारत के आभिजात्य वर्ग जनसामान्य में भी पहले से भी ज्यादा लोकप्रियता हासिल कर रही है। फालुन दाफा मनुष्य के मन और शरीर की एक उच्चस्तरीय शक्ति साधना पद्धति है। प्राचीनकाल से यह पद्धति एक गुरु से एक शिष्य को हस्तांतरित की जाती रही है। फालुन दाफा को पहली बार चीन में मई 1992 में ली होंग ज़ी ने सार्वजनिक किया था और आज दुनिया के 114 से अधिक देशों में करीब 10 करोड़ से अधिक लोग इसका अभ्यास कर रहे हैं।
तेज़ रफ़्तार जीवन में यदि हम सभी रोगमुक्त शरीर, चिंता और तनाव से मुक्त रहने की इच्छा रखते हैं तो हमें पर्याप्त योग अभ्यास भी करना चाहिए। पारिवारिक समस्याओं, व्यस्तताओं, नौकरी के दबाव, अंतर-व्यक्तिगत संघर्ष इसके मुख्य कारण हैं, जबकि इनसे उत्पन्न स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का कोई अंत नहीं है। दुनियाभर के लाखों करोड़ों लोगों में फालुन गोंग के नाम से जाना जानेवाला फालुन दाफा ध्यान अभ्यास इन समस्याओं का माकूल जवाब माना जाता है। फालुन दाफा में 5 सौम्य और प्रभावी व्यायाम सिखाए जाते हैं। ये व्यायाम व्यक्ति की नाड़ियों को खोलने, शरीर को शुद्ध करने, तनाव से राहत और आंतरिक शांति प्रदान करने में सहायता करते हैं। इसके व्यायाम सरल, प्रभावी और सभी आयु के लोगों के लिए सर्वथा उपयुक्त पाए गए हैं।
फालुन दाफा मन और शरीर दोनों का अभ्यास है। व्यायाम जो व्यक्ति के शरीर की शक्ति का रूपांतरण करता है, उसके आलावा यह अभ्यास रोज़मर्रा के जीवन की कठिनाईयों पर विजय दिलाता है। इसके मूलभूत नियमों का पालन करके व्यक्ति अपने नैतिक चरित्र का भी निर्माण करता है। हमारे मन की स्थिति सीधे हमारे शरीर को प्रभावित करती है, इसलिए मन की सकारात्मक और शुद्ध अवस्था के लिए अंततः फालुन दाफा एक शानदार उत्तरदान माना गया है। यही कारण है कि फालुन दाफा अभ्यास इतना प्रभावशाली सिद्ध हुआ है। दुनियाभर के लाखों करोड़ों लोग फालुन दाफा अभ्यास को अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाए हुए हैं। सीधे शब्दों में कहें तो फालुन दाफा स्वास्थ्य और सामंजस्यपूर्ण जीवन की दिशा में एक योग्य और सुखद निवेश है। आप स्वयं इस अद्भुत अभ्यास के बारे में और अधिक सीख और जान सकते हैं।
फालुन दाफा की पुस्तकें, व्यायाम निर्देश और अभ्यास स्थलों की जानकारी इसकी वेबसाइट www.falundafa.org और www.falundafaindia.org पर उपलब्ध है। फालुन दाफा सदैव नि:शुल्क सिखाया जाता है। लोग दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर, हैदराबाद, नागपुर, पुणे, अहमदाबाद, बेंगलुरु, कोलकाता, वाराणसी,जमशेदपुर जैसे शहरों में फालुन दाफा का नित अभ्यास कर रहे हैं। अनेक स्कूलों में इसका नियमित अभ्यास कराया जाता है, जिसका विद्यार्थियों के परीक्षा परिणामों, उनके नैतिक गुणों और शारीरिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव दिखाई पड़ता है। फालुन दाफा का प्रदर्शन विभिन्न शहरों में आयोजित पुस्तक प्रदर्शनियों और सार्वजनिक स्थलों में किया जाता है। फालुन दाफा की निःशुल्क वर्कशॉप स्कूल, कॉलेज या ऑफिस में आयोजित कराने के लिए देशभर में फैले इसके स्वयंसेवकों से संपर्क किया जा सकता है।
गौरतलब है कि फालुन दाफा और इसके संस्थापक ली होंग ज़ी को दुनियाभर में 1,500 से अधिक पुरस्कारों और प्रशस्तिपत्रों से नवाज़ा जा चुका है। ली होंग ज़ी को नोबेल शांति पुरस्कार और स्वतंत्र विचारों के लिए सखारोव पुरस्कार के लिए भी मनोनीत किया जा चुका है। फालुन गोंग का अभ्यास दुनियाभर में किया जा रहा है, लेकिन आश्चर्यजनक बात यह भी है कि इसके जन्मदाता चीन में इसकी भारी उपेक्षा हो रही है। एक समय इसके स्वास्थ्य लाभ और आध्यात्मिक शिक्षाओं के कारण चीन में फालुन दाफा इतना लोकप्रिय हुआ कि 1999 तक करीब 7 से 10 करोड़ लोग इसका अभ्यास करने लगे थे। उस समय चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की मेम्बरशिप भी 6 करोड़ ही थी। इसका बढ़ता जनाधार चीनी शासकों को काफी खला और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने फालुन दाफा की शांतिप्रिय प्रकृति को अपनी प्रभुसत्ता के लिए खतरा मान लिया एवं 20 जुलाई 1999 को इसपर पाबंदी लगा दी। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी फालुन गोंग को आज भी क्रूरता से दबाने का काम कर रही है। फालुन दाफा अभ्यासी पिछले 18 साल से चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अपराधों को उजागर करने और चीन में दमन को समाप्त करने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं, लेकिन फालुन दाफा का क्षेत्र बढ़ता जा रहा है और लोग इसे अपना रहे हैं।